Astrology Articles I Posted on 27-01-2022 ,09:36:09 I by:
ज्योतिष शास्त्र का मानना है कि जब कोई ग्रह अस्त या राशि परिवर्तन करता है तो उसका असर मानव जीवन पर पड़ता है। किसी ग्रह का अस्त होना तब माना जाता है जब वह सूर्य के नजदीक पहुँच जाता है। शास्त्रों का कहना है कि सूर्य के नजदीक पहुँचने के कारण उस ग्रह का प्रभाव स्वत: ही समाप्त हो जाता है। ऐसा ही कुछ हाल ही में शनि देव के साथ हुआ है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बीती 22 जनवरी को शनि देव सूर्य के नजदीक पहुँचने के कारण अस्त हो गए हैं और अब शनि देव 24 फरवरी को उदय होंगे। अर्थात् शनि देव 33 दिनों के लिए अस्त रहेंगे। ज्योतिष शास्त्र में नवग्रहों का वर्णन किया गया है। जिसमें शनि ग्रह को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। शनि को कर्मफल दाता और न्यायदेवता कहा जाता है। शनि आयु, रोग, पीड़ा, लोहा, खनिज, सेवक और जल के कारक माने जाते हैं। शनि कुंभ और मकर राशि के स्वामी हैं। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, शनि तुला राशि में उच्च और मेष राशि में नीच के माने जाते हैं। शनि अपनी स्वराशि कुंभ में गोचर करने जा रहे हैं। कुंभ राशि वालों के लिए यह समय कठिन रहने वाला है। शनि को सबसे धीमी गति का ग्रह माना जाता है, इसलिए किसी भी राशि पर इनका प्रभाव ज्यादा दिनों तक रहता है।