धरती का धनधान्य प्रदान करता है शाकंभरी उत्सव!

* शाकम्भरी उत्सवारम्भ - 7 जनवरी 2025, मंगलवार
* शाकम्भरी जयन्ती - 13 जनवरी 2025, सोमवार,
* अष्टमी तिथि प्रारम्भ - 6 जनवरी 2025 को 18:23 बजे
* अष्टमी तिथि समाप्त - 7 जनवरी 2025 को 16:26 बजे
* ऐसा है स्वरूप...
शाकंभरी नीलवर्णानीलोत्पलविलोचना।
मुष्टिंशिलीमुखापूर्णकमलंकमलालया।।
भावार्थ... देवी शाकम्ंभरी का स्वरूप नीला है, नील कमल के सदृश ही उनके नेत्र हैं। ये पद्मासना हैं यानी... कमल पुष्प पर विराजती हैं। इनकी एक मुट्ठी में कमल फूल है और दूसरी मुट्ठी में बाण हैं।
धर्मग्रंथों के अनुसार पौष मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शाकम्भरी उत्सव प्रारंभ होता है, जो पौष मास की पूर्णिमा तक मनाया जाता है।  पूर्णिमा तिथि पर देवी शाकंभरी की जयंती है।
देवी शाकम्भरी धरती का धन... धान, वनस्पति, जल, हरियाली आदि प्रदान करती हैं इसलिए अकाल और अनावृष्टि से बचने के लिए श्रद्धालु देवी की नियमित आराधना करते हैं। वनस्पतिक औषधियों का उपयोग करनेवाले देवी की साधना करते हैं। धर्मग्रंथों में देवी शाकम्भरी को आदिशक्ति दुर्गा का अवतार बताया गया है।
धर्मग्रंथों के अनुसार भूलोक पर दुर्गम दैत्य के कुप्रभाव से अन्न-जल का घोर अभाव हो गया था। दैत्य ने देवताओं के चारों वेद भी चुरा लिए थे।
देवी शाकम्भरी ने दुर्गम दैत्य का वध करके धरती को सुख-समृद्धि प्रदान की और वृक्ष, फलों, औषधियों, शाक आदि से धरती का पालन-पोषण किया, इसी कारण शाकम्भरी स्वरूप प्रसिद्ध हुईं!
-प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी, बॉलीवुड एस्ट्रो एडवाइजर

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