जनिए क्यों रख जाता है वट सावित्री व्रत
Astrology Articles I Posted on 01-06-2016 ,16:23:01 I by:
वट सावित्री व्रत, भारतीय सभ्यता में इस व्रत का खूब महत्व माना जाता है, ऐसा माना जाता है इस दिन सावित्री यमराज से अपने पति सत्यभामा के प्राण वापस ले आई थी और उसी दिन से उन्हें सती सावित्री का नाम दे दिया गया। यह व्रत विवाहित औरतों के लिए माना जाता है , ऐसा माना जाता है जो स्त्री इस व्रत को रखती है उसके घर में सुख शांति प्रवेश करती है और आने वाले दुःख दर्द खत्म हो जाते है व बच्चों का अच्छे से विकास होता है।
जानकारी के लिए बता दें वट का मतलब बरगद का पेड़ है, जिसमे तीन देवताओ का वास होता है। जड़ में स्वयं ब्रह्मा जी रहते है, बीच में विष्णु जी विराजमान होते है और सबसे ऊपर शिव जी का राज होता है और बाकी लटकती हुई डालियों को स्वयं सती का रूप माना गया है। इसीलिए इस वृक्ष के नीचे बैठकर पूजा करी जाती है जिससे सभी की मनोकामनाएं पूरी होती है।
वट सावित्री व्रत को मनाने का तरीका करवाचौथ के जैसा ही है, वट सावित्री व्रत को कई लोग 3 दिन तक बिना खाए रखते है, लेकिन आजकल लोग भूखे न रहने के कारण रात में ही खाना का लेते है और दुसरे दिन फलहार करते है व तीसरे दिन व्रत रखते है और शाम को पूजा के बाद ये व्रत पूरा होता है। इस दिन महिलाएं जोड़े में तैयार होती है ,पूरा श्रृंगार करती है।
वट सावित्री व्रत के दिन महिलाएं बरगद के पेड़ के नीचे पूजा करती है व पूजा के बाद भोजन करती है। इस व्रत में सबसे पहले बांस से बनी टोकरी ली जाती है जिसमे सात तरह के अनाज रखे जाते है साथ में धुप, दीप, अक्षत, मोटी भी रखे जाते है। बरगद के पेड़ को जल व कुमकुम चढ़ाया जाता है फिर लाल से महिलाएं बरगद के पेड़ को बांधती है, इसके बाद सभी औरते सावित्री की कथा सुनती है।