महाशिवरात्रि पर भूलकर भी शिवलिंग पर नहीं चढानी चाहिए ये चीजे

महाशिवरात्रि हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा का सबसे पवित्र दिन माना जाता है। इस दिन श्रद्धालु व्रत रखते हैं, भगवान शिव का रुद्राभिषेक करते हैं और शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, भांग आदि अर्पित करते हैं लेकिन शास्त्रों के अनुसार, कुछ ऐसी चीजें हैं, जिन्हें शिवलिंग पर चढ़ाना वर्जित माना गया है। ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न हो सकती है और पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता।

भगवान शिव की पूजा अत्यंत सरल और प्रभावशाली मानी जाती है लेकिन इसमें कुछ विशेष नियमों का पालन करना जरूरी है। शिवलिंग पर चढ़ाई जाने वाली चीजों के संबंध में धार्मिक मान्यताओं और वैज्ञानिक कारणों को ध्यान में रखकर पूजा की जानी चाहिए। महाशिवरात्रि के दिन विशेष रूप से इन नियमों का पालन करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। सही विधि से की गई पूजा से व्यक्ति को आध्यात्मिक और मानसिक शांति मिलती है, जिससे उसका जीवन सकारात्मकता और ऊर्जा से भर जाता है।

शिवलिंग पर न चढ़ाने योग्य चीजें और कारण

तुलसी के पत्ते

भगवान विष्णु की प्रिय तुलसी को शिव पूजा में वर्जित माना गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, तुलसी का विवाह असुरराज जलंधर से हुआ था। भगवान शिव ने जलंधर का वध अपने त्रिशूल से किया था। इसी कारण तुलसी ने शिव को पति रूप में स्वीकार नहीं किया और उनकी पूजा में शामिल न होने का श्राप दिया, इसलिए शिवलिंग पर तुलसी के पत्ते अर्पित करना निषेध माना जाता है।

नारियल का पानी

पूजा में नारियल का उपयोग शुभ माना जाता है लेकिन शिवलिंग पर नारियल का पानी अर्पित करना वर्जित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नारियल का जल प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है लेकिन जब इसे शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है, तो इसे फिर से उपयोग में नहीं लिया जा सकता। यह एक तरह से अन्न और जल का अपमान माना जाता है इसलिए इसे शिवलिंग पर नहीं चढ़ाया जाता।

केतु और शनि से जुड़ी चीजें (तिल, तेल और काला तिल)

भगवान शिव को तिल और सरसों के तेल का अभिषेक करना वर्जित माना गया है क्योंकि यह शनि ग्रह से संबंधित हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव सभी ग्रहों के स्वामी हैं और उन्हें शुद्ध व सात्विक चीजें चढ़ाई जानी चाहिए। तेल नकारात्मकता और क्रोध का प्रतीक माना जाता है, इसलिए शिवलिंग पर इसे अर्पित नहीं करना चाहिए।

हल्दी और कुमकुम

हल्दी को सौभाग्य और विवाह का प्रतीक माना जाता है, जो मां पार्वती को अर्पित की जाती है लेकिन भगवान शिव संन्यासी और वैरागी स्वरूप हैं, इसलिए उन्हें हल्दी या कुमकुम चढ़ाना अशुभ माना जाता है। यह विवाह और सौभाग्य से जुड़ा तत्व है, जबकि शिव योगी हैं और सांसारिक बंधनों से परे हैं।

कुमकुम और सिंदूर

भगवान शिव को कुमकुम और सिंदूर अर्पित नहीं किया जाता क्योंकि यह सुहाग का प्रतीक है। भोलेनाथ को विरक्त और संन्यासी स्वरूप में पूजा जाता है, इसलिए उनकी पूजा में सिंदूर का प्रयोग नहीं किया जाता। यह केवल देवी पार्वती के पूजन के लिए उपयुक्त है।

खंडित या टूटी हुई बेलपत्र

बेलपत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है लेकिन ध्यान रखना चाहिए कि शिवलिंग पर टूटा हुआ या खंडित बेलपत्र नहीं चढ़ाया जाए। ऐसा करने से पूजा का संपूर्ण फल नहीं मिलता। इसके अलावा बेलपत्र को धोकर चढ़ाना चाहिए, जिससे उसकी शुद्धता बनी रहे।

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