विधि-विधान से धारण किया रत्न कर सकता है वारे न्यारे, बिगाड भी सकता है ग्रहों की चाल
रत्न शब्द श्रेष्टता का द्योतक है जो विधिवत प्राण-प्रतिष्टित करके शुभ नक्षत्र और शुभ वार को धारण करने से निर्बल ग्रहों के अशुभ प्रभाव को दूर करके जीवन में सुख, शांति, धन, मान-सम्मान, आरोग्य, संतान, विवाह सुख, राज्य लाभ, भूत-प्रेत बाधा मुक्ति आदि लाने में सहायक होते हैं। रत्नों के शुभ प्रभाव की प्राप्ति के लिए रत्न धारण करते समय मन में अश्रद्धा, अपवित्र और दूषित भावना नहीं होनी चाहिए। रत्न धारण करते समय यह सुनिश्चित कर चाहिए कि धारण किये जाने वाला रत्न दोषरहित हो अर्थात उसमें किसी तरह का कोई धब्बा, गड्ढा, छिद्र आदि न हो तथा वह टूटा या चटका हुआ न हो।
अगर रत्न धारण करने के बाद जातक को किसी भी तरह की परेशानी, घबराहट, बेचैनी, दुर्घटना, चोरी, पारिवारिक कलह, व्यापार में घाटा, क्रोध अथवा मानसिक तनाव जैसे प्रतिकूल प्रभाव नजर आने लगें तो तत्काल धारण किये गए रत्न को उतार देना चाहिए। चूंकि रत्न अधिक कीमती होते हैं इसलिए उनकी जगह उप-रत्न भी धारण किये जा सकते हैं। यहाँ हम रत्न धारण करने के सामान्य नियमों की जानकारी सुधी पाठकों को दे रहे हैं।
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दिल से जुडे रोगों का निदान है ज्योतिष में, एक बार आजमाकर देखेंगे तो दंग रह जाएंगे
ज्योतिष शास्त्र के साथ-साथ वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध किया है कि दोषपूर्ण ग्रह, नक्षत्र और मनुष्य द्वारा पूर्व जन्म में किये गए अशुभ कर्मों के परिणाम स्वरुप इस जन्म में शारीरिक और मानसिक रोग उत्पन्न होते हैं। हृदय मनुष्य के शरीर का सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंग है जो सदैव गतिशील रहकर समस्त अंग-प्रत्यंगों में रक्त की आपूर्ति करता है। हृदय गति रुक जाने का अर्थ मनुष्य की मृत्यु होने से लगाया जाता है। ....
इन मंत्रों के जाप से नौकरी खिंची चली आएगी, सरकारी नौकरी के बनने लगते हैं योग
समाज का ताना-बाना इस तरह से बुना गया है कि युवा होने के साथ ही नौकरी पाने का तनाव बढने लगता है। कई बार कम उम्र ही नौकरी लग जाती है तो कई बार चाहते हुए भी नौकरी नहीं मिल पाती। कई बार तो दर-दर की ठोकरें खाने के बाद भी ईशकृपा नहीं हो पाती। ऐसे में निराशा व्यक्ति को घेरने लगती है और वह तनाव का शिकार होने लगता है। लेकिन घबराएं नहीं दोस्तो , हमारे वेद, पुराणों और ज्योतिष में इस नैराश्य के भंवर से निकलने के भी रास्ते बताए गए हैं, जिन्हें अपनाकर कुछ ही दिनों में मनचाहा रोजगार पाया जा सकता है। भले ही आपको यकीन ना आए लेकिन यह सच है और कई लोगों द्वारा परखा हुआ भी है। पुराणों के द्वारा कई ऐसे मंत्र बताए गए हैं, जिनके उच्चारण मात्र से रोजगार सजृन होने लगता है यानी कि नौकरी आपकी ओर खिंचने लगती है कई बार तो राजयोग और सरकारी नौकरी के भी योग बनने लगते हैं। आइए जानें कि किस राशि वाले जातक को क्या खास उपाय और मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए- ....
प्रवेश द्वार पर काले घोडे की नाल लक्ष्मी को बुलाती है
पैसों की कमी और बुरी नजर से ज्याेदातर लोगों को परेशान करती है। ऐसे में ज्योातिष में कई उपाय बताए गए हैं लेकिन उनमें सबसे प्रभावी और परखा हुआ उपाय है घोडे की नाल। अपने घर या आफिस को बुरी नजर और दरिद्रता से बचाने के लिए काले घोड़े की नाल का उपयोग करना चाहिए। यह दो प्रकार की होती है। एक तो वह जो अंगूठी के तरह होती है जिसे हाथ में मध्यमा अंगुली में धारण किया जाता है और एक वह जो यू आकृति की होती है, जिसे घर, ऑफिस, दुकान आदि में लगाया जाता है। नाल किस तरह आपके लिए मददगार हो सकती जानें इस खास आलेख में-....
रमल ज्योतिष के बारे में जानते हैं आप? इसके अनुसार करेंगे देवों की आराधना तो तकदीर संवर जाएगी
रमल (अरबी ज्योतिष) शास्त्र में जातक यानी कि प्रश्नकर्ता रमल ज्योतिष के विद्वान से प्रश्न करें कि किस देवी-देवता कि आराधना करें। जिससे लाभ-शान्ति, पारिवारिक बढत, भौतिक सम्पदा, धन-धान्य में वृद्वि, शान्ति, सन्तान सुख, ख्यातिमय इत्यादि हो। इस वास्ते पासे जिसे अरबी भाषा में कुरा कहते हैं। किसी शुद्व पवित्र स्थान पर डलवाए जाते है। यह सारी प्रक्रिया विद्वान के समक्ष होती है। यदि जातक विद्धान के सम्मुख ना हो तो नवीन शोध विषय के अनुसार प्रश्न-फार्म के माध्यम से भी यह कार्य सम्पादित किया जा सकता है। रमल (अरबी ज्योतिष) शास्त्र में जीवन के सारे के प्रश्नों के जबाव मय समाधान बिना कुण्डली के किए जाते हैं। ....
क्या आप जानते हैं हम नमस्ते क्यों करते है, कई आध्यात्मिक राज छिपे हैं इसमें
हमारे शास्त्रों में पांच प्रकार के पारंम्परिक अभिवादनों के बारे में बताया गया है जिसमें से नमस्कार एक है। इसे साष्टांग प्रणाम के रूप में लिया जाता है परंतु वास्तव में इसका अभिप्राय श्रृद्धा से है जैसा कि हम वर्तमान में करते हैं, जब हम एक दूसरे का नमस्ते के द्वारा अभिवादन करते हैं। ....
आपके जन्मांक के अनुसार होगा आपका घर, तो रहेगी खुशहाली, घर में बरसेगा खूब पैसा
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में अंकों का विशेष महत्त्व है। ज्योतिष के समस्त सिद्धांत अंकों पर आधारित गणित से जुड़े हैं। अंक विज्ञान के अनुसार एक से लेकर नौ तक के अंक होते हैं। प्रत्येक अंक का सम्बन्ध किसी न किसी ग्रह से होता है। जन्म की तिथि अथवा हमारे चर्चित नाम के अक्षरों की संख्या के आधार पर मूलांक ज्ञात किया जाता है। मूलांक का प्रभाव जीवन भर बना रहता है। मूलांक के अनुसार हम अपने लिए एक भाग्यशाली घर बना सकते हैं और सुखी एवं संपन्न जिंदगी व्यतीत कर सकते हैं। यदि भवन या प्लाट का नंबर, शहर, गली, मोहल्ला, वाहन आदि का नंबर भी हमारी जन्म तिथि और नामाक्षरों के योग के सामान हो तो ऐसा मूलांक और भी अधिक शुभ फल प्रदान करने वाला होता है। ....
ग्रहों के अनुसार बदलते हैं आपके दिनमान, देखें कैसे चल रहे हैं आपके ग्रह
संसार में पाये जाने वाले समस्त प्राणी, पेड़-पौधे , नदी, पर्वत, मृदा आदि ग्रहों के अधीन होते हैं। कर्मों के अनुसार अच्छा-बुरा जैसा भी फल मिलता है, उसके लिए भी ग्रह उत्तरदायी होते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु नवग्रह कहलाते हैं। इन सभी ग्रहों का अपना-अपना शुभ-अशुभ प्रभाव होता है। इसके अलावा इन सभी ग्रहों की भाग्योदयकाल अवधि तथा विभिन्न राशियों पर भोग की अवधि भी निश्चित होती है।....
पैसों की तंगी दूर करने और रूठी हुई मां लक्ष्मी और कुबेर को मनाने के गुप्त उपाय, बदल जाएगी सोई हुई किस्मत भी
जीवन की मूलभूत ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पास में धन का होना बहुत आवश्यक है। धन के अभाव में मनुष्य को जीवन में कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कई बार तो हालात इतने विकट हो जाते हैं कि एक-एक पैसे के लिए भी संघर्ष करना पडता है। पैसों की तंगी दूर करने और रूठी हुई मां लक्ष्मी और कुबेर को मनाने के गुप्तत उपाय बताए गए हैं, जिनको करने से आपकी सोई हुई किस्मत भी बदल जाएगी। ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्र में ऐसे अनेक उपाय दिए गए हैं, जिन्हें श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से धन की कमी दूर हो सकती है।....
पूजा-पाठ और जप-तप करने के बाद भी शांति नहीं मिले, तो आप कर रहे हैं ये बडी गलतियां
देखा जाता है कि मन की शांति, दौलत-शोहरत के लिए हम लोग पूजा-पाठ, मंत्र, जप, यज्ञ, होम, दान, जड़ी बूटी या रत्न धारण करने जैसे उपाय करते रहेते हैं। लेकिन कई बार इतने सब उपाय करने के बावजूद मनचाहा फल प्राप्त नहीं मिल पाता। ऐसी स्थिति में दोष नसीब या उपाय बताने वाले पंडित या ज्योतिषी पर मढ़ दिया जाता है। लेकिन इसके पीछे कहीं न कहीं हम और हमारे प्रयास या जानकारी का अभाव भी उत्तरदायी होते हैं। ऐसे में बताई जा रही गलतियां ना की जाए तो परिणाम जल्दभ ही अच्छेद आने लगते हैं-....
केवल एक उपाय से होगा मंगल दोष दूर, नहीं आएगी विवाह में कोई समस्या
भले ही कुछ लोग मांगलिक होने को लेकर बड़ा हव्वा बनाते हों लेकिन शास्त्रों के अनुसार मांगलिक होना कोई चिंता की वजह नहीं है। यदि आपके पुत्र या पुत्री की कुंडली मांगलिक है, तो घबराएं नहीं, शास्त्रों में मंगल दोष दूर करने के उपाय लिखित में उपलब्ध हैं। मांगलिक विचार का निर्णय बारीकी से किया जाना चाहिए क्योंकि शास्त्रों में मांगलिक दोष निवारण के तरीके उपलब्ध हैं। शास्त्र वचनों के जिस श्लोक के आधार पर जहां कोई कुंडली मांगलिक बनती है, वहीं उस श्लोक की परिहार (काट) के कई प्रमाण हैं। ....
विज्ञान भी मानता है कि पांव के अंगूठे में है चमत्कारिक शक्ति, चरण स्पर्श करने से बनने लगते हैं बिगडे काम
चरण स्पर्श और चरण वंदना भारतीय संस्कृति में सभ्यता और सदाचार का प्रतीक माना जाता है। आत्मसमर्पण का यह भाव व्यक्ति आस्था और श्रद्धा से प्रकट करता है। यदि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो चरण स्पर्श की यह क्रिया व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से पुष्ट करती है। यही कारण है कि गुरुओं, (अपने से वरिष्ठ) ब्राह्मणों और संत पुरुषों के अंगूठे की पूजन परिपाटी प्राचीनकाल से चली आ रही है। इसी परंपरा का अनुसरण करते हुए परवर्ती मंदिर मार्गी जैन धर्मावलंबियों में मूर्ति पूजा का यह विधान प्रथम दक्षिण पैर के अंगूठे से पूजा आरंभ करते हैं और वहां से चंदन लगाते हुए देव प्रतिमा के मस्तक तक पहुंचते हैं। ....
इन चीजों के दान से बदलेंगे ग्रह, मिलेगी अनंत खुशियां, नहीं रहेगी पैसों की कमी
कुंडली में जब कोई ग्रह विपरीत परिणाम दे रहा हो, बनते काम लगातार बिगड़ रहे हों तो ग्रहों से सम्बंधित उपाय करने चाहिए। ग्रहों की अनुकूलता के लिए उनसे सम्बंधी मंत्रों का जाप, उपवास, नित्य विशिष्ट पूजा के अलावा दान सबसे प्रभावी उपाय माना जाता है। दान कब किया जाए? किन चीजों का दान किया जाए और किनका नहीं यह भी जानना जरूरी है। शास्त्रों में खास तौर पर चार प्रकार के दान बताए गए हैं। पहला नित्यदान। परोपकार की भावना और किसी फल की इच्छा न रखकर यह दान दिया जाता है। दूसरा नैमित्तिक दान। यह दान जाने-अंजाने में किए पापों की शांति के लिए विद्वान ब्राह्मणों को दिया जाता है। तीसरा काम्यदान। संतान, जीत, सुख-समृद्धि और स्वर्ग प्राप्त करने की इच्छा से यह दान दिया जाता है। चौथा दान है विमलदान। यह दान ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए दिया जाता है। ऐसा कहा गया है कि न्यायपूर्वक यानी ईमानदारी से अर्जित किए धन का दसवां भाग दान करना चाहिए। कहते हैं लगातार दान देने वाले से ईश्वर सदैव प्रसन्न रहते हैं।
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ऐसे अंगों वाली महिलाएं होती हैं सौभाग्यशाली, पुरूष ऐसे हों तो चमकेगी किस्मत
कई बार हम लोगों से बिना मिले, बिना देखे ही उनके बारे में धारणा बना लेते हैं, ये धारणाएं कभी सच साबित होती हैं, तो टूटती भी हैं। ऐसा क्या है जो हमें पूर्व में धारणा बनाने के लिए बाध्य करता है और बाद में उस पर टिके रहने के लिए भी। ये हैं हमारी शारीरिक चेष्टाएं और शारीरिक लक्षण। किसी व्यक्ति को देखने के साथ ही हमारे विचार बनने लगते हैं। चाहे वह अजनबी हो या चिर परिचित। हम कई लोगों के बारे में बिना उनसे बात किए या बिना उनकी बातों से सहमत या असहमत हुए भी धारणाएं बना लेते हैं। अधिकांशतया ये धारणाएं सत्य साबित होती हैं और हम सहजता से कह देते हैं कि मैं तो देखते ही पहचान गया था, लेकिन कई बार धारणाएं टूटती हैं, तब हमें आश्चर्य होता है कि मैं तो कुछ और समझ रहा था और यह व्यक्ति उससे हटकर निकला। ऐसा क्या है जो हमें पूर्व में धारणा बनाने के लिए बाध्य करता है और बाद में उस पर टिके रहने के लिए भी। ये हैं हमारी शारीरिक चेष्टाएं और शारीरिक लक्षण।
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इन राशियों के जातक करें प्रोपर्टी में निवेश, हो जाएंगे कुछ दिनों में ही मालामाल
किस व्यक्ति को प्रोपर्टी में निवेश से फायदा होगा या नहीं इसका निर्धारण उसकी जन्मपत्री में इस व्यापार से संबंधित ग्रह व भाव देखने से हो सकता है। जन्म कुंडली के चतुर्थ भाव से जमीन-जायदाद और भू-सम्पत्ति के बारे में विचार किया जाता है। यदि चतुर्थ भाव और उसका स्वामी ग्रह शुभ राशि में, शुभ ग्रह या अपने स्वामी से संयोग करे या एक दूसरे को देखें, किसी पाप ग्रह का इन पर असर न हो, तो जमीन संबंधी व्यापार से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। भूमि का कारक ग्रह मंगल है। इसलिए कुंडली में चतुर्थ भाव, चतुर्थेश और मंगल की शुभ स्थिति से भूमि संबंधी व्यापार से फायदा होगा। भूमि के व्यापार में जमीन का क्रय-विक्रय करना, प्रोपर्टी में निवेश कर लाभ में बेचना इत्यादि शामिल होता है। ऐसे सभी व्यापार का मकसद धन कमाना होता है। लिहाजा भूमि से संबंधित ग्रहों का शुभ संयोग कुंडली के धन (द्वितीय) और आय (एकादश) भाव से भी होना आवश्यक है। चतुर्थ भाव का स्वामी और मंगल उच्च, स्वग्रही या मूल त्रिकोण का होकर शुभ युति में हो और धनेश, लाभेश से संबंध बनाए तो प्रोपर्टी के कारोबार से उत्तम फलों की प्राप्ति होती है। ....