कापता है काल जिनसे-वो है काल भैरव
Vastu Articles I Posted on 18-01-2025 ,05:50:34 I by:
जिस दिन भगवान शिव भैरव के रूप में प्रकट हुए थे, उसे कालभैरव जयन्ती कहा जाता है। कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दौरान इसे मनाया जाता है। इसलिए हर कृष्ण पक्ष की अष्टमी, कालाष्टमी कहलाती है।
इस दिन काल भैरव का दर्शन-पूजन सर्व मनोकामना पूर्ण करता है। इस दिन प्रात पवित्र नदी-सरोवर में स्नान के बाद पितरों का श्राद्ध-तर्पण करके भैरव पूजा-व्रत करने से तमाम विघ्न समाप्त हो जाते हैं, दीर्घायु प्राप्त होती है।
देवी भक्त कालाष्टमी के दिन काल भैरव के साथ-साथ देवी कालिका की पूजा-अर्चना-व्रत भी करते हैं। भैरव पूजा-आराधना करने से परिवार में सुख-समृद्धि के साथ-साथ स्वास्थ्य रक्षा और अकाल मौत से सुरक्षा भी होती है।
कालभैरव अष्टमी पर भैरव के दर्शन-पूजन मात्र से अशुभ कर्मों से मुक्ति मिलती है, क्रूर ग्रहों के कुप्रभाव से छुटकारा मिलता है।
भोलेनाथ के भैरव स्वरूप की पूजा, उपासना करने वाले शिवभक्तों को भैरवनाथ की पूजा करके अर्घ्य देना चाहिए।
रात्रि जागरण करके शिव-पार्वती की कथा और भजन-कीर्तन करना चाहिए। भैरव कथा का श्रवण और आरती करनी चाहिए।
भगवान भैरवनाथ की प्रसन्नता के लिए उनके वाहन श्वान- कुत्ते को भोजन कराना चाहिए।
इस दिन प्रातः पवित्र नदी-सरोवर में स्नान करके पितरों का श्राद्ध-तर्पण करके भैरव-पूजा-व्रत करने से सारे विघ्न समाप्त हो जाते हैं, अकाल मृत्यु से रक्षा होकर दीर्घायु प्राप्त होती है
-प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी, बॉलीवुड एस्ट्रो एडवाइजर