17-18 नवम्बर को मनाई जाएगी वैंकुठ चतुर्दशी, शिव ने सौंपा था भगवान विष्णु को सृष्टि का भार
Astrology Articles I Posted on 16-11-2021 ,10:57:17 I by:
कार्तिक मास के अन्तर्गत पडऩे वाली वैंकुठ चतुर्दशी इस बार 17 व 18 नवम्बर को मनाई जाएगी। कैलेंडर के मत-मतांतर के चलते वैकुंठ चतुर्दशी पर्व कहीं 17 नवम्बर को तो कई स्थानों पर 18 नवम्बर 2021 को किया जाएगा। 2021 हिंदू धर्मग्रंथों में वैकुंठ चतुर्दशी का बहुत अधिक महत्व माना गया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान वैंकुठ चतुर्दशी के दिन भगवान शिव और श्रीहरि विष्णु के पूजन का विधान है। प्रतिवर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को यह पर्व मनाया जाता है।
धर्मग्रन्थों में कहा गया है कि इस भगवान भोलेनाथ अर्थात् शिवजी ने सृष्टि का भार पुन: भगवान विष्णु को सौंपा था। भगवान विष्णु देवशयनी से लेकर देवउठनी एकादशी तक चार महीने निद्रा में चले गए थे। उन्होंने इस अवधि के लिए भगवान शिव को सृष्टि का भार सौंपा था। जब चार महीने के लिए भगवान विष्णु शयन निद्रा में चले जाते हैं, तब सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं और देवप्रबोधिनी एकादशी के बाद जब विष्णु जाग जाते हैं तब शिव जी उन्हें यह सृष्टि वापस दे देते हैं। इस दिन विष्णु जी की कमल पुष्पों से पूजा करनी चाहिए तथा भगवान शिव की पूजा भी करनी चाहिए।
धर्मग्रन्थों और पंडितों का कहना है कि इस दिन जो मनुष्य भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना पूरे मनोभाव से करते हैं उन्हें वैंकुठ (स्वर्ग) धाम की प्राप्ति होती है। यह दिन भगवान शिव और विष्णु जी के मिलन को दर्शाता है, अत: वैंकुठ चतुर्दशी को हरिहर का मिलन भी कहा जाता है।
वैंकुठ चतुर्दशी के मुर्हूत
इस बार चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 17 नवंबर, दिन बुधवार को प्रात: 09 बजकर 50 मिनट से शुरू होगा तथा गुरुवार, 18 नवंबर 2021 को दोपहर 12.00 बजे चतुर्दशी तिथि का समापन होगा।
व्रत-पूजन विधि
कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी के दिन प्रात:काल स्नानदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इस दिन वैंकुठ के अधिपति भगवान विष्णु की पूजा-आराधना करने का विधान है। भगवान के समक्ष व्रत का संकल्प करें और पूरे दिन व्रत करें। रात्रि के समय कमल के पुष्पों से भगवान विष्णु की पूजा करें। तत्पश्चात भगवान शिव का विधि-विधान के साथ पूजन करें। दूसरे दिन प्रात: उठकर शिव जी का पूजन करके जरूरतमंद को भोजन करवाने के पश्चात व्रत का पारण करें।