आज है विनायक चतुर्थी, जानिये मुहूर्त व पूजा विधि

वर्ष 2022 की 26 दिसम्बर सोमवार को आखिरी चतुर्थी है, जिसे विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। ये पौष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी है। पंचांग के अनुसार हर महीने दो बार चतुर्थी तिथि (शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष) पड़ती है। अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है और पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष में पडऩे वाली चतुर्थी तिथि संकष्टी चतुर्थी कहलाती है। हालांकि ये दोनों ही तिथियां भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित होती है। इस तिथि पर गणेश जी के लिए व्रत-उपवास और पूजा करने की परंपरा है। सोमवार को सर्वार्थसिद्धि योग, रवि योग है। इस योगों में किए गए व्रत-उपवास और पूजन से अक्षय पुण्य मिलता है। भगवान की कृपा से भक्तों की सभी इच्छाएं सिद्ध होती हैं।

विनायक चतुर्थी का महत्व
ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि भगवान गणेश का जन्म चतुर्थी तिथि पर ही हुआ था, इस वजह से सालभर की सभी चतुर्थी तिथियों पर गणेश जी के लिए व्रत, पूजन करने की परंपरा है। गणेश को शिव जी ने प्रथम पूज्य होने का वर दिया है, इसी वजह से सभी शुभ कामों की शुरुआत में सबसे पहले गणेश जी का पूजन किया जाता है। विनायक चतुर्थी के दिन को शास्त्रों में महत्वपूर्ण बताया है। मान्यता है कि जो व्यक्ति विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं उन्हें सुख-समृद्धि, धन, वैभव, यश, और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। साथ ही विघ्नहर्ता गणेश की कृपा से सारे दुख दूर हो जाते हैं।

इस दिन को भगवान गणेश की पूजा के लिए बेहद उत्तम माना जा रहा है, क्योंकि इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं। आइए जानते हैं इसकी पूजा विधि और मुहूर्त के बारे में—

शुभ मुहूर्त
पौष शुक्ल पक्ष विनायक चतुर्थी का प्रारम्भ 26 दिसंबर 2022, सोमवार सुबह 04.51 से होगा और इसकी समाप्ति 27 दिसंबर 2022, मंगलवार रात्रि 01.37 पर होगी। विनायक चतुर्थी का व्रत व पूजन 26 दिसंबर 2022 को किया जाएगा। विनायक चतुर्थी पूजा सोमवार को सुबह 11.20 बजे से लेकर दोपहर 1.24 मिनट तक की जाएगी।

शुभ योग
सर्वार्थ सिद्धि योग- सुबह 07.12 से शाम 04.42 तक
रवि योग- सुबह 07.12 से शाम 04.42 तक
अभिजित मुहूर्त- दोपहर 12.01 से 12.42 तक
अमृत काल- सुबह 07.27 से 08.52 तक

विनायक चतुर्थी पूजा विधि
विनायक चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि कर साफ कपड़े पहनें। सबसे पहले सूर्य देव को जल से अघ्र्य दें फिर घर के मंदिर में दीप जलाकर व्रत का संकल्प दें। भगवान श्री गणेश की पूजा की तैयारी करें। भगवान गणेश को पूजा में जटा वाला नारियल, भोग, मोदक, गुलाब या गेंदे का फूल, दुर्वा, रोली, कुमकुम, जनेऊ, अबीर, पंचमेवा आदि अर्पित करें और धूप-दीप जलाएं। पूजा के बाद गणेश जी की आरती भी करें। पूजा में गणेश भगवान के मंत्र ऊँ हुं गं ग्लौं हरिद्रा गणपत्ये वरद वरद सर्वजन हृदये स्तम्भय स्वाहा या ऊँ गं गणपतये नम: मंत्र का जाप कम से कम 27 बार जरूर करें।

अंत में भगवान से पूजन में हुई जानी-अनजानी गलतियों के लिए क्षमा मांगें। पूजा के बाद प्रसाद बांटें और खुद भी लें। जो लोग चतुर्थी पर व्रत करते हैं, उन्हें अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन फलाहार करें। दूध और फलों के रस का सेवन कर सकते हैं।

चतुर्थी पर कर सकते हैं ये शुभ काम भी
गणेश चतुर्थी पर शिव जी और देवी पार्वती की भी पूजा करें। शिवलिंग का जलाभिषेक करें। बिल्व पत्र के साथ मिठाई का भोग लगाएं। सोमवार को चंद्रदेव की भी पूजा करें। शिव जी के मस्तस्क पर विराजित चंद्रदेव का पूजन करें। चंद्र ग्रह के लिए दूध का दान करें

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