गुरू बृहस्पति को समर्पित है गुरूवार, विष्णु भगवान के साथ होती है पूजा
Astrology Articles I Posted on 02-03-2023 ,07:49:51 I by:
हिंदू धर्म में सप्ताह के सात दिन किसी न किसी देवता को समर्पित होते हैं। ऐसे में गुरुवार का दिन हिंदू धर्म में भी महत्व रखता है। गुरुवार को बृहस्पति के नाम से भी जाना जाता है। गुरुवार का दिन भगवान विष्णु और देवताओं के गुरु बृहस्पति को समर्पित है। गुरुवार का व्रत बहुत ही फलदायी माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की पूजा करने का विधान है।
गुरुवार को भगवान श्रीहरि की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत रखने और भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन केले के पेड़ की भी पूजा की जाती है, क्योंकि हिंदू धर्म में केले के पेड़ को बहुत पवित्र माना जाता है और भगवान विष्णु की पूजा में केले के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है।
इस दिन देवताओं के गुरु बृहस्पति देव की पूजा करने का भी विधान है। बृहस्पति देव को बुद्धि का कारक माना जाता है। इस व्रत को करने से बृहस्पति देव अति प्रसन्न होते हैं और धन और विद्या का लाभ होता है। बृहस्पति की उपासना ज्ञान, सौभाग्य व सुख देने वाली मानी गई है। दरअसल ब्रहस्पति की उपासना करने से ज्ञान व विद्या के रास्ते तन, मन व भौतिक दु:खों से मुक्त जीवन जी सकते है। हिन्दू धर्म शास्त्रों के विशेष कामनाओं की पूर्ति हेतु खास दिनों पर की जाने वाली गुरु पूजा में गुरुवार को देवगुरु बृहस्पति की पूजा का भी महत्व बताया गया है।
गुरुवार का व्रत प्रारंभ
इस व्रत को किसी भी माह के शुक्ल पक्ष में अनुराधा नक्षत्र के दिन और गुरुवार के दिन प्रारंभ करना चाहिए। नियमित रूप से सात व्रत करने से गुरु ग्रह से उत्पन्न अनिष्टों का नाश होता है।
कथा और पूजन के समय मन, कर्म और वचन से शुद्ध होकर कामना पूर्ति के लिए बृहस्पति देव से प्रार्थना करनी चाहिए। इस व्रत में पीले रंग का चंदन, अन्न, वस्त्र और फूल का विशेष महत्व है।
गुरुवार व्रत विधि
सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर पीले वस्त्र धारण करें। पूरे घर को शुद्ध जल छिडक़ कर पवित्र करें। घर में किसी भी पवित्र स्थान पर गुरुवार की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। उसके बाद विधि-विधान से पीले रंग की गंध, फूल और अक्षत से पूजा करें। इसके बाद निम्न मंत्र से प्रार्थना करें-
धर्मशास्त्रे तत्त्वज्ञान ज्ञान विज्ञान पराग।
विद्वावर्तीहारचिन्त्य देवाचार्य नमोस्तु ते ।।
उसके बाद आरती कर व्रत कथा सुनें। इस व्रत में एक समय ही भोजन किया जाता है। गुरुवार के व्रत में केले के पेड़ की पूजा की जाती है। यह व्रत स्त्रियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।
बृहस्पतिदेव की पूजा करते समय उनका ध्यान करे। इसके बाद पीले फल, पीले फूल, पीले वस्त्रों से भगवान बृहस्पतिदेव को चढाये। गंध, अक्षत, पीले फूल, चमेली के फूलों से पूजा करें। पीली वस्तुओं जैसे चने की दाल से बने पकवान, चने, गुड़, हल्दी या पीले फलों का भोग लगाएं। गुरुवार के दिन एक ही समय भोजन करे वह भी बिना नमक का भोजन का इस्तेमाल करे। तत्पश्चात ही मनोकामना पूरी होगी।