वास्तु और आस्था-सुखद जीवन की कुंजी
Vastu Articles I Posted on 04-02-2025 ,05:40:35 I by:

पिछले एक दशक में धर्म और ईश्वर के प्रति आस्था लोगों में बढ़ती जा रही है। इसका सबसे कारण भी वास्तु को माना जा सकता है। दरअसल वास्तु अनुरूप निर्माण करने को लेकर लोगों ने जागरूकता आई है। अपना घर बनाने से पहले लोग वास्तुशास्त्रियों से चर्चा और नक्शा आदि बनवाते हैं। कई लोग जो घर से अमीर है और अच्छा खासा पैसा खर्च कर सकते हैं वे तो वास्तुशास्त्रियों के मार्गदर्शन में ही मकान बनवाने लगे हैं।
वास्तु के विपरीत निर्माण से लोगों को जीवन में दिक्कतें आती हैं और समस्याओं के चलते उनका ईश्वर से विश्वास भी धीरे-धीरे खत्म हो जाता है। वे भगवान से विमुख होने लगते हैं। कहावत भी है कि सुख में सुमिरन सब करे, दुख में करे न कोय, जो दुख में सुमिरन करे तो दुख काहे को होय। लेकिन ये स्थापित तथ्य है कि भजन तभी संभव है जब पेट भरा हो। दूसरी कहावत इसी को लेकर है कि भूखे भजन न होय गोपाला। सब व्यक्ति के जीवन में समस्याएं और कमी होती है तो वह भगवान में ध्यान लगाने की बजाए अपनी समस्याओं से ही जूझता रहता है।
घर के वास्तु अनुरूप बने होने से व्यक्ति सुख पाता है तो उसे भगवान में भी आस्था होने लगती है। एक सर्वे के मुताबिक नास्तिक व्यक्ति भी वास्तु अनुरूप घर में आने के बाद आस्तिक हो सकता है और उसे भगवान की सत्ता में विश्वास होता है। घर में यदि आपका ईशान कोण जिसे उत्तर पूर्वी कोना कहते हैं, को यदि बिल्कुल वास्तु अनुरूप रखा जाए तो व्यक्ति की धर्म अनुकूल गतिविधियों में रूचि बढ़ती है। ईशान कोण यदि उत्तर की तरफ बढ़ा हुआ हो तो व्यक्ति अधिक आस्थावान होगा।
ईशान कोण को सदैव स्वच्छ रखें और उसे हल्का रखें। यहां पर किसी प्रकार का ऊंचा निर्माण न हो। इसी कोण में गंगाजल भरकर रखें और हर दिन इसकी साफ सफाई करते रहे। ईशान कोण यदि स्वच्छ होगा तो शरीर भी स्वस्थ रहेगा। स्वस्थ शरीर से भजन भाव में ध्यान बढ़ेगा। इसके अलावा सभी कोणों में वास्तु अनुरूप निर्माण होना और वहां किए जाने वाले रंग तथा रखे जाने वाले घरेलू सामान का भी बड़ा महत्व होता है।
कुल मिलाकर बात ये है कि वास्तु अनुरूप निवास का निर्माण होने से व्यक्ति का भगवान के प्रति विश्वास बढ़ता है। उसे धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करने का और उनमें शामिल होने का अवसर प्राप्त होता है। तीर्थाटन के अवसर भी प्राप्त होते हैं। इसके विपरीत गलत तरीके से बनाए गए मकानों में रहने वालों को ऐसे अवसर बहुत कम मिलते हैं।