मंत्र जाप के साथ करें पंचदेवों की पूजा, खुशहाली के साथ होगी सुख-समृद्धि

वैसे तो हिन्दू धर्मशास्त्रों में हर किसी न किसी देवी देवता का बताया गया है। व्यक्ति अपनी श्रद्धा और भक्ति भावना के अनुसार उनकी पूजा अर्चना करता है। धार्मिक ग्रंथों में पंचदेव बताए गए हैं जिनकी रोजाना पूजा की जानी चाहिए। पंचदेव के नियमित पूजन से बिना किसी विघ्न के सभी काम पूरे होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि के साथ खुशहाली आती है। हिंदू धर्म में किसी भी मांगलिक कार्य में पंचदेव की पूजा का विधान है। इन पंचदेवों की पूजा अर्चना उनसे जुड़े मंत्रों के साथ ही की जाती है।


भगवान गणेश

इन्हें सभी देवों में प्रथम पूजनीय का वरदान प्राप्त है। इसलिए हर कार्य में सर्वप्रथम गणेश जी का ध्यान व आराधना की जाती है। इनके पूजन से आरंभ किया गया कार्य बिना किसी विघ्न के पूर्ण हो जाता है। इसलिए इन्हें विघ्नहर्ता और विघ्नविनाशक भी कहा जाता है। भगवान गणेश का पूजन करते समय सिंदूर, मोदक या लड्डू और दूर्वा की गांठे अवश्य अर्पित करनी चाहिए। प्रतिदिन गणेश जी के इस मंत्र का जाप करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है व आपके जीवन से सभी विघ्न बाधाएं दूर हो जाती हैं।
ऊँ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुद्धि प्रचोदयात।।

भगवान विष्णु
भगवान विष्णु इस जगत के पालन हार हैं। धार्मिक मान्यतानुसार, इनकी पूजा से घर में सुख-शांति व सौभाग्य का आगमन होता है व आपके जीवन के सभी दुखों का नाश होता है। भगवान विष्णु को पीला रंग प्रिय है। इनकी पूजा में पीली चीजों का प्रयोग करना चाहिए। जैसे पीले पुष्प, पीले मिष्ठान, पीले वस्त्र, पीला भोजन व पीला तिलक आदि। भगवान विष्णु की पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
ऊँ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकेकनाथम।

देवी दुर्गा

मां दुर्गा को प्रकृति कहा गया है। ये आदिशक्ति स्वरूपा हैं। इनकी पूजा से साधक के सभी कष्ट, विघ्न-बाधाएं दूर हो जाते हैं। मां दुर्गा की आराधना करने से साधक को आत्मविश्वास व सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मां दुर्गा की पूजा में लाल रंग की चीजें जैसे श्रंगार का सामान, लाल चुनरी, लाल फूल, कुमकुम और नारियल आदि अर्पित करना चाहिए। इनका पूजन करते समय इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥


भगवान शिव
भगवान शिव देवों के देव हैं। धार्मिक मान्यता अनुसार, इनकी आराधना से सब संभव हो जाता है। भगवान शिव के विषय में उल्लेख मिलता है कि यदि श्रद्धा भाव से इन्हें केवल एक लोटा जल और बिल्वपत्र अर्पित कर दिया जाए तो भी ये प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों के सभी कष्ट, रोग-दोष आदि को हर लेते हैं। शिव जी की पूजा में मुख्य रूप से बिल्व पत्र,चंदन, धतूरा गंगाजल व दूध आदि चीजें अर्पित की जाती हैं। शिव जी की पूजा करते समय उनके इस मंत्र का जाप करना चाहिए। मान्यता है कि इस मंत्र के जाप से अकाल मृत्यु का भय भी दूर हो जाता है।
ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्,
उर्वारुकमिव बन्धनानत् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥


सूर्य देव
पंचदेवों में सूर्य देव एक मात्र ऐसे देवता हैं, जिनके दर्शन हम प्रतिदिन प्रत्यक्ष रूप से कर सकते हैं। सनातन धर्म में नियमित रूप से सूर्य की साधना करने का विशेष महत्व माना गया है। जातक को प्रतिदिन तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें सिंदूर, अक्षत और लाल फूल डालकर उगते सूर्य को जल देना चाहिए और सूर्य देव को अघ्र्य देते इस मंत्र का जप करना चाहिए।
ऊँ सूर्याय नम:

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