कार्तिक पूर्णिमा पर 30 साल बाद बन रहा यह शुभ योग, पुण्य कायों� का होगा अभूतपूर्व लाभ

कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि को अत्यधिक धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व प्राप्त है। इस विशेष दिन पर बनने वाले शुभ योग जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का संकेत देते हैं। खासकर इस वर्ष, जब कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर कई महत्वपूर्ण और दुर्लभ शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। आइए जानें, इस साल का कार्तिक पूर्णिमा क्यों खास है और किस प्रकार के पुण्य कार्यों से जीवन में समृद्धि और शांति का वास हो सकता है।

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व और शुभ योग

कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसे विशेष रूप से देव दीपावली के रूप में मनाया जाता है, जो दीपों से वातावरण को आलोकित करने का दिन होता है। इस दिन का समापन 15 नवंबर की मध्यरात्रि 2:59 बजे होगा, और इसकी शुरुआत सुबह 6:20 बजे होगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान करने से जीवन में अपार समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है। साथ ही यह दिन शांति और समृद्धि का प्रतीक भी है।

इस साल 30 वर्षों बाद बन रहा गजकेसरी और बुधादित्य राजयोग

इस कार्तिक पूर्णिमा पर एक दुर्लभ और अत्यंत शुभ योग बन रहा है। इस दिन चंद्रमा और मंगल दोनों एक दूसरे की राशि में प्रवेश करेंगे, जिससे विशेष योगों का निर्माण होगा। विशेष रूप से, गजकेसरी राजयोग और बुधादित्य राजयोग का निर्माण हो रहा है, जो व्यक्ति के जीवन में खुशहाली और सफलता का रास्ता खोलते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 30 वर्षों बाद इस दिन शश राजयोग भी बन रहा है, जो विशेष रूप से उच्चकोटि के दान और पुण्य कार्यों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा। इस शुभ योग का प्रभाव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन लाएगा।

जल में निवास करते हैं भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार


इस दिन की धार्मिक कथा भी अत्यंत रोचक और प्रेरणादायक है। मान्यता है कि भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था, और इसी कारण कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरासुर पूर्णिमा भी कहा जाता है। इसके अलावा, इस दिन भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार में जल में निवास करने की मान्यता है। इस कारण, इस दिन जल में दीप जलाने की परंपरा अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।

धार्मिक क्रियाओं का महत्व


धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान करने और दीपदान करने से सभी पाप नष्ट होते हैं और व्यक्ति के जीवन में शांति और समृद्धि का वास होता है। साथ ही, इस दिन दान-पुण्य करने से पुण्य का असीमित लाभ मिलता है। भगवान शिव, विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।

इस बार के कार्तिक पूर्णिमा को विशेष रूप से शुभ माना जा रहा है। इस दिन किए गए पुण्य कार्यों और उपायों का प्रभाव लंबे समय तक रहेगा और व्यक्ति को जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता और शांति का अनुभव होगा।

डिस्क्लेमर : इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका खास खबर डॉट कॉम दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

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