मनचाही संतान प्राप्ति के खास ज्योतिषी उपचार
Astrology Articles I Posted on 06-12-2017 ,16:56:12 I by: vijay
संतान का होना ना होना यूं तो सबकुछ भगवान के आशीर्वाद पर निर्भर है लेकिन
ज्योतिष में योग्य और मनचाही संतान पाने के कई उपाय बताए गए हैं।
ऋतु काल में नए नागकेसर के बारीक चूर्ण को गाय के घी के साथ मिला कर खाने से भी संतान प्राप्त होती है।
जटामांसी (एक जड़ी का नाम) को चावल के पानी के साथ पीने से संतान
प्राप्त होती है।
मंगलवार को कुम्हार के घर जाएं और कुम्हार से प्रार्थना पूर्वक मिट्टी के
बर्तन काटने वाला डोरा ले आएं। उसे किसी गिलास में जल भर कर उसमें डाल दें।
कुछ समय पश्चात डोरे को निकाल लें और वह पानी पति-पत्नी दोनों पी लें। यह
क्रिया मंगलवार को ही करें। अगर संभव हो तो पति-पत्नी रमण करें। गर्भ की
स्थिति बनते ही डोरे को हनुमान जी के चरणों में रख दें।
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गर्भपात होने पर
मुलहठी, आंवला और सतावर को भली भांति पीस कर कपड़ाछान कर लें और इसका सेवन
रविवार से प्रारंभ करें। गाय के दूध के साथ लगभग 6 ग्राम प्रतिदिन लें।
मंगलवार को लाल कपड़े में थोड़ा सा नमक बांध लें। इसके बाद हनुमान के मंदिर
जाएं और पोटली को हनुमान जी के पैरों से स्पर्श कराएं। वापस आकर पोटली को
गर्भिणी के पेट से बांध दें गर्भपात बंद हो जाएगा।
पुत्र प्राप्ति
के लिए
विजोरे की जड़ को दूध में पका कर घी में मिला कर पीएं। ऋतुकाल में इस प्रयोग
को प्रारंभ कर सम संख्या वाले दिनों में समागम करने से पुत्र प्राप्त होता
है।
पुत्राभिलाषियों को अपने घर में स्वर्ण अथवा चांदी से
निर्मित सूर्य-यंत्र की स्थापना करनी चाहिए। यंत्र के पूर्वाभिमुख बैठकर
दीपक जलाकर यं त्रऔर सूर्य देव को प्रणाम करते हुए सूर्य मंत्र का 108 बार
नित्य श्रद्धा से जप करना चाहिए। दीपक में चारों ओर बातियां (बत्तियां)
होनी चाहिए। घृत का चतुर्मुखी दीपक जप-काल में प्रज्वलित रहना चाहिए।
षष्ठी देवी का एक वर्ष तक पूजन अर्चन करने से पुत्र-संतान की
प्राप्ति होती है। ऊँ ह्रीं षष्ठी देव्यै स्वाहा मंत्र का प्रतिदिन 108 बार
जप करते हुए षष्ठी देवी चालीसा, षष्ठी देवी स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
कथा भी पढ़नी सुननी चाहिए।
श्रावण शुक्ल एकादशी का पुत्रदा एकादशी व्रत पुत्र सुख देता है।
व्रत संपूर्ण विधि से करें।
स्त्रियां पुत्रदायक मंगल व्रत कर सकती हैं जिसे बैशाख या अगहन मास में
प्रारंभ करना चाहिए। व्रत वर्ष भर प्रत्येक मंगल को करें और नित्य मंगल की
स्तुति करें।
जिसको पुत्र प्राप्त नहीं हो रहा है वह स्त्री
रविवार को प्रातः काल उठकर सिर धोकर खुले बाल फैलाकर उगते सूर्य को अघ्र्य
दे और उनसे श्रेष्ठ पुत्र प्राप्ति की प्रार्थना करे। इस प्रकार 16 रविवार
तक करे तो सफलता निश्चित प्राप्त होती है।
जिस स्त्री को पुत्र नहीं हो रहा हो वह अपने घर में 21 तोले का प्राण
प्रतिष्ठित चैतन्य पारद शिवलिंग स्थापित कराए और प्रत्येक सोमवार को सिर
धोकर पीठ पर बाल फैलाकर ‘ऊँ नमः शिवायः’ मंत्र से उस पारद शिवलिंग पर
धीरे-धीरे जल चढ़ाए और 7 बार उस जल का चरणामृत ले। इस प्रकार 16 सोमवार करे
तो पुत्र प्राप्ति के लिए शंकर से की जाने वाली प्रार्थना अवश्य फलित होती
है।
पति को चाहिए कि वह पत्नी को कम से कम 4 ( रत्ती का शुद्ध
पुखराज स्वर्ण अंगूठी में गुरु पुष्य नक्षत्र में जड़वाकर तथा गुरु मंत्रों
से अभिमंत्रित करवाकर शुभ मुहूर्त में पत्नी को धारण करवाए। इससे पुत्र
प्राप्ति की संभावना बढ़ती है।
प्राण प्रतिठित संतानगोपाल यंत्र
प्राप्त कर उसे एक थाली में पीले पुष्प की पंखुड़ियां डालकर स्थापित करें।
यंत्र का पूजन पुष्प, कुंकुंम अक्षत से करें, दीपक लगाकर (यंत्र के दोनों
ओर घी के दीपक लगाएं) निम्न मंत्र का पुत्र जीवा माला से एक माला जप नित्य
करें। निरंतर 21 दिन तक करें तो सफलता प्राप्त होती है।
एक बेदाग नीबू
का पूरा रस निचोड़ लें। इसमें थोड़ा सा नमक स्वाद के अनुसार मिला लें। अब इस
द्रव को लड्डू गोपाल के आगे थोड़ी देर के लिए रख दें। रात को सोने से पूर्व
स्त्री इस द्रव को पी ले और पति-पत्नी अपने धर्म का पालन करें तो अवश्य
पुत्र ही होगा।
यदि संतान न हो रही हो तो मंगलवार को मिट्टी के बर्तन में शुद्ध शहद भर कर ढक्कन लगा कर श्मशान में गाड़ दें।
उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में नीम की जड़ ला कर पास रखें, संतान अवश्य होगी।
वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में बोरिंग के पानी टैंक या कुएं का उत्तर-पश्चिम कोण में होना भी संतान उत्पत्ति में बाधक माना गया है।
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