भगवान शिव क्यों धारण करते है मस्तक पर चंद्रमा
Astrology Articles I Posted on 12-08-2016 ,11:08:29 I by:
हर तस्वीर में, हर मूर्ति में, हर जगह भगवान शंकर के सिर पर चंद्रमा दिखाया
जाता है। क्या आप जाने है, शिवजी और उनके सिर पर चंद्रमा का क्या संबंध
है। आज आपको इस रहस्य के बारे में बताने जा रहे है।
पौराणिक
कथानुसार चंद्र का विवाह दक्ष प्रजापति की 27 नक्षत्र कन्याओं के साथ
संपन्न हुआ। चंद्र एवं रोहिणी बहुत खूबसूरत थीं एवं चंद्र का रोहिणी पर
अधिक स्नेह देख शेष कन्याओं ने अपने पिता दक्ष से अपना दु:ख प्रकट किया।
दक्ष
स्वभाव से ही क्रोधी प्रवृत्ति के थे और उन्होंने क्रोध में आकर चंद्र को
श्राप दिया कि तुम क्षय रोग से ग्रस्त हो जाओगे। शनै:-शनै: चंद्र क्षय रोग
से ग्रसित होने लगे और उनकी कलाएं क्षीण होना प्रारंभ हो गईं। नारदजी ने
उन्हें मृत्युंजय भगवान आशुतोष की आराधना करने को कहा, तत्पश्चात उन्होंंने
भगवान आशुतोष की आराधना की।
चंद्र अंतिम सांसें गिन रहे थे (चंद्र
की अंतिम एकधारी) कि भगवान शंकर ने प्रदोषकाल में चंद्र को पुनर्जीवन का
वरदान देकर उसे अपने मस्तक पर धारण कर लिया अर्थात चंद्र मृत्युतुल्य होते
हुए भी मृत्यु को प्राप्त नहीं हुए। पुन: धीरे-धीरे चंद्र स्वस्थ होने लगे
और पूर्णमासी पर पूर्ण चंद्र के रूप में प्रकट हुए।
चंद्र क्षय
रोग से पीडि़त होकर मृत्युतुल्य कष्टों को भोग रहे थे। भगवान शिव ने उस दोष
का निवारण कर उन्हें पुन:जीवन प्रदान किया अत: हमें उस शिव की आराधना करनी
चाहिए जिन्होंने मृत्यु को पहुंचे हुए चंद्र को मस्तक पर धारण किया था।