आपके जन्मांक के अनुसार होगा आपका घर, तो रहेगी खुशहाली, घर में बरसेगा खूब पैसा
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में अंकों का विशेष महत्त्व है। ज्योतिष के समस्त सिद्धांत अंकों पर आधारित गणित से जुड़े हैं। अंक विज्ञान के अनुसार एक से लेकर नौ तक के अंक होते हैं। प्रत्येक अंक का सम्बन्ध किसी न किसी ग्रह से होता है। जन्म की तिथि अथवा हमारे चर्चित नाम के अक्षरों की संख्या के आधार पर मूलांक ज्ञात किया जाता है। मूलांक का प्रभाव जीवन भर बना रहता है। मूलांक के अनुसार हम अपने लिए एक भाग्यशाली घर बना सकते हैं और सुखी एवं संपन्न जिंदगी व्यतीत कर सकते हैं। यदि भवन या प्लाट का नंबर, शहर, गली, मोहल्ला, वाहन आदि का नंबर भी हमारी जन्म तिथि और नामाक्षरों के योग के सामान हो तो ऐसा मूलांक और भी अधिक शुभ फल प्रदान करने वाला होता है। ....
ग्रहों के अनुसार बदलते हैं आपके दिनमान, देखें कैसे चल रहे हैं आपके ग्रह
संसार में पाये जाने वाले समस्त प्राणी, पेड़-पौधे , नदी, पर्वत, मृदा आदि ग्रहों के अधीन होते हैं। कर्मों के अनुसार अच्छा-बुरा जैसा भी फल मिलता है, उसके लिए भी ग्रह उत्तरदायी होते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु नवग्रह कहलाते हैं। इन सभी ग्रहों का अपना-अपना शुभ-अशुभ प्रभाव होता है। इसके अलावा इन सभी ग्रहों की भाग्योदयकाल अवधि तथा विभिन्न राशियों पर भोग की अवधि भी निश्चित होती है।....
पैसों की तंगी दूर करने और रूठी हुई मां लक्ष्मी और कुबेर को मनाने के गुप्त उपाय, बदल जाएगी सोई हुई किस्मत भी
जीवन की मूलभूत ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पास में धन का होना बहुत आवश्यक है। धन के अभाव में मनुष्य को जीवन में कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कई बार तो हालात इतने विकट हो जाते हैं कि एक-एक पैसे के लिए भी संघर्ष करना पडता है। पैसों की तंगी दूर करने और रूठी हुई मां लक्ष्मी और कुबेर को मनाने के गुप्तत उपाय बताए गए हैं, जिनको करने से आपकी सोई हुई किस्मत भी बदल जाएगी। ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्र में ऐसे अनेक उपाय दिए गए हैं, जिन्हें श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से धन की कमी दूर हो सकती है।....
पूजा-पाठ और जप-तप करने के बाद भी शांति नहीं मिले, तो आप कर रहे हैं ये बडी गलतियां
देखा जाता है कि मन की शांति, दौलत-शोहरत के लिए हम लोग पूजा-पाठ, मंत्र, जप, यज्ञ, होम, दान, जड़ी बूटी या रत्न धारण करने जैसे उपाय करते रहेते हैं। लेकिन कई बार इतने सब उपाय करने के बावजूद मनचाहा फल प्राप्त नहीं मिल पाता। ऐसी स्थिति में दोष नसीब या उपाय बताने वाले पंडित या ज्योतिषी पर मढ़ दिया जाता है। लेकिन इसके पीछे कहीं न कहीं हम और हमारे प्रयास या जानकारी का अभाव भी उत्तरदायी होते हैं। ऐसे में बताई जा रही गलतियां ना की जाए तो परिणाम जल्दभ ही अच्छेद आने लगते हैं-....
केवल एक उपाय से होगा मंगल दोष दूर, नहीं आएगी विवाह में कोई समस्या
भले ही कुछ लोग मांगलिक होने को लेकर बड़ा हव्वा बनाते हों लेकिन शास्त्रों के अनुसार मांगलिक होना कोई चिंता की वजह नहीं है। यदि आपके पुत्र या पुत्री की कुंडली मांगलिक है, तो घबराएं नहीं, शास्त्रों में मंगल दोष दूर करने के उपाय लिखित में उपलब्ध हैं। मांगलिक विचार का निर्णय बारीकी से किया जाना चाहिए क्योंकि शास्त्रों में मांगलिक दोष निवारण के तरीके उपलब्ध हैं। शास्त्र वचनों के जिस श्लोक के आधार पर जहां कोई कुंडली मांगलिक बनती है, वहीं उस श्लोक की परिहार (काट) के कई प्रमाण हैं। ....
विज्ञान भी मानता है कि पांव के अंगूठे में है चमत्कारिक शक्ति, चरण स्पर्श करने से बनने लगते हैं बिगडे काम
चरण स्पर्श और चरण वंदना भारतीय संस्कृति में सभ्यता और सदाचार का प्रतीक माना जाता है। आत्मसमर्पण का यह भाव व्यक्ति आस्था और श्रद्धा से प्रकट करता है। यदि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो चरण स्पर्श की यह क्रिया व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से पुष्ट करती है। यही कारण है कि गुरुओं, (अपने से वरिष्ठ) ब्राह्मणों और संत पुरुषों के अंगूठे की पूजन परिपाटी प्राचीनकाल से चली आ रही है। इसी परंपरा का अनुसरण करते हुए परवर्ती मंदिर मार्गी जैन धर्मावलंबियों में मूर्ति पूजा का यह विधान प्रथम दक्षिण पैर के अंगूठे से पूजा आरंभ करते हैं और वहां से चंदन लगाते हुए देव प्रतिमा के मस्तक तक पहुंचते हैं। ....
इन चीजों के दान से बदलेंगे ग्रह, मिलेगी अनंत खुशियां, नहीं रहेगी पैसों की कमी
कुंडली में जब कोई ग्रह विपरीत परिणाम दे रहा हो, बनते काम लगातार बिगड़ रहे हों तो ग्रहों से सम्बंधित उपाय करने चाहिए। ग्रहों की अनुकूलता के लिए उनसे सम्बंधी मंत्रों का जाप, उपवास, नित्य विशिष्ट पूजा के अलावा दान सबसे प्रभावी उपाय माना जाता है। दान कब किया जाए? किन चीजों का दान किया जाए और किनका नहीं यह भी जानना जरूरी है। शास्त्रों में खास तौर पर चार प्रकार के दान बताए गए हैं। पहला नित्यदान। परोपकार की भावना और किसी फल की इच्छा न रखकर यह दान दिया जाता है। दूसरा नैमित्तिक दान। यह दान जाने-अंजाने में किए पापों की शांति के लिए विद्वान ब्राह्मणों को दिया जाता है। तीसरा काम्यदान। संतान, जीत, सुख-समृद्धि और स्वर्ग प्राप्त करने की इच्छा से यह दान दिया जाता है। चौथा दान है विमलदान। यह दान ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए दिया जाता है। ऐसा कहा गया है कि न्यायपूर्वक यानी ईमानदारी से अर्जित किए धन का दसवां भाग दान करना चाहिए। कहते हैं लगातार दान देने वाले से ईश्वर सदैव प्रसन्न रहते हैं।
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ऐसे अंगों वाली महिलाएं होती हैं सौभाग्यशाली, पुरूष ऐसे हों तो चमकेगी किस्मत
कई बार हम लोगों से बिना मिले, बिना देखे ही उनके बारे में धारणा बना लेते हैं, ये धारणाएं कभी सच साबित होती हैं, तो टूटती भी हैं। ऐसा क्या है जो हमें पूर्व में धारणा बनाने के लिए बाध्य करता है और बाद में उस पर टिके रहने के लिए भी। ये हैं हमारी शारीरिक चेष्टाएं और शारीरिक लक्षण। किसी व्यक्ति को देखने के साथ ही हमारे विचार बनने लगते हैं। चाहे वह अजनबी हो या चिर परिचित। हम कई लोगों के बारे में बिना उनसे बात किए या बिना उनकी बातों से सहमत या असहमत हुए भी धारणाएं बना लेते हैं। अधिकांशतया ये धारणाएं सत्य साबित होती हैं और हम सहजता से कह देते हैं कि मैं तो देखते ही पहचान गया था, लेकिन कई बार धारणाएं टूटती हैं, तब हमें आश्चर्य होता है कि मैं तो कुछ और समझ रहा था और यह व्यक्ति उससे हटकर निकला। ऐसा क्या है जो हमें पूर्व में धारणा बनाने के लिए बाध्य करता है और बाद में उस पर टिके रहने के लिए भी। ये हैं हमारी शारीरिक चेष्टाएं और शारीरिक लक्षण।
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इन राशियों के जातक करें प्रोपर्टी में निवेश, हो जाएंगे कुछ दिनों में ही मालामाल
किस व्यक्ति को प्रोपर्टी में निवेश से फायदा होगा या नहीं इसका निर्धारण उसकी जन्मपत्री में इस व्यापार से संबंधित ग्रह व भाव देखने से हो सकता है। जन्म कुंडली के चतुर्थ भाव से जमीन-जायदाद और भू-सम्पत्ति के बारे में विचार किया जाता है। यदि चतुर्थ भाव और उसका स्वामी ग्रह शुभ राशि में, शुभ ग्रह या अपने स्वामी से संयोग करे या एक दूसरे को देखें, किसी पाप ग्रह का इन पर असर न हो, तो जमीन संबंधी व्यापार से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। भूमि का कारक ग्रह मंगल है। इसलिए कुंडली में चतुर्थ भाव, चतुर्थेश और मंगल की शुभ स्थिति से भूमि संबंधी व्यापार से फायदा होगा। भूमि के व्यापार में जमीन का क्रय-विक्रय करना, प्रोपर्टी में निवेश कर लाभ में बेचना इत्यादि शामिल होता है। ऐसे सभी व्यापार का मकसद धन कमाना होता है। लिहाजा भूमि से संबंधित ग्रहों का शुभ संयोग कुंडली के धन (द्वितीय) और आय (एकादश) भाव से भी होना आवश्यक है। चतुर्थ भाव का स्वामी और मंगल उच्च, स्वग्रही या मूल त्रिकोण का होकर शुभ युति में हो और धनेश, लाभेश से संबंध बनाए तो प्रोपर्टी के कारोबार से उत्तम फलों की प्राप्ति होती है। ....
वास्तु के अनुसार होगा भवन का मुख्यद्वार तो नहीं रहेगी पैसों की कमी
भवन का मुख्य द्वार हमारी पारिवारिक स्थिति को दर्शा सकता है। यूं तो लोग अधिकांशतया अपनी सुविधा के अनुसार अपने घर का मुख्य द्वार बनाते हैं। लेकिन हमारे ऋषि-महर्षियों और नारद (नारद स्मृति) वशिष्ठ (वशिष्ठ स्मृति) व मनु (मनु स्मृति) आदि के बताए नियमों के अनुसार हम मुख्य द्वार बनवाएं तो हम वास्तु व ज्योतिष से जुड़े कई दोष और समस्याएं दूर कर सकते हैं।....
बेटी के विवाह में आ रही हो परेशानी तो करें ये उपाय, 15 दिन में मिलेगा मनचाहा वर
ज्योतिषीय कारण जातक की शादी में विलंब के लिए प्रमुख रूप से उत्तरदायी होते हैं। यदि बिटिया की शादी तय होने में बार-बार रुकावट आ रही हो तो शादी से संबंधित बाधक ग्रह-योगों के उपाय करने से शादी के लिए अनुकूल परिस्थितियां पैदा होकर शीघ्र उत्तम घर व वर मिलने में मदद मिलती हैं। कुंडली में विवाह का विचार मुख्यत: सातवें भाव, सप्तमेश, लग्नेश, शुक्र एवं गुरु की स्थिति को ध्यान मे रखकर किया जाता है। सप्तम भाव इसलिए, क्योंकि कुंडली में विवाह से संबंधित भाव यही है। सप्तमेश को देखना इसलिए आवश्यक है क्योंकि वही इस भाव का स्वामी होगा। कन्या की कुंडली में गुरु की स्थिति प्रमुख रूप से विचारणीय होती है क्योंकि उनके लिए गुरु पति का स्थायी कारक है। लग्नेश का सप्तमेश एवं पंचमेश के साथ संबंध भी विवाह को प्रभावित करता है। विवाह संबंधी प्रश्नों में लग्न कुंडली, चंद्र कुंडली और नवमांश कुंडली तीनों से ही विचार करना चाहिए। जन्म कुंडली मे कुछ ऐसे योग होते हैं, जो जातिका के विवाह में विलंब का कारण बनते हैं। ....
आपका नासिका स्वर बता सकता है कि कैसा रहेगा आपका दिन ?
धार्मिक ग्रंथों और ज्योतिष के अनुसार किसी भी शुभ या मांगलिक काम को करने से पहले शुभ मुहूर्त देखा जाता है। ऐसे में अगर नासिका स्वर पर ध्यान दें तो सुखद परिणाम आ सकते हैं। ज्योतिष के अनुसार हमारे शरीर में दो स्वर होते हैं, जिन्हें चंद्र स्वर व सूर्य स्वर कहा जाता है। नाक के दाहिने छिद्र से चलने वाले स्वर को सूर्य स्वर कहते हैं। यह साक्षात शिव का प्रतीक है। जबकि बाएं छिद्र से चलने वाले स्वर को चंद्र स्वर कहते हैं। बाएं स्वर से सांस लेने को इडा और दाहिने से लेने पर उसे पिंगला कहते हैं और दोनों छिद्रों से चलने वाले श्वास को सुषुम्ना स्वर कहते हैं। स्वारोदय यानी स्वर के उदयादि से स्वर पहचान कर शुभाशुभ जानकर कार्य प्रारंभ करना, निश्चित सफलता का सूचक है। यात्रा, राजकीय कार्य, सेवा चाकरी, परीक्षा, साक्षात्कार व विवाह आदि मांगलिक कार्यों में इसकी महत्ता सर्वोपरि है। ....
आपकी जन्मकुंडली में राजयोग हो सकता है, देखें जरूर
विद्वान लोग कहते हैं कि हर जातक की कुंडली में राजयोग होता है लेकिन कुछ जातक उसे पहचानकर मेहनत करने लगते हैं और कुछ उसकी उपेक्षा कर उम्र भर कोसते रहते हैं। ज्यो तिषी कहते हैं कि प्रत्येरक कुंडली में कुछ ऐसे योग भी होते हैं जो उसे औरों से श्रेष्ठ बनाते हैं, जातक को विशेष बनाते हैं। इनमें से कुछ योगों को पहचानने से ही सफलता मिल सकती है। आइए जानें ऐसे ही कुछ चमत्कारी योगों के बारे में-....
तन-मन को प्रसन्न रखने के लिए चंद्र देव को रिझाएं, कृपा मिली तो हो जाएंगे निहाल
चंद्रमा को सुधाकर, सोम, कुमुदप्रिय, कलानिधि के नाम से भी जाना जाता हैं। सत्व गुण प्रधान व मन का स्वामी, या कारक चंद्रमा की भूमिका व्यक्ति के जीवन अहम भूमिका निभाती हैं। जातक के जन्म से ही उसकी जन्म कुंण्डली में कालपुरूष के स्थान निर्धारित हो जाते हैं। आत्मा रवि:शीतकरस्तु चेत: सूर्य आत्मा का व चन्द्र मन का कारक कहा गया हैं।
अक्सर देखा गया है की ऐसे व्यक्तियो की चंचलता कभी-कभी आनन्द प्रिय तो कभी अप्रिय लगने लगती हैं। इसका वास्तविक कारण ही चंद्र से ही होता हैं। ऐसे में इनके लिए ये बेहद जरूरी होता है की ऑफिस,परिवार,आस-पड़ोस आदि कई व्यक्तियों से थोडा संभलकर बात करे। इनकी बाते कभी कभी अखर ही जाती हैं। क्योकि ये बातो-बातो में ही बहुत कुछ खरा-खोटा कह देते हैं।
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20 साल बाद आई है शनिवार को अमावास, इन चमत्कारी उपायों से संवरेगी किस्मत
शनिवार के दिन अमावस्या का पड़ना कई कारणों से काफी मायने रखती हैं। शनि ग्रह को सीमा ग्रह भी कहा जाता है, क्योंकि मान्यता के अनुसार जहां पर सूर्य का प्रभाव खत्म हो जाता है वहीं से शनि का प्रभाव शुरू होता है। ज्योतिषाचार्यो के अनुसार अब से पहले यह योग साल 2007 में बना था और अब फिर 10 साल बाद आया है। गौरतलब है कि इसके बाद 20 सालों में यह योग 2037 में बनने की सम्भावना है। सभी जातकों को बिना मौका गवाएं इस शनि अमावस्या पर बाबा भैरव के साथ ही शनि देव की पूजा-पाठ पूरे विधि-विधान से करना चाहिए। इस अवसर पर दान देने से शनि की दशा सही होने लगती है और आपकी सोई हुइ किस्मत भी संवरने लगती है।....