नवरात्रि का छठा दिन - 4 फरवरी 2025 मंगलवार सप्तमी कालरात्रि पूजा

जय-विजय के लिए नियमित रूप से देवी कालरात्रि की पूजा-अर्चना करें

हीं कालरात्रि श्रीं कराली च क्लीं कल्याणी कलावती
कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता
कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी
कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी
क्लीं ह्रीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी
कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा
देवी दुर्गा के नौ रूप हैं, जिनकी नवरात्रि में आराधना की जाती है. देवी दुर्गा का सातवां स्वरूप कालरात्रि है.
जय-विजय के लिए प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को नियमितरूप से देवी कालरात्रि की पूजा-अर्चना-व्रत करें, शनिदेव प्रसन्न होंगे और जय-विजय की संभावना बढ़ जाएगी.
देवी कालरात्रि का शरीर रात्रि के अंधकार की तरह काला है, इनके बाल बिखरे हुए हैं तथा इनके गले में विद्युत माला है. इनके चार हाथ है जिसमें इन्होंने एक हाथ में कटार तो दूसरे हाथ में लोहकांटा धारण किया हुआ है. शेष दो हाथ- वर मुद्रा और अभय मुद्रा में हैं. इनके तीन नेत्र है तथा इनके श्वास से अग्नि निकलती है. कालरात्रि का वाहन गर्दभ है.
जिन व्यक्तियों ने जाने-अनजाने सहयोगियों का अपमान किया हो उन्हें देवी कालरात्रि से सच्चे दिल से क्षमा मांगनी चाहिए और पूजा-अर्चना करके प्रायश्चित व्रत करना चाहिए, साथ ही भविष्य में ऐसी गलती नहीं करने का संकल्प लेना चाहिए.
देवी कालरात्रि की पूजा-अर्चना से शनि ग्रह की अनुकूलता प्राप्त होती है इसलिए मकर और कुंभ राशि वालों को देवी की आराधना से संपूर्ण सुख की प्राप्ति होती है.
जिन श्रद्धालुओं की शनि की दशा-अन्तरदशा, साढ़े साती चल रही हो उन्हें भी देवी कालरात्रि की पूजा-अर्चना करनी चाहिए.
घोर कष्ट मुक्ति के लिए श्रद्धालुओं को देवी कालरात्रि की आराधना करनी चाहिए.
जिन श्रद्धालुओं के सहयोगियों से मतभेद हों वे संकल्प लेकर देवी कालरात्रि की आराधना करें, विवाद से राहत मिलेगी.

Home I About Us I Contact I Privacy Policy I Terms & Condition I Disclaimer I Site Map
Copyright © 2025 I Khaskhabar.com Group, All Rights Reserved I Our Team