सूर्य भगवान को प्रसन्न करने के लिए रविवार को करें ये उपाय
Astrology Articles I Posted on 07-05-2022 ,09:46:26 I by:
हर दम्पत्ति की चाह होती है कि उनके घर में भी बच्चे की किलकारियाँ गूँजें और उन्हें माता-पिता होने का सौभाग्य प्राप्त हो। ऐसा कम ही देखने को मिलता है कि किसी दम्पत्ति को संतान का सुख नहीं मिला हो। संतान का सुख प्राप्त करने के लिए ज्योतिष शास्त्र में बहुत कुछ बताया गया है। ज्योतिष शास्त्र में हर ग्रह का अपना एक विशेष महत्व बताया गया है। जो लोग संतान सुख की कामना रखते हैं उनके लिए सूर्य और बृहस्पति ग्रह को प्रसन्न रखना आवश्यक माना गया है। ये दो ग्रह शुभ होने पर संतान का सुख प्रदान करते हैं। इतना ही नहीं संतान योग्य, शिक्षित और संस्कारवान होती है। पिता की तरक्की में अहम् योगदान होता है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को जहां ग्रहों का राजा तो बृहस्पति को देवताओं का गुरु बताया गया है। कुंडली में जब ये दोनों ग्रह शुभ और बलशाली होते हैं तो संतान कम उम्र में ही सफलता प्राप्त करती है। माता पिता को ऐसी संतान पर गर्व होता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि पत्नी की कुंडली में संतान कारक बृहस्पति से पंचम भाव का स्वामी छठे स्थान, आठवें एवं बारहवें भाव में हो या पंचम, सप्तम और नवम भाव का स्वामी छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो तो संतान प्राप्ति में बाधा आती है, इसके लिए सूर्य और गाय की पूजा करनी चाहिए, उनके आशीर्वाद से जल्द संतान होने की संभावना होती है।
गौरी पूजन से मिलती है संतान बाधा से मुक्ति
संतान बाधा से मुक्ति के लिए गौरी पूजन करना चाहिए. यह पूजन मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से प्रारंभ करके 16 दिन लगातार करें। एक बार ही खाना खाएं यानी प्रतिदिन व्रत रखें। बंध्यत्व हर गौर्ये नम: मंत्र का प्रतिदिन 16 हजार या जितनी अधिक बार आप कर सकें, उतनी बार जप करें। अंतिम दिन तिल के तेल से भरा दीपक गौरी के सम्मुख जलाकर रख दें और रात्रि भर जागरण व गौरी भजन-कीर्तन करें। भजन-कीर्तन के उपरान्त 16 ब्राह्मण-ब्राह्मणियों को भोजन करवा कर सभी को वस्त्र आदि का दान दें और संतान प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त करें। मां गौरी आपकी मनोकामना पूर्ण करेगी।
सूर्य भगवान को प्रसन्न करने के लिए रविवार को करें ये उपाय
किसी भी शुक्ल पक्ष की सप्तमी को ( यदि उस दिन रविवार पड़े तो अच्छा होगा) सूर्यनारायण को जल से अघ्र्य दें, पुष्प आदि से पूजन कर एक फल का भोग अवश्य लगाएं (फल को पूजा के उपरान्त बिना काटे खा लें) और संतान प्राप्ति की कामना प्रकट करें। संभव हो तो एक वक्त बिना नमक का भोजन ग्रहण करें। वर्ष पर्यंत रविवार को व्रत करके व्रत की विधिवत समाप्ति करनी चाहिए। ऐसा माना गया है कि सूर्य भगवान की कृपा से प्रभावशाली संतान की प्राप्ति होती है। पापों के प्रायश्चित के लिए ईश्वर से क्षमा मांगें। गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का कम से कम 2500 बार जाप करें और अंत में हवन करके ब्राह्मणों को भोजन कराएं। यदि बार-बार गर्भपात होता हो तो मंदिर व जहाँ धार्मिक कार्यक्रम होता है वहाँ घी दान देना चाहिए। छोटे बच्चों को भोजन करना चाहिए। किसी पशु पक्षी का घोंसला नहीं तोडऩा चाहिए।