लाल किताब: जन्मकुंडली में है "चंद्र" है तो...
Business & Finance I Posted on 11-02-2016 ,00:00:00 I by:
भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनेक अंग हैं, किन्तु उनमें गणित और फलित का स्थान ही सर्वप्रमुख है। फ्लित ज्योतिष द्वारा मानव जीवन पर पडने वाले विभिन्न ग्रहों के शुभाभुभ प्रभाव का विचार किया जाता है। मनुष्य जिस समय में जन्म लेता है, उस समय आकाशमंडल में विभिन्न ग्रहों की जो स्थिति होती है उसका प्रभाव उसके पूरे जीवन पर पडता रहता है। फलित ज्योतिष का सबसे बडा लाभ यहीं है कि जिस प्रकार दीपक अंधेरे में रखी हुई वस्तुओं को प्रदर्शित करता है, उसी प्रकार जन्मकुंडली द्वारा जीवन में घटने वाली घटनाओं के ज्ञान का उद्घाटन होता है। ब्रह्मांड में अनेक ग्रह है, जिनमें प्रमुख है- सुर्य, चंद्र, मंगल, बुध, ब्रहस्पति, शुक्र, शनि, राहु एवं केतु। अब हम प्रत्येक ग्रह और उसकी विशेषताओं के बारे में बता रहे है।
चंद्र—
चंद्र बहुत उम्दा बोलने वाला, कोई वकील, शांत दिमाग वाला, बदन से खूबसूरत, ज्यादा खून की तादाद वाला, काले घुंघराले बालों वाला, कफ-वायु प्रकृति का, कमल की पंखुडियों जैसा आंखों वाला तथा गरिमा से भरा-पूरा होता है। अगर जन्मकुंडली में अकेला चंद्र हो और उस पर किसी दूसरे ग्रह की नजर (दृष्टि) न हो तो जातक हर हालत में अपने कुल की हिफजत करता है। उसका बर्ताव दया और नम्रतापूर्ण रहता है। जातक में अपने ऊपर आने वाले किसी भी आघात, दोष, यहां तक कि फांसी की सजा भी खारिज करवाने की बेमिसाल ताकत होती है। चंद्र कर्क राशि का स्वामी है। यह अपने मित्र ग्रह बृहस्पति, मंगल एवं सूर्य पर अपना कुछ प्रभाव डालकर स्वयं बुरी स्थिति से बच जाता है। चंद्र चौथे घर का हर तरह से मालिक (स्वामी) है। यह शनि के शत्रु सूर्य से मित्रता निभाने के लिए शनि के समय रात को भी सूर्य की तरह प्रकाश फैलाता है और शनि के अंधेरे को नष्ट करने का प्रयास करता है।
मन की शांति और दिल में चैन पैदा करने वाला, गंगा की तरह सबकी गंदगी को अपने अंदर समेटकर साफ-सुथरा रूप देने वाला तथा गर्मी को ठंडक में बदल देने वाला ग्रह चंद्र है। इसे माता का प्रतीक माना गया है, इसलिए सभी ग्रह इसके कदमों में सिर झुकाकर बुराई न करने की कसम खाते है। चंद्र के शत्रु राहु, केतु और शनि है। यदि पापी ग्रह शनि, राहु और केतु कुंडली के चौथे घर (जो च्रंद का घर है) में हो तो जातक का बुरा नहीं कर पाते। चंद्र के संपर्क में आने के बाद इनकी बुराई खुद-ब-खुद खत्म हो जाती है।