माघ मास की पूर्णिमा आज, स्नान और दान का है विशेष महत्व
Astrology Articles I Posted on 24-02-2024 ,08:16:20 I by:
सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि को बहुत ही खास माना जाता है और माघ माह की पूर्णिमा तिथि तो बहुत ही खास माना जाती है। इस बार माघ मास की पूर्णिमा 24 फरवरी यानी आज मनाई जा रही है। माघ मास की पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। माघ पूर्णिमा के दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना बहुत ही अच्छा माना जाता है। साथ ही इस दिन वस्त्र दान और गौ दान का भी काफी महत्व होता है। माना जाता है कि माघ पूर्णिमा के दिन देवतागण पृथ्वी लोक में भ्रमण के लिए आते हैं।
श्रद्धालु गंगा नदी में डुबकी लगाएंगे। मान्यता के अनुसार इस दिन गंगा स्नान से भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की भी कृपा भक्तों पर बरसती है। पर्व माघ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार माघ मास में तीर्थ में गंगा स्नान का महत्व अश्वमेध यज्ञ करने के बराबर बताया गया है। पूर्णिमा के दिन स्नान करने से आरोग्य के साथ सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि माघ पूर्णिमा के दिन नदियों में स्नान के लिए लोगों की खासी भीड़ जुटती है।
खासकर, प्रयाग में पूर्णिमा स्नान को काफी पुण्यदायक बताया गया है। ज्योतिषियों की माने तो पूर्णिमा तिथि पर जल और प्रकृति में विशेष तरह की ऊर्जा आ जाती है। इस दिन स्नान करने से कुंडली में ग्रहों की स्थिति मजबूत हो जाती है और सभी तरह के दोष स्नान मात्र से दूर हो जाते हैं। स्नान के बाद नदी में खड़े होकर सूर्य को जल अर्पण करने से सूर्यदेव की कृपा बनी रहती है और जीवन में मंगल ही मंगल बना रहता है।
भगवान विष्णु का आशीर्वाद
धार्मिक शास्त्रों में बताया गया है कि यदि आप माघ पूर्णिमा के दिन प्रयाग के संगम में स्नान करते हैं तो आपको भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होगा। भगवान वासुदेव की कृपा से व्यक्ति को सुख, सौभाग्य, धन, संतान की प्राप्ति होती है और मृत्यु के बाद मोक्ष भी मिल जाता है। पद्म पुराण में माघ मास की पूर्णिमा के महत्व का वर्णन करते हुए लिखा गया है, माघ पूर्णिमा में प्रयागराज में स्नान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और सभी पापों से मुक्ति प्रदान करके उस पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं। अगर संगम में स्नान संभव नहीं है तो गंगा, यमुना, कावेरी, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा,कृष्णा, सिंधु, ब्रह्मपुत्र के साथ किसी भी पवित्र नदियों में स्नान कर सकते हैं।