पद-प्रतिष्ठा के लिए देवी कूष्मांडा की, कला-व्यवसाय में कामयाबी के लिए देवी स्कंदमाता की आराधना करे
Vastu Articles I Posted on 01-02-2025 ,06:34:45 I by:

नवरात्रि का चौथा दिन - 2 फरवरी 2025 रविवार, चतुर्थी, कूष्माण्डा पूजा, स्कन्दमाता पूजा
दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दरिद्रादि विनाशनीम्।
जयंदा धनदा कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
जगतमाता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।
चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यसुन्दरी त्वंहि दुःख शोक निवारिणीम्।
परमानन्दमयी, कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
देवी कूष्मांडा....
आप दुर्भाग्य का नाश करने वाली, दरिद्रता आदि का नाश करने वाली हैं.
जयंदा, धन की दाता, कूष्मांडा को नमस्कार है.
ब्रह्माण्ड की माता, ब्रह्माण्ड की निर्माता, ब्रह्माण्ड का आधार बनी.
मैं सभी चर और अचर प्राणियों की देवी कुष्मांडा को प्रणाम करता हूं.
आप तीनों लोकों में सबसे सुंदर हैं और दुःख और शोक को दूर करने वाली हैं,
मैं परम आनंद से परिपूर्ण कुष्मांडा को प्रणाम करता हूं!
देवी दुर्गा के नौ रूप हैं, जिनकी नवरात्रि में आराधना की जाती है.
देवी दुर्गा का चौथा स्वरूप कूष्मांडा है. देवी कूष्मांडा, सिंह पर सवार हैं और सूर्यलोक में निवास करती हैं, जो क्षमता किसी भी अन्य देवी-देवता में नहीं है, इसलिए जब कोई कारक ग्रह अस्त हो जाए तो देवी कूष्मांडा की आराधना करनी चाहिए.
देवी कूष्मांडा अष्टभुजा धारी हैं और अस्त्र-शस्त्र के साथ माता के एक हाथ में अमृत कलश भी है. देवी कूष्मांडा की पूजा-अर्चना से असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है.
देवी कूष्मांडा की पूजा-अर्चना से सूर्य ग्रह की अनुकुलता प्राप्त होती है इसलिए सिंह राशिवालों को देवी की आराधना से संपूर्ण सुख की प्राप्ति होती है.
जिन श्रद्धालुओं की सूर्य की दशा-अन्तरदशा चल रही हो उन्हें भी देवी कूष्मांडा की पूजा-अर्चना करनी चाहिए.
सम्मान, सफलता आदि की कामना रखनेवाले श्रद्धालुओं को देवी कूष्मांडा की आराधना करनी चाहिए.
जिन श्रद्धालुओं के पिता से मतभेद हों वे संकल्प लेकर देवी कूष्मांडा की आराधना करें, विवाद से राहत मिलेगी.
नमामि स्कन्दमाता स्कन्दधारिणीम्।
समग्रतत्वसागरम् पारपारगहराम्॥
शिवाप्रभा समुज्वलां स्फुच्छशागशेखराम्।
ललाटरत्नभास्करां जगत्प्रदीप्ति भास्कराम्॥
महेन्द्रकश्यपार्चितां सनत्कुमार संस्तुताम्।
सुरासुरेन्द्रवन्दिता यथार्थनिर्मलाद्भुताम्॥
अतर्क्यरोचिरूविजां विकार दोषवर्जिताम्।
मुमुक्षुभिर्विचिन्तितां विशेषतत्वमुचिताम्॥
नानालङ्कार भूषिताम् मृगेन्द्रवाहनाग्रजाम्।
सुशुध्दतत्वतोषणां त्रिवेदमार भूषणाम्॥
सुधार्मिकौपकारिणी सुरेन्द्र वैरिघातिनीम्।
शुभां पुष्पमालिनीं सुवर्णकल्पशाखिनीम्
तमोऽन्धकारयामिनीं शिवस्वभावकामिनीम्।
सहस्रसूर्यराजिकां धनज्जयोग्रकारिकाम्॥
सुशुध्द काल कन्दला सुभृडवृन्दमज्जुलाम्।
प्रजायिनी प्रजावति नमामि मातरम् सतीम्॥
स्वकर्मकारणे गतिं हरिप्रयाच पार्वतीम्।
अनन्तशक्ति कान्तिदां यशोअर्थभुक्तिमुक्तिदाम्॥
पुनः पुनर्जगद्धितां नमाम्यहम् सुरार्चिताम्।
जयेश्वरि त्रिलोचने प्रसीद देवी पाहिमाम्॥
देवी दुर्गा का पांचवां स्वरूप स्कंदमाता है.
देवी स्कंदमाता, सिंह पर सवार हैं. देवी स्कन्दमाता की चार भुजाएं हैं, माता अपने दोनों हाथों में कमल का फूल धारण करती हैं और एक हाथ सें भगवान कार्तिकेय को अपनी गोद में लिये बैठी हैं, जबकि माता का चौथा हाथ श्रद्धालुओं को आशीर्वाद प्रदान करता है.
जो व्यक्ति जाने/अनजाने भ्रूण हत्या जैसे अपराध में प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष शामिल रहे हों उन्हें देवी स्कन्दमाता से सच्चे दिल से क्षमा मांगनी चाहिए और पूजा-अर्चना करके प्रायश्चित व्रत करना चाहिए, साथ ही भविष्य में ऐसी गलती नहीं करने का संकल्प लेना चाहिए.
देवी स्कंदमाता की पूजा-अर्चना से बुध ग्रह की अनुकूलता प्राप्त होती है इसलिए मिथुन और कन्या राशिवालों को देवी की आराधना से संपूर्ण सुख की प्राप्ति होती है.
जिन श्रद्धालुओं की बुध की दशा-अंतर्दशा चल रही हो उन्हें भी देवी स्कन्दमाता की पूजा-अर्चना करनी चाहिए.
कला/व्यवसाय के क्षेत्र में सफलता के लिए श्रद्धालुओं को देवी स्कंदमाता की आराधना करनी चाहिए.
जिन श्रद्धालुओं के बहन/बेटी से मतभेद हों वे संकल्प लेकर देवी स्कन्दमाता की आराधना करें, विवाद से राहत मिलेगी.
-प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी, बॉलीवुड एस्ट्रो एडवाइजर