शुभ मुहूर्त से ज्यादा महत्वपूर्ण है शुभ कर्म!


जीवन में सफलता के लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें किन्तु शुभ कर्मों की उपेक्षा न करें। शुभ कर्म, शुभ मुहूर्त से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि शुभ मुहूर्त तो महज अच्छे परिणाम के लिए राह आसान करता है लेकिन शुभ कर्म के हमेशा अच्छे ही परिणाम होते हैं।
अगर ऐसा नहीं होता तो न कभी रावण नाकामयाब रहता और न ही दुर्योधन पराजित होता। रावण तो स्वयं ज्योतिष का अच्छा ज्ञाता था और सभी राजा-महाराजाओं के पास अपने खास ज्योतिष होते थे, अर्थात... शुभ समय जानने की सुविधा सभी के पास थी।
दरअसल, किसी शुभ क्षण में प्रारम्भ किए गए कार्य का परिणाम अच्छा होता है लेकिन सूक्ष्मता से ऐसे शुभ क्षण को पहचानना और कार्य आरम्भ करना बहुत मुश्किल होता है। जिनके इरादे नेक नहीं होते हैं वे कभी शुभ क्षण में कार्य आरम्भ नहीं कर पाते हैं और शुभ संकल्प के साथ कार्य आरम्भ करते हैं उन्हें शुभ मुहूर्त अपने आप आ मिलते हैं।
मुहूर्त के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग गणनाएं, मान्यताएं और विश्वास है। कहीं चौघडिय़ा महत्वपूर्ण हैं तो कहीं राहुकाल। कहीं तिथि उपयोगी है तो कहीं वार। इसलिए कई बार एक क्षेत्र में जिस समय को शुभ मुहूर्त माना जाता है, किसी अन्य क्षेत्र में वही समय शुभ नहीं माना जाता है। बाधा रहित कामयाबी के लिए शुभ समय में कार्य शुरू करने का महत्व है, लेकिन इससे भी ज्यादा जरूरी यह है कि विश्वास, प्रसन्नता और शुभ संकल्प के साथ कार्य आरम्भ किया जाए।
शुभ कर्म ही शुभ परिणाम की दिशा में ले जाता है!    
- प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी

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