नवरात्रि पूजन में कन्याओं के साथ क्यों की जाती है ल़डके की पूजा, जानिए इससे जु़डा रहस्य

शारदीय नवरात्रि 7 अक्टूबर से शुरू हो चुके है। शारदीय नवरात्रों की 14 अक्टूबर को समाप्त होगी। नवरात्रि में नौ दिन का उपवास भी करते हैं, लेकिन नवरात्रि तब तक अधूरी मानी जाती है, जब तक कन्या पूजन न हो। नवरात्रि पर अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन करते हैं। नवरात्रि में कन्या पूजन के लिए कन्याओं को अपने घर बुलाकर उनकी आवभगत की जाती है।

कन्याओं को देवी का रूप मानकर पूजा जाता है, लेकिन इन कन्याओं में एक लड़का भी होता है। लेकिन क्या आप जानते है कि आखिर 9 कन्याओं के साथ एक लडके को खाने पर बुलाया जाता है। आखिर 9 कन्याओं के साथ एक लडके का क्या महत्व होता है। आइए जातने है।

दरअसल, नवरात्रि के आखिरी दिन जब कन्या पूजन किया जाता है, तो यह पूजा एक लडक़े के बिना अधूरी होती है। वहीं शास्त्रों के मुताबिक, जहां-जहां देवी सती के अंग गिरे वहां शक्तिपीठ की स्थापना हुई।

वहीं पर भगवान शिव ने अपने स्वरुप भैरव को भी हर दरबार में तैनात किया है। हर देवी माता के दरबार में सुरक्षा के लिए शिव ने भैरव को बैठाया है। देवी के शक्तिपीठ स्थापित करने शिव स्वयं पृथ्वी पर आए थे। मां की पूजा भैरव बाबा के दर्शन के बिना अधूरी मानी जाती है।

इसलिए कन्याभोज के समय 9 कन्याओं के साथ एक लड़के का होना बेहद शुभ और फलदायी माना जाता है। इससे आपके द्वारा की गई पूजा का फल आपको मिलना तय है। अब यह पुण्य फल कोई और नहीं ले जा सकता। इसलिए अगर आप चाहते हैं कि आपकी देवी पूजा का फल बुरी नजरों और ताकतों से बचा रहे तो कन्याओं के साथ बालक का पूजन भी अवश्य करें।


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