Astrology Articles

  • लाल किताब के अनुसार शनि को मनाने हैं ये चमत्कारिक उपाय
    भारतीय ज्योतिष के समान ही लाल किताब में भी शनि को दु:ख एवं अभावों का कारक ग्रह माना गया है, परन्तु ऐसा सदैव नहीं है, यदि शनि शुभ स्थिति में हुआ तो उच्चस्तरीय एवं स्थायी प्रगति देता है। ऐसा शनि इच्छाधारी नाग के समान है, जो सभी अभिलाषाओं को पूर्ण करता है। सूर्य से प्रभावित होने पर यह जहरीला हो जाता है। लाल किताब में शनि को पानी का सांप, बच्चे खाने वाला सांप, किस्मत लिखने का मालिक, विधाता की कलम, किस्मत को जगाने वाला, स्वयं विधाता जैसे संबोधनों से संबोधित किया गया है। सूर्य से पूर्ण दृष्टि संबंध होने पर शनि का प्रभाव तीन गुना मंदा हो जाता है। लाल किताब के अनुसार, शनि जिस भाव में स्थित है, उस स्थिति के अनुसार ही उपाय करना चाहिए।....

  • इस राशि के जातक एनिमेशन के क्षेत्र में बनाएं करियर तो सफलता उनके चूमेगी कदम
    विदेशों की तर्ज पर अब भारत में भी एनिमेशन फिल्मों एवं सीरियलों का निर्माण पिछले कुछ वर्षों से बहुतायत में होने लगा है। अब तक लगभग 130 से अधिक एनिमेटेड फिल्में बन चुकी हैं। आज यह कारोबार 30 प्रतिशत वार्षिक वृद्धिदर से विकसित हो रहा है। पिछले दिनों प्रदर्शित माइटी राजू, चार साहिबजादे, मैं कृष्णा हूं, महाभारत, छोटा भीम, टूनपुर का सुपर हीरो, बाल गणेश, घटोत्कच, माई फ्रेंड गणेशा, हनुमान इत्यादि की लोकप्रियता ने एनिमेशन फिल्मों के भविष्य के उज्ज्वल होने का पूर्ण संकेत दे दिया है। आज एनिमेशन युवाओं में कॅरिअर के लिए स्वर्णिम क्षेत्र है। ....

  • सावन में इन 7 चीजों को घर में रखने भर से बरसती है महादेव की कृपा
    इस सावन के समय में कोई भी सच्चे मन और भक्ति के साथ भगवान भोलेनाथ की पूजा करता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ति होती है। आज हम जानेंगे राशि अनुसार किस प्रकार भगवान शिव की आराधना करना हमारे लिए सबसे ज्यादा फलदाई होगा। पुराणों के अनुसार सावन में भोले शंकर की पूजा, अभिषेक, शिव स्तुति, मंत्र जाप का खास महत्व है। ....

  • कावड यात्रा के दौरान भूलकर भी नहीं करें ये 4 काम
    भगवान शिव की कृपा पाने के लिए कावड़ यात्रा भी एक श्रेष्ठ माध्यम है। कावड़ यात्रा का एक महत्व यह भी है कि यह हमारे व्यक्तित्व के विकास में सहायक होती है। लंबी कावड़ यात्रा से हमारे मन में संकल्प शक्ति और आत्मविश्वास जागता है। हम अपनी क्षमताओं को पहचान सकते हैं, अपनी शक्ति का अनुमान भी लगा सकते हैं। यही वजह है कि सावन में लाखों श्रद्धालु कावड़ में पवित्र जल लेकर एक स्थान से लेकर दूसरे स्थान जाकर शिवलिंगों का जलाभिषेक करते हैं। ऐसा माना जाता है कि जब सारे देवता सावन में शयन करते हैं तो भोलेनाथ का अपने भक्तों के प्रति वात्सल्य जागृत हो जाता है। ....

  • कालसर्प योग से हैं पीडित तो घबराएं नहीं, नाग पंचमी को करें 10 खास उपाय, दोष होगा तुरंत दूर
    कालसर्प दोष मुख्य रूप से 12 प्रकार का होता है, इसका निर्धारण जन्म कुंडली देखकर ही किया जा सकता है। प्रत्येक कालसर्प दोष के निवारण के लिए अलग-अलग उपाय हैं। यदि आप जानते हैं कि आपकी कुंडली में कौन का कालसर्प दोष है तो उसके अनुसार आप नागपंचमी के दिन उपाय कर सकते हैं। कालसर्प योग या कालसर्प दोष निवारण के कुछ उपाय, जिन्हें करने से आप पा सकते है इस दोष से छुटकारा-....

  • आज है नाग पंचमी, घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर कोयले या गौ माता के गोबर से नाग की मूर्ति बनाकर पूजन करें, फिर देखें जीवन में चमत्कार
    भगवान शिव का स्वरुप अद्भुत है। संपूर्ण शरीर पर भस्म, जटाओं में पवित्र गंगा, भाल पर अर्ध चंद्रमा, गले में रुद्राक्ष और सर्पों की माला, हाथ में डमरू एवं त्रिशूल। जो भी उन्हें देखता है , मंत्रमुग्ध रह जाता है। नाग देवता भगवान शिव के गले का श्रृंगार होते हैं, इसलिए श्रावण मास में भगवान शिव के साथ-साथ शिव परिवार और नाग देवता की पूजन किये जाने का विधान है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि नाग पंचम के रूप में जानी जाती है। इस दिन पांच फन वाले नाग देवता की पूजा करके उन्हें चंदन, दूध, खीर, पुष्प आदि अर्पित करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों को सर्प एवं नागों द्वारा काटे जाने का ख़तरा भी नहीं रहता है। ....

  • शनि से डरे नहीं करें, उनकी प्रिय चीजों का करें दान, शनिदेव आपकी किस्मत संवार देंगे
    नौ ग्रहों में शनि एक मात्र ऐसा ग्रह है, जिसे सबसे क्रूर माना जाता है। शनि की साढ़े साती या शनि की ढैया का नाम सुनकर अच्छे-भले जातकों पर भी प्रतिकूल मनोवैज्ञानिक असर पड़ता है। यह सही है कि यदि शनि ग्रह मारकेश या अष्टमेश में हो जाए तो जातक के जीवन में अनिष्ट या अशुभ फल मिलते देखे गए हैं, लेकिन शनि के शुभ ग्रह से युत या दृष्ट होने से शनि की साढ़े साती या ढैया जातक पर कम कुप्रभाव देती है। कई बार जातक को लाभ भी मिलता है। ....

  • कमजोर चंद्र हो तो करें शिवोपासना, अच्छे दिन आने लगेंगे
    पुरुषसूक्त के अनुसार चंद्रमा मनसो जातश्चयो: सूर्यों अजायत अर्थात चंद्रमा मन का कारक है और मन के नियंत्रण और नियमण में चंद्रमा का अहम योगदान है। पूजा अराधना में मन का भटकाव एक बड़ी बाधा बनकर खड़ा हो जाता है। उसे नियंत्रित करना सहज नहीं होता। भगवान शंकर ने चंद्रमा को मस्तक में दृढ़कर रखा है, इसीलिए सावन मास में भगवान शंकर की आराधना करने पर मन में ईश्वर के प्रति एकाग्रता का भाव जागृत होता है। चंद्रमा सोमवार के अधिपति है, इसीलिए शिव को सोमवार अति प्रिय है। श्रावण में सोमवार के दिन पूजा-आराधना का विशेष महत्व है। ....

  • जब कोई ना रहे कोई उम्‍मीद तो करें ये चमत्कारी उपाय,  शर्तिया जिदंगी बदल जाएगी
    जीवन में कई बार ऐसा होता है कि हम करने के सभी काम करते हैं लेकिन फिर भी सफलता या कामयाबी हमसे कोसों दूर चलती है। कभी कोई काम समय पर पूरा नहीं होता। ऐसे में केवल और केवल ज्यो तिष का ही सहारा नजर आता है। लाल किताब के अनुसार ऐसे कई प्रभावी उपाय बताए गए हैं जिनको अमल में लाने से जीवन आसान और सुखद हो जाता है।....

  • कुंडली में हों ऐसे योग तो, राजनीति में बनेगा शानदार करियर
    नीतिकारक ग्रह राहु, सत्ता का कारक सूर्य, न्याय-प्रिय ग्रह गुरु, जनता का हितैषी शनि और नेतृत्व का कारक मंगल जब राज्य-सत्ता के कारक दशम भाव, दशम से दशम सप्तम भाव, जनता की सेवा के छठे भाव, लाभ एवं भाग्य स्थान से शुभ संबंध बनाए तो व्यक्ति सफल राजनीतिज्ञ बनता है। व्यक्ति सफल राजनीतिज्ञ बनेगा या नहीं इसका बहुत कुछ उसके जन्मकालिक ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है। अन्य व्यवसायों एवं करियर की भांति ही राजनीति में प्रवेश करने वालों की कुंडली में भी ज्योतिषीय योग होते हैं। ....

  • मन की शांति और सम्पन्नता के लिए केवल एक माला शिव गायत्री मंत्र है पर्याप्त
    सृष्टि के पालक और संहारक के रूप में सर्वविदित भगवान शिव साक्षात महाकाल हैं, जिनके विभिन्न स्वरूपों की पूजा-अर्चना सभी सनातन धर्म के अनुयायियों द्वारा की जाती है। ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश- इन त्रिदेवों में महेश अर्थात शिव शक्ति के आराध्य देव माने गए हैं। शिव सदैव सक्रिय रहते हैं। जहां शिव तत्व होता है, वहां परिवर्तन की प्रक्रिया सतत रूप से चलती है। समस्त विश्व का कल्याण करने वाले शिव समस्त प्राणियों को दीन-दुखियों की सेवा करने की प्रेरणा देते हैं।....

  • वास्तु के ये चमत्कारी उपाय रोक सकते हैं गृह क्लेशों को, बनी रहेगी शांति
    सामाजिक व्यवस्था में घर-परिवार का अपना महत्व है, जहां सभी सदस्य मिल-जुलकर रहते हैं तथा एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हुए भरण-पोषण की जिम्मेदारी निभाते हैं। परिवार में बने रिश्तों की डोर बड़ी नाजुक होती है, एकता प्रेम और स्नेह भाव बनाए रखने के प्रयास के बावजूद कई बार छोटी-छोटी बातों को लेकर पति-पत्नी, सास-बहू, पिता-पुत्र, भाई-भाई के बीच टकराव और मतभेद हो ही जाता है, जो आपसी कलह का रूप लेने पर परिवार के वातावरण को तनावपूर्ण बना देता है। इस कारण परिवार के सदस्यों के मध्य आपस रिश्ते भी खराब हो जाते हैं। गृह कलह के यूं तो बहुत सारे कारण होते हैं, लेकिन ज्योतिष एवं वास्तु की दृष्टि से गृह कलह ग्रहों के दोषपूर्ण या अशुभ दशा होने अथवा भवन में एक या अनेक वास्तु दोष होने से भी गृह कलह उत्पन्न होने की संभावना बनी रहती है। ....

  • राशि के अनुसार करें महादेव की पूजा, सभी मनोकामनाएं होंगी पूरी
    देवाधिदेव महादेव को प्रिय सावन (श्रावण) मास 10 जुलाई से प्रारम्भ हो गया है। इस मास में आशुतोष भगवान शंकर की पूजा का विशेष महत्व है। पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार श्रावण में ही समुद्र मंथन से निकला विष भगवान शंकर ने पीकर सृष्टि की रक्षा की थी इसलिए इस मास में शिव आराधना करने से भोलेनाथ की कृपा प्राप्त होती है। पूर्णिमा के दिन श्रवण नक्षत्र होने के कारण यह श्रावण या सावन का महिना कहलाता है। श्रवण नक्षत्र का स्वामी चन्द्रमा है। इस मास में सूर्य संक्रांति कर्क राशि में होती है। कर्क का स्वामी भी चंद्रमा है, अतः चंद्रमा के स्वामित्व वाला सोमवार भगवान शंकर को अत्यन्त प्रिय दिन है। श्रवण नक्षत्र के चारों चरण मकर राशि में पडते हैं और मकर राशि का स्वामी ग्रह शनि है। शनि की दशा-अर्न्तदशा और साढ़ेसाती से छुटकारा पाने के लिए श्रावण मास में शिव पूजा अमोघ फलदायी है। इस मास में प्रतिदिन शिवोपासना, पार्थिव शिवपूजा, रुद्राष्टाध्यायी पाठ, महामृत्युंजय जप आदि करने का विशेष महत्व है। शिवार्चन में शिव महिम्न स्तोत्र, शिव ताण्डव स्तोत्र, शिव पंचाक्षर स्तोत्र, शिव मानस पूजा स्तोत्र, रुद्राष्टक, बिल्वाष्टक, लिंगाष्टक, शिवनामावल्याष्टक स्तोत्र, दारिद्रय दहन स्तोत्र आदि के पाठ करने का महत्व है। मंत्र-यंत्रों में सर्वश्रेष्ठ महामृत्युंजय यंत्र (षिव यंत्र) की साधना सावन मास में करना फलदायी होता है। जप तप आदि के लिए यह मास सर्वश्रेष्ठ है।....

  • शिवपूजा के हैं कुछ नियम, रखेंगे याद तो हो जाएंगे निहाल
    श्रावण सभ्यता और संस्कृति को याद दिलाने प्रतिवर्ष आता है। आधुनिक सभ्यता में भाषा की शक्ति चुक गई है, शब्द अर्थ खोकर खोखले हो गए हैं, जो बचा है वह मात्र कोलाहल है। भाषा के शब्द-अर्थहीन हो जाने से उसकी विश्वसनीयता ही खत्म होने के कगार पर है। लेकिन क्या मजेदार है यह सावन का महीना जो हर बार अपने उन्हीं घमंडी घनों के साथ ऐसी सनातन गर्जन करता है जो वह सहस्राब्दियों से करता आ रहा है। आज तक न तो उसकी आवाज बदली और न ही गरजने का अंदाज। सावन से ऋषियों ने अपने अध्यात्म को जोड़ा। सनातन सावन के भीतर की गरज के बीच वे आत्मा को जानने-खोजने निकले। वे सावन के बरसने में भी ईश्वर के अंश को ढूंढ़ रहे हैं। कोई पूछे कि कब से? तो इस प्रश्न का उत्तर अनंत काल होगा। तप: पूत ऋषि कहते हैं कि यदि सूर्य, चंद्र और अग्नि तीनों अस्त हैं, भयानक अंधकार है, वाणी स्तब्ध है, कोई सहारा नहीं है तो ऐसे में पुरुष के पास एकमात्र बच निकलने का साधन, एकमात्र सुरक्षा है आत्मा। कहते हैं सावन में कुछ खास नियमों के साथ पूजा की जाए तो भगवान का पूरा आशीर्वाद मिल सकता है।....

  • केवल 2 मंत्रों के उच्चारण से महादेव भर देंगे झोली, नहीं रहेगी कोई मुराद अधूरी
    भारतीय संस्कृति में धार्मिक कृत्यों का अपना महत्व है। विभिन्न धर्म ग्रंथों, वेद, पुराण आदि में अनेक ऐसे मंत्र और अनुष्ठान दिए गए हैं जिनके द्वारा जटिल से जटिल बीमारियोंए कष्टों, समस्याओं का निवारण सम्भव है। यहां तक कि अकाल मृत्यु और दुर्घटना से बचाव के लिये इन मन्त्रों के विधि पूर्वक जाप किया जा सकता है। ऐसा ही एक मंत्र है महामृत्यंजय मंत्र जिसे रुद्र मंत्र, त्रयम्बकम मंत्र, मृतसंजीवनी मंत्र आदि नामों से जाना जाता है। पद्म पुराण में वर्णित इस मंत्र को महर्षि मार्कण्डेय द्वारा तैयार किया गया था। कहा जाता है कि मार्कण्डेय ही एक मात्र ऐसे ऋषि थे जिन्हें इस महामंत्र का ज्ञान था। महर्षि शुक्राचार्य ने भी इस महामंत्र के द्वारा अमृत सिद्धि प्राप्त की थी। महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव को मृत्यंजय के रूप में समर्पित माना गया है। इस मंत्र के बीज अक्षरों में विशेष शक्ति है। इस मंत्र को ऋग्वेद का ह्रदय भी माना जाता है। मेडिटेशन के लिए इस मंत्र से बेहतर कोई और मंत्र नहीं है। मंत्र की श्रद्धापूर्वक साधना करने से जीवन में अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है तथा और दुर्घटना आदि से बचाव होता है।इस मंत्र को शुद्ध रूप में इस प्रकार पढ़ा जाता है- ....

Home I About Us I Contact I Privacy Policy I Terms & Condition I Disclaimer I Site Map
Copyright © 2024 I Khaskhabar.com Group, All Rights Reserved I Our Team