सोमवती अमावस्या को है शनि जयंती, जानिये शुभ मुहूर्त
Astrology Articles I Posted on 25-05-2022 ,10:13:43 I by:
हर साल ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को शनि जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस साल 30 मई दिन सोमवार को शनि जयंती पड़ रही है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, इस साल 2022 शनि जयंती पर सोमवती अमावस्या और सर्वार्थसिद्धि योग के महासंयोग का निर्माण हो रहा है। सोमवती अमावस्या के दिन गंगा नदी में या किसी पवित्र नदी में स्नान करने और दान देने की परंपरा है। मान्यता है कि इस दिन नदियों में स्नान करने और दान देने से असीम पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
इस दिन विधि विधान से दंडाधिकारी, न्याय के देवता, भगवान शनि देव महाराज की पूजा अर्चना करके उनकी कुदृष्टि से बचा जा सकता है। शनि देव महाराज मनुष्य को उनके कर्मों के आधार पर फल देते हैं। सभी ग्रह में शनि की चाल सबसे धीमी होती है। इसलिए ये एक राशि में कम से कम ढाई साल तक रुकते हैं। उस समय को ढैय्या कहा जाता है और कभी-कभी तो ये एक राशि में साढ़े सात साल तक रुक जाते हैं। इसे साढ़ेसाती के नाम से जाना जाता है। ढैय्या और साढ़ेसाती का प्रकोप बहुत ही अशुभ होता है और मनुष्य के जीवन में उथल-पुथल मच जाती है। शनि जयंती के दिन शनि देव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और सुकर्मा योग का भी निर्माण हो रहा है। ऐसे में शनि देव की पूजा और अधिक पुण्य फलदायी होगी।
शनि जयंती 2022 तिथि शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि की शुरुआत—29 मई, रविवार, दोपहर 02 बजकर 54 मिनट से
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि का समापन—30 मई, सोमवार, शाम 04 बजकर 59 मिनट पर
शनि देव की पूजा—30 मई को
सोमवती अमावस्या 2022—स्नान एवं दान, 30 मई को प्रात:काल से प्रारंभ
शनि जयंती पर सोमवती अमावस्या व्रत भी
इस बार शनि जयंती यानी ज्येष्ठ अमावस्या सोमवार के दिन नदी में स्नान करें, पितरों का तर्पण करें और दान करें। इससे पुण्य की प्राप्ति होगी। इसी दिन पति की लंबी आयु के लिए महिलाएं वट सावित्री व्रत भी रखती हैं। बरगद के वृक्ष की पूजा करती हैं और धन, धान्य, सुख, वैभव की प्राप्ति के लिए उपाय भी करती हैं।
सर्वार्थ सिद्धि योग में मानेगी शनि जयंती
शनि जयंती के दिन यानी 30 मई को सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 07.12 बजे से शुरू होकर अगले दिन 31 मई मंगलवार को प्रात: 05.24 बजे तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त में शनि देव की पूजा अर्चना से भक्तों की मनोकामना पूर्ण होगी। शास्त्रों में सर्वार्थ सिद्धि योग को कार्यों में सफलता प्रदान करने वाला बताया गया है तथा इस योग में किए गए पूजा पाठ का सुंदर फल प्राप्त होता है।
इन उपायों से प्रसन्न होते हैं शनि देव
शनि देव महाराज की दृष्टि से बचने के लिए कुछ साधारण उपाय अपनाना चाहिए—
1. शनिवार के दिन सुबह स्नान करके तांबे के लोटे में जल, मिट्टी के दीपक में सरसों का तेल और काला तिल साथ में ले जाकर शनिदेव के मंदिर में दीपक जलाएं, काला तिल अर्पित करें, और जल चढ़ाएं।
2. शनि देव महाराज को काला रंग अत्यधिक प्रिय है, इसलिए इस दिन काला वस्त्र धारण करें और काले रंग की चीजों का दान दें।
3. शनि देव महाराज के मंत्र का जाप करने से भी शनि की कुदृष्टि से बच सकते हैं। भगवान भोलेनाथ और बजरंगबली की भी पूजा करनी चाहिए।
4. शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रकोप से बचने के लिए मनुष्य को शनिदेव के मंदिर में शनिवार के दिन माथा टेकना चाहिए और शनिदेव महाराज से अपने अपराधों को क्षमा करने की प्रार्थना करनी चाहिए।
5. शनि के प्रकोप से बचने के लिए शमी के पौधे की जड़ को काले कपड़े में बांधकर अपने बांह पर बांध ले।
6. शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए आप धातुओं में नीलम भी शनि मंत्रों से अभिमंत्रित करके पहन सकते हैं।