शिवपुराण के अनुसार भगवान को प्रसन्न करने के लिए करें ये खास उपाय
Astrology Articles I Posted on 15-03-2017 ,13:09:50 I by: Amrit Varsha
र्इश्वर को प्रसन्न करना आसान नहीं है। सालों-साल की तपस्या भी उन्हें खुश नहीं कर पाती लेकिन शास्त्रों के अनुसार कुछ खास उपाय कर हम भगवान को आसानी से प्रसन्न कर सकते हैं। आइए जानें भगवान को राजी करने के कुछ खास तरीके-
कहते हैं कि अगरबत्ती जलाने से पितृदोष लगता है। शास्त्रो में पूजन विधान में कही भी अगरबत्ती का उल्लेख नहीं मिलता सब जगह धूप का ही उल्लेख मिलता है। ऐसे में केवल धूप का ही इस्ते माल करें।
जिस घर में नियमित रूप से अथवा हर शुक्रवार को श्रीसुक्त अथवा लक्ष्मीसुक्त का पाठ होता है वहाँ स्थायी लक्ष्मी का वास होता है।
सप्ताह में एक बार समुद्री नमक से पोछा लगाने से घर में शांति रहती है। घर की सारी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होकर घर में झगड़े भी नहीं होते हैं तथा लक्ष्मी का वास स्थायी रहता है।
प्रत्येक अमावस्या को घर की सफाई की जाए। फालतू सामान बेच दें तथा घर के मंदिर में पाँच अगरबत्ती लगाएँ। प्रत्येक पूर्णिमा को कंडे के उपले को जलाकर किसी मंत्र से 108 बार आहुति से धार्मिक भावना उत्पन्न होती है।
यदि आप गुरुवार को पीपल में सादा जल चढ़ाकर घी का दीपक जलाएं तथा शनिवार को गुड़ तथा दूध मिश्रित जल पीपल को चढ़ाकर सरसों के तेल का दीपक जलाएं तो आप कभी भी आर्थिक रूप से परेशान नहीं होंगे।
गणेश की पूजा में इस बात का ध्यारन रखें कि उनपर भूलकर भी तुलसी पत्र नहीं छडाएं। यही नहीं भैरव की पूजा में तुलसी का ग्रहण नहीं की जाती है| कहते हैं कि बिना स्नान किए जो तुलसी पत्र जो तोड़ता है उसे देवता स्वीकार नहीं करते |
धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि रविवार को दूब नहीं तोडनी चाहिए| ऐसा करने पर ना केवल हम भगवान को नाराज करते हैं बल्कि उनका आशीर्वाद भी नहीं ले पाते।
देवताओं के सामने प्रज्जवलित दीप को बुझाना नहीं चाहिए| यही नहीं भूलकर भी शालिग्राम का आवाह्न तथा विसर्जन नहीं करें।
पूजा करते समय यदि गुरुदेव ,ज्येष्ठ व्यक्ति या पूज्य व्यक्ति आ जाए तो उनको उठ कर प्रणाम कर उनकी आज्ञा से शेष कर्म को समाप्त करें |
मिट्टी की मूर्ति का आवाहन और विसर्जन होता है और अंत में शास्त्रीयविधि से गंगा प्रवाह भी किया जाता है |
कमल को पांच रात ,बिल्वपत्र को दस रात और तुलसी को ग्यारह रात बाद शुद्ध करके पूजन के कार्य में लिया जा सकता है |
पंचामृत में यदि सब वस्तु प्राप्त न हो सके तो केवल दुग्ध से स्नान कराने मात्र से पंचामृतजन्य फल जाता है |
हाथ में धारण किये पुष्प, तांबे के पात्र में चन्दन और चर्म पात्र में गंगाजल अपवित्र हो जाते हैं|
दीपक से दीपक को जलाने से प्राणी दरिद्र और रोगी होता है | दक्षिणाभिमुख दीपक को न रखे| देवी के बाएं और दाहिने दीपक रखें | दीपक से अगरबत्ती जलाना भी दरिद्रता का कारक होता है |
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