वास्तु-सिर्फ दिशाओं में रंगानुरूप लगाएं स्वास्तिक और पाएं लाभ

जयपुर। घरों में वास्तुदोष निवारण के लिए लोग कई प्रयास करते हैं और वास्तुशास्त्री भी कई रेमेडीज बताते हैं। हम आपको बता रहे हैं सभी वास्तुदोषों के प्रभावों को कुछ हल्का करने की रेमेडीज। वास्तु में स्वास्तिक का बड़ा महत्व है।
आजकल बाजार में वास्तु के अनुरूप स्वास्तिक रेडीमेड मिल रहे हैं। जिन्हें आपको सिर्फ खरीद कर लाना है और अपने घर में उनको चिपका लेना है। इसके बाद आपको कुछ ही दिनों में फायदा नजर आने लगेगा। यहां इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि वास्तु रेमेडिज का फायदा लेने के लिए कम से कम तीस से साठ दिन का इंतजार करना होता है। ये कोई ऐलोपैथी की दवा नहीं है कि आपने इधर से ली और उधर से आपको फायदा नजर आने लगा।
दरअसल वास्तु दोषों में नुकसान होने में भी समय लगता है और सुधार होने में भी समय लगता है। वापिस मुद्दे की बात पर आते हैं कि किस दिशा में कौनसा स्वास्तिक लगाएं ताकि वास्तुदोषों से होने वाली हानि को रोका जा सके। अक्सर स्वास्तिक बनाने की बात सामने आती है तो लाल रंग ही कल्पना में आता है। जबकि घर में दिशा के रंगों के अनुरूप ही वास्तु स्वास्तिक लगाए जाने चाहिए। हर दिशा में लाल रंग का स्वास्तिक काम नहीं करेगा। घर की उत्तर दिशा पानी का प्रतीक है और पानी का रंग नीला माना जाता है।
आपने गाना सुना होगा ब्लू है पानी-पानी। ऐसे में उत्तर दिशा में नीले रंग का स्वास्तिक लाकर लगा दीजिए। घर की उत्तर दिशा में यदि नीले रंग का स्वास्तिक लगा दिया जाए तो ये घर के सदस्यों के कैरियर में बड़ा योगदान देता है। इसी प्रकार घर की पूर्व दिशा हरे रंग का प्रतिनिधित्व करती है। घर की पूर्व दिशा में आपको हरे रंग का एक स्वास्तिक लगा देना चाहिए। इससे घर के मुखिया का स्वास्थ्य का पाया मजबूत रहेगा और उसके प्रभावशाली लोगों से संबंध स्थापित होंगे।
काले रंग का स्वास्तिक आपको पश्चिमी दिशा में लगाना चाहिए। ये स्थापित स्वास्तिक आपको धन लाभ देने में मददगार साबित होगा। दक्षिण दिशा में आपको भूरे रंग का स्वास्तिक बनाना चाहिए। इसी प्रकार आपको अग्निकोण यानि की अपने घर के दक्षिण पूर्वी कोने में लाल रंग का स्वास्तिक बनाना बहुत अच्छा रहेगा। यदि रसोई अग्निकोण में बनी है तो उसमें आपको लाल स्वास्तिक बना देना चाहिए।
इशान कोण में यदि आप स्वास्तिक बनाते हैं तो वह आसमानी रंग में हो तो बहुत फायदा देता है। इसी प्रकार यदि आप नेऋत्य कोण यानि दक्षिण पश्चिमी कोने में स्वास्तिक बनाते हैं तो आपको हल्के गुलाबी या लेमन रंग में बनाना चाहिए। इसी प्रकार वायव्य कोण यानि की उत्तर पश्चिम कोण में आपको सफेद रंग का स्वास्तिक अच्छा होता है।

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