इस दिशा या कोण में होना चाहिए होटल का मुख्य प्रवेश द्वार, मिलती है सफलता
Astrology Articles I Posted on 02-01-2023 ,12:40:36 I by:
घूमना किसे अच्छा नहीं लगता। भारत पर्यटन की दृष्टि से विश्व में अपनी ऐतिहासिकता और सांस्कृतिक धरोहर के चलते सर्वोपरि स्थान रखता है। इसी के चलते यहाँ पर देशी-विदेशी पर्यटकों का मेला वर्ष के 12 महीनों लगा रहता है। विशेष रूप से सर्दियों में भारत भ्रमण पर जहाँ विदेशी काफी तादाद में पहुँचते हैं वहीं यहाँ के घरेलू वाशिंदे भी भारत भ्रमण पर निकलना पसन्द करते हैं। ऐसे में उन्हें ठहरने के लिए एक अच्छे स्थान की आवश्यकता होती है। इसी दृष्टि से वर्तमान समय में भारत में होटल व्यवसाय बहुत प्रसिद्ध पा रहा है। आज भारत के हर क्षेत्र में आपको ठहरने के लिए अच्छे से अच्छे होटल मिल जाएंगे।
होटल वे स्थान होते हैं जहाँ लोग अस्थायी रूप से रहने के लिए आते हैं। होटल की व्यवस्था जितनी अच्छी होती है, लोकप्रियता उतनी ही अधिक होती है। हालांकि, बड़ी संख्या में आगंतुकों को सुनिश्चित करने के लिए केवल व्यवस्थाएं पर्याप्त नहीं हैं। यह तभी संभव है जब वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों को जगह का निर्माण करते समय लागू किया जाए।
होटलों के लिए वास्तु यह गारंटी देने में बहुत मदद करता है कि रिसॉर्ट एक बढ़ते व्यवसाय का निरीक्षण करेगा और आगंतुकों की अधिक से अधिक संख्या का गवाह बनेगा। होटलों के लिए सही वास्तु टिप्स का सुझाव देते समय बहुत सी बातों का ध्यान रखा जाता है, जैसे साइट का चुनाव, किचन का स्थान, विभिन्न डिजिटल एक्सेसरीज की स्थिति, कमरों का स्थान, होटल का डिज़ाइन आदि।
जिस तरह से लोग घर से लेकर करियर तक में वास्तु शास्त्र का सहारा लेते हैं वैसे ही होटल व्यवसाय में आने वाले लोग भी अपने होटल का निर्माण वास्तु के अनुसार ही करवाना पसन्द करते हैं। वास्तु शास्त्र के बारे में कहा जाता है कि यह समृद्धि, खुशहाली और अच्छे दिनों को लाने में सहायक होता है। इसी के चलते आज हम अपने पाठकों को वास्तु शास्त्र के अनुसार होटल का मुख्य प्रवेश द्वार किस दिशा और किस प्रकार होना चाहिए, उसके बारे में बताएंगे।
वैसे तो वास्तु शास्त्र का कहना है कि होटल का मुख्य द्वार ईशान कोण अर्थात् उत्तर पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। यदि इस कोण में होटल का मुख्य द्वार के निर्माण में कोई अड़चन या बाधा आती है तो फिर इसके लिए उत्तर पूर्व दिशा का कोण सर्वाधिक श्रेष्ठ माना गया है। इसके अतिरिक्त आप अपने होटल का मुख्य प्रवेश द्वारा पूर्व या फिर उत्तर दिशा में भी रख सकते हैं।
यदि आपके पास वास्तुशास्त्र के अनुसार बताए दिए कोणों या दिशा का योग नहीं बैठ रहा है तो आप अपने भूखंड के आधार पर दिशाओं और कोणों को देखते हुए मुख्य द्वार के लिए दिशा या कोण का चयन कर सकते हैं। वास्तु शास्त्र के मुताबिक, यदि भूखंड उत्तर मुखी या पूर्व मुखी है तो मुख्य द्वार का निर्माण ईशान कोण में करवाना ठीक रहता है। वहीं अगर भूखंड दक्षिण मुखी है तो मुख्य द्वार आग्नेय कोण, यानि दक्षिण-पूर्व में बनवाना चाहिए। इसके अलावा यदि भूखंड पश्चिम मुखी है तो मुख्य द्वार के लिए वायव्य कोण, यानि उत्तर-पश्चिम दिशा उत्तम रहती है।