शिवरात्रि पर करें इन नियमों के साथ पूजा, शिव की कृपा तुरंत बरसने लगेगी
Astrology Articles I Posted on 23-02-2017 ,22:34:01 I by: Amrit Varsha
महादेव को रिझाना सबसे आसान काम है। कहते हैं कि पूजा के समय अगर कुछ खास नियमों को देख पूजा कर ली जाए तो महादेव तुरंत प्रसन्न होकर जातक को आशीर्वाद देने लगते हैं।
पूजा के समय चंदन, भस्म, त्रिपुण्ड और रुद्राक्ष माला ये शिव पूजन के लिए विशेष सामग्री हैं जो पूजा के समय शरीर पर होनी चाहिए।
शिवलिंग अथवा अपने ललाट पर तिलक-त्रिपुण्डविधि विधान से लगाना चाहिए। सर्वप्रथम अंगूठे से ऊधर्वपुण्ड (नीचे से ऊपर की ओर) लगाने के बाद मध्यमा और अनामिका उंगली से बांईं ओर से प्रारम्भ कर दाहिनी ओर भस्म लगानी चाहिए। इसके बाद तीसरी रेखा अंगूठे से दाहिनी ओर से आरम्भ कर बाईं ओर लगाएं। इस प्रकार तीन रेखाएं खिंच जाती हैं, जिसे त्रिपुंड कहते हैं। इन रेखाओं के बीच का स्थान रिक्त रखें। इसके बाद ओम नम: शिवाय बोलते हुए ललाट, गर्दन, भुजाओं और हृदय पर भस्म लगाएं।
शिव की पूजा में दूर्वा और तुलसी मंजरी से पूजा श्रेष्ठ मानी जाती है। शंकर की पूजा में तिल का निषेध है।
शिवजी को सभी पुष्प प्रिय हैं। केवल चम्पा और केतकी के पुष्प का निषेध है। नागकेशर, जवा, केवडा तथा मालती का पुष्प भी नहीं चढ़ाया जाता है।
निश्चित संख्या में जूही के फूल चढ़ाने से धन धान्य की कमी नहीं रहती है। हार सिंगार के पुष्प अर्पण करने से सुख सम्पत्ति की वृद्धि होती है।
भांग एवं सफेद आक के पुष्प चढ़ाने से भोले शंकर शुभ आशीर्वाद प्रदान करते हैं। बिल्वपत्र, कमलपुष्प, कमलगटा के बीज चढ़ाने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
पुत्र प्राप्ति के लिए धतूरे के पुष्प अर्पण करें। राई के पुष्पों द्वारा पूजन करने से शत्रुओं का नाश होता है।
शंकर की पूजा में बिल्वपत्र प्रधान है, किन्तु बिल्वपत्र में चक्र और बज्र नहीं होना चाहिए। कीड़ों के द्वारा बनाया हुआ सफेद चिन्ह चक्र कहलाता है और बिल्व पत्र में डण्ठल की ओर जो थोडा सा मोटा भाग होता है वह बज्र कहा जाता है। वह भाग तोड़ देना चाहिए।
बिल्वपत्र चढ़ाते समय बिल्व पत्र का चिकना भाग मूर्ति की ओर रहे अर्थात उलटा चढ़ाएं अन्य फल पुष्प जैसे उगते हैं वैसे ही सीधे चढ़ाने चाहिए।
शिवलिंग पर आक, धतूरा, कनेर तथा नील कमल के पुष्प अर्पण करने से पुण्यफल प्राप्त होता है।
शिवलिंग पर चढ़े हुए फल, फूल, नैवैद्य, पत्र्र एवं जल ग्रहण करना निषिद्ध है।
यदि शालिग्राम से उनका स्पर्श हो जाए तो वे ग्रहण करने योग्य हो जाते हैं। ज्योर्तिलिंग पर चढ़े हुए जल, पदार्थ आदि ग्रहण करने योग्य होते हैं।
शंकरजी के मंदिर में आधी परिक्रमा करें, जलहरी से निकलने वाले जल की धारा का उल्लंघन नहीं करें।
भगवान शंकर के पूजन के समय करताल नहीं बजाया जाता है।
शिव मंदिर में सफाई-झाडू करने वाले शिव भक्त की मनोकामना पूरी होती है।
3 दिन में बदल जाएगी किस्मत, आजमाएं ये वास्तु टिप्स इस पेड की पूजा से लक्ष्मी सदा घर में रहेगी
क्या आप परेशान हैं! तो आजमाएं ये टोटके