भक्ति में भाव का महत्व दर्शाती है... शबरी जयंती


* शबरी जयंती - 20 फरवरी 2025, बृहस्पतिवार

* सप्तमी तिथि प्रारम्भ - 19 फरवरी 2025 को 07:32 बजे
* सप्तमी तिथि समाप्त - 20 फरवरी 2025 को 09:58 बजे
किसी भी देवी-देवता की भक्ति में भाषा से ज्यादा भाव का महत्व है, यही दर्शाती है शबरी जयंती.
कई श्रद्धालु पूजा में बैठते हैं किन्तु पूजा में उनका मन नहीं लगता... पूजा का भाव उत्पन्न नहीं होता है, ऐसे श्रद्धालुओं को संकल्प लेकर शबरी जयंती के अवसर पर भक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करने के साथ ही श्रीराम की आराधना करनी चाहिए.
धर्मधारणा के अनुसार... शबरी, श्रीराम की भक्त थी... श्रीराम ने शबरी के जूठे बेर खाकर उनकी भक्ति को संपूर्णता प्रदान की, और इसीलिए... शबरी जयंती के अवसर पर श्रद्धालु व्रत-पूजा करके उनके प्रति आदर व्यक्त करते हैं.
शबरी जयंती के अवसर पर श्रीरामायण का पाठ किया जाता है.
धर्मकथाओं के संदर्भानुसार... श्रमणा का जन्म शबरी जाति के परिवार में हुआ... वह बचपन से ही भगवान श्रीराम की भक्त थीं, लेकिन विवाह के पश्चात उसके पति की असुर प्रकृति के कारण उसने घर का त्याग कर दिया... वह मातंग ऋषि के आश्रम में पहुंची, जहां उसका समय श्रीराम भक्ति में गुजरने लगा... वनवास के दौरान जब श्रीराम शबरी के वहां पहुंचे तो  उसने एकत्रित किए गए बेरों को चखकर उसमें से मीठे बेर श्रीराम के लिए अलग रख दिए... श्रीराम ने वही मीठे बेर स्वीकार किए और इस तरह शबरी की भावभक्ति को संपूर्णता प्राप्त हुई!
-प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी, बॉलीवुड एस्ट्रो एडवाइजर

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