सर्वपितृ अमावस्या : जानिये शुरू होने और खत्म होने का समय
Astrology Articles I Posted on 22-09-2022 ,08:11:50 I by:
बीती 10 सितम्बर से शुरू हुआ पितृपक्ष एकादशी की समाप्ति के साथ ही अब अपने अंतिम दौर में है। 25 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या का दिन है, इसी दिन पितृपक्ष की समाप्ति होनी है। धर्मशास्त्रों के अनुसार 16 दिनों तक चलने वाले पितृपक्ष में पितर पृथ्वी पर आकर परिजनों से अन्न और जल ग्रहण करते हैं। इस दिन हमारे पूर्वज विदा होकर वापस देवलोक को प्रस्थान करते हैं। कहा जाता है कि पितरों को प्रसन्न करके ही विदा करना चाहिए, ताकि वे जाते समय खूब सारा आशीर्वाद अपने वंशजों को देकर जाएं। इसलिए इस दिन का महत्व शास्त्रों में बहुत ही खास माना गया है। इस बार पितृ अमावस्या 25 सितंबर को सुबह 3 बजकर 11 मिनट से शुरू हो रही है और अगले दिन यानी कि 26 सितंबर को सुबह 3 बजकर 22 मिनट तक रहेगी। इस दिन पितरों के निमित्त विशेष व्यंजन व पकवान बनाए जाते हैं। भोजन को कौए, गाय, कुत्ते आदि को दिया जाता है। इसके साथ ही इस दिन ब्राह्मण भोज भी कराया जाता है। पितृदोष से पीडि़त लोगों के लिए ये दिन महत्वपूर्ण होता है।
ऐसे करें श्राद्ध
1. सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों को शांति देने के लिए और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए गीता के सातवें अध्याय का पाठ अवश्य ही करें। साथ ही उसका पूरा फल पितरों को समर्पित करें।
2. जो व्यक्ति पितृपक्ष के 15 दिनों तक तर्पण, श्राद्ध आदि नहीं कर पाते या जिन लोगों को अपने पितरों की मृत्यु तिथि याद न हो, उन सभी लोगों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण, दान आदि इसी अमावस्या को किया जाता है।
3. भोजन में खीर पूड़ी का होना आवश्यक है। भोजन कराने तथा श्राद्ध करने का समय दोपहर होना चाहिए। ब्राह्मण को भोजन कराने के पूर्व पंचबली दें और हवन करें। श्रद्धा पूर्वक ब्राह्मण को भोजन कराएं, उनका तिलक करके दक्षिणा देकर विदा करें। बाद में घर के सभी सदस्य एक साथ भोजन करें और पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।
पितृ अमावस्या पर यह जरूर करें
1. पितृ अमावस्या पर सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और स्वयं अन्न जल ग्रहण करने से पहले पितरों को जल दें और पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और एक मटकी में जल भरकर वहां रख आएं।
2. पितृ अमावस्या पर सुबह उठकर सबसे पहले पितृ तर्पण करें। गाय को हरा चारा या फिर पालक जरूर खिलाएं। गाय को चारा डालने से पितरों को भी संतुष्टि प्राप्त होती है।
3. पितृ अमावस्या की शाम को पितरों के निमित्त तेल का चौमुखी दीपक दक्षिण दिशा की तरफ जलाकर रखें। ऐसी मान्यता है देवलोक को प्रस्थान करने में यह दीपक पितरों की राह रोशन करता है।
4. पितरों को प्रसन्न करने के लिए सदैव अच्छे कर्म करें और पितृ अमावस्या के दिन जरूरतमंदों को दान-पुण्य करें। आपके अच्छे कर्मों को देखकर और आपके दान धर्म को देखकर पूर्वज आपसे प्रसन्न होते हैं और आपको सुखी व संपन्न रहने का आशीर्वाद देते हैं।
भूलकर भी पितृ अमावस्या पर न करें यह काम
1. पितृ अमावस्या के दिन घर आए किसी गरीब या जरूरतमंद को खाली हाथ नहीं भेजना चाहिए। उसे कुछ पैसे, अन्न, वस्त्र आदि का दान अवश्य करना चाहिए।
2. पितृ अमावस्या के दिन भूलकर भी मांस मदिरा का सेवन न करें। अक्सर यह देखने में आता है कि पूरे पितृपक्ष में लोग नॉनवेज नहीं खाते और फिर जैसे ही पितृ अमावस्या लगती है नॉनवेज खाने लग जाते हैं। ऐसा करने से पितर आपसे अप्रसन्न होते हैं।
3. पितृ अमावस्या के दिन बाल और नाखून काटना अशुभ माना जाता है। ऐसा आप भी न करें। पुरुषों को इस दिन दाढ़ी नहीं बनवानी चाहिए।