जीवन में सफलता पाने के लिए आजमाए ये उपाय, हर क्षेत्र में मिलेगी कामयाबी
Astrology Articles I Posted on 13-03-2021 ,09:23:46 I by:
हर व्यक्ति चाहता है कि उसके जीवन में सुख समृद्ध और संपन्नता बनी रहे। इसके अलावा वह चाहता है कि उसे हर काम में सफलता मिले। ज्योतिष की माने तो जीवन में सफलता और तरक्की पाने के लिए कड़ी मेहनत के साथ-साथ वास्तु और ग्रह दशा का मजबूत होना बहुत आवश्यक है।
अगर आपको मेहनत करने पर सफलता नहीं मिल पा रही है। ऑफिस का माहौल भी आपके अनुकूल नहीं है तो इसके लिए ज्योतिष के कुछ आसान उपायों से आप अपनी परेशानी को हल कर सकते हैं। आज हम नौकरी और करियर में सफलता के बेहद आसान और कल्याणकारी उपाय बताते हैं।
(1) जब भी जातक किसी नौकरी और इंटरव्यू के लिए जाते हैं तो लाल और पीले रंग का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए। इसके अलावा जातक लाल कपड़े पहनें या जेब में लाल रुमाल जरूर रखें।
(2) घर की उत्तर-पूर्व दिशा में रहना शुरू कर दें, इसे संभावनाओं का क्षेत्र कहा जाता है जिससे व्यापार और नौकरी के नए द्वार खुल सकते हैं।
(3) अपने बेडरूम में पीले और लाल रंग का ज्यादा प्रयोग करें, इससे आपके भाग्य की वृद्धि करता है।
(4) घर की उत्तर पूर्व दिशा की खिड़कियों को खुला रखें जहां से शुभता प्राप्त हो सके। घर की उत्तर-पूर्व दिशा को साफ और व्यवस्थित रखें।
(5) घर की उत्तर पूर्व दिशा की खिड़कियों को खुला रखें जहां से शुभता प्राप्त हो सके।
तरक्की पाने का तरीका
(1) अगर जातक इंटरव्यू देने जाना हो तो घर से निकलने से पहले हनुमान चालीसा का पाठ करें।
(2) इंटरव्यू देने जाते वक्त अगर रास्ते में कोई गाय नजर आए तो उसे आटा-गुड़ खिलाकर जाएं।
(3) नौकरी की तलाश में जाते समय ॐ नमः भगवती पद्मावती ऋद्धि सिद्धि दामिनी मंत्र का जाप करें।
(4) गणेश जी की उपासना करें, उन्हें लौंग और सुपारी अर्पित करें।
जब भी कहीं काम पर जाएं जाना हो तो इस लौंग और सुपारी को साथ लेकर जाएं।
(5) श्री कृष्ण के मूलमंत्र का जाप सुबह 108 बार करें।
घर से जुड़ी बाधाएं दूर करें
(1) घर को साफ व सुंदर रखें।
(2) उत्तर पूर्व दिशा में कभी भी अंधेरा न रखें, इससे धन का भी अभाव रहता है।
(3) गणेश जी को विघ्नहर्ता माना जाता हैं, सफलता में आ रही बाधा को दूर करने के लिए नृत्य करती हुई गणेश जी की प्रतिमा घर में रखना बहुत ही शुभ होता है।
(4) बौद्धिक क्षमता तथा कार्यकुशलता में वृद्धि के लिए अध्ययन, पठन-पाठन आदि जैसी क्रियाएं सदैव पूर्व या उत्तर दिशा में मुंह करके करें।