अपनी हस्तरेखा देखकर खुद जानें कि आपके भविष्य में क्या लिखा है?
Astrology Articles I Posted on 27-10-2017 ,10:45:07 I by: vijay
हस्त रेखा विज्ञान कर्मो के आधार पर टिका है, इसलिए मनुष्य जैसे कर्म
करता है वैसा ही परिवर्तन उसके हाथ की रेखाओ में हो जाता है। हाथ का
विश्लेषण करते समय सबसे पहले हम हाथ की बनावट को देखते हैं तत्पश्चात यह
देखा जाता है कि हाथ मुलायम है या सख्त। आम तौर पर पुरुषो का दायां हाथ तथा
स्त्रियों का बायां हाथ देखा जाता है। यदि कोइ पुरुष बाएं हाथ से काम करता
है तो उसका बायां हाथ देखा जाता है। हाथ में जितनी कम रेखाएं होती हैं,
भाग्य की दृष्टि से हाथ उतना ही सुन्दर माना जाता है। हाथ में मुख्यतः चार
रेखाओं का उभार स्पष्ट रुप से रहता है।
जीवन रेखा
जीवन रेखा हृदय रेखा के ऊपरी भाग से शुरु होकर आमतौर पर मणिबन्ध पर
जाकर समाप्त हो जाती है। यह रेखा भाग्य रेखा के समानान्तर चलती है, परन्तु
कुछ व्यक्तियो की हथेली में जीवन रेखा हृदय रेखा में से निकलकर भाग्य रेखा
में किसी भी बिन्दु पर मिल जाती है। जीवन रेखा तभी उत्तम मानी जाती है यदि
उसे कोइ अन्य रेखा न काट रही हो तथा वह लम्बी हो इसका अर्थ है कि व्यक्ति
की आयु लम्बी होगी तथा अधिकतर जीवन सुखमय बीतेगा। रेखा छोटी तथा कटी होने
पर आयु कम एंव जीवन संघर्षमय होगा।
भाग्य रेखा
हृदय रेखा के मध्य से शुरु होकर मणिबन्ध तक जाने वाली सीधी रेखा को
भाग्य रेखा कहते हैं। स्पष्ट रुप से दिखाई देने वाली रेखा उत्तम भाग्य का
घौतक है। यदि भाग्य रेखा को कोइ अन्य रेखा न काटती हो तो भाग्य में किसी
प्रकार की रुकावट नही आती। परन्तु यदि जिस बिन्दु पर रेखा भाग्य को काटती
है तो उसी वर्ष व्यक्ति को भाग्य की हानि होती है। कुछ लोगो के हाथ में
जीवन रेखा एवं भाग्य रेखा में से एक ही रेखा होती है। इस स्थिति में वह
व्यक्ति आसाधारण होता है, या तो एकदम भाग्यहीन या फिर उच्चस्तर का
भाग्यशाली होता है। ऎसा व्यक्ति मध्यम स्तर का जीवन कभी नहीं जीता है।
हृदय रेखा
हथेली के मध्य में एक भाग से लेकर दूसरे भाग तक लेटी हुई रेखा को हृदय
रेखा कहते हैं। यदि हृदय रेखा एकदम सीधी या थोडा सा घुमाव लेकर जाती है तो
वह व्यक्ति को निष्कपट बनाती है। यदि हृदय रेखा लहराती हुई चलती है तो वह
व्यक्ति हृदय से पीडित रहता है। यदि रेखा टूटी हुई हो या उस पर कोइ निशान
हो तो व्यक्ति को हृदयाघात हो सकता है।
मस्तिष्क रेखा
हथेली के एक छोर से दूसरे छोर तक उंगलियो के पर्वतो तथा हृदय रेखा के
समानान्तर जाने वाली रेखा को मस्तिष्क रेखा कहते हैं। यह आवश्यक नहीं कि
मस्तिष्क रेखा एक छोर से दूसरे छोर तक (हथेली) जायें, यह बीच में ही किसी
भी पर्वत की ओर मुड सकती है। यदि हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा आपस में न
मिलें तो उत्तम रहता है। स्पष्ट एंव बाधा रहित रेखा उत्तम मानी जाती है। कई
बार मस्तिष्क रेखा एक छोर पर दो भागों में विभाजित हो जाती है। ऎसी रेखा
वाला व्यक्ति स्थिर स्वभाव का नहीं होता है, सदा भ्रमित रहता है।
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