पुत्रदा एकादशी: व्रत का महत्व व पूजन विधि
Astrology Articles I Posted on 08-08-2022 ,07:59:02 I by:
सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा या पवित्रा एकादशी के रूप में जाना जाता हैं जो कि आज सावन के आखिरी सोमवार को है। आज भगवान विष्णु के साथ-साथ शिवजी की कृपा भी पा सकते हैं। ऐसे में इस शुभ संयोग में रखा गया व्रत बेहद फलदायी साबित होता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के पाप मिट जाते हैं और उनको स्वर्ग की प्राप्ति होती है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु के पूजन का आशीर्वाद मिलता हैं और मनोकामनाओं को पूर्ण करने में मदद होती है।
आज हम आपको इस एकादशी व्रत का महत्व, पूजन विधि, उपाय और नियमों की जानकारी देने जा रहे हैं।
पूजन विधि
इस दिन दैहिक, दैविक एवं भौतिक तीन प्रकार के कष्टों को दूर करने वाले भगवान श्री नारायण की उपासना करनी चाहिए। रोली, मोली, पीले चन्दन, अक्षत, पीले पुष्प, ऋतुफल, मिष्ठान आदि अर्पित कर धूप-दीप से श्री हरि की आरती उतारकर दीप दान करना चाहिए। इस दिन ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय का जप एवं विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना बहुत फलदायी है। संतान कामना के लिए इस दिन भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है। योग्य संतान के इच्छुक दंपत्ति प्रात: स्नान के बाद पीले वस्त्र पहनकर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें। इसके बाद संतान गोपाल मंत्र का जाप करना चाहिए। पवित्रा एकादशी की कथा का श्रवण एवं पठन करने से मनुष्य के समस्त पापों का नाश होता है, वंश वृद्धि होती है तथा समस्त सुख भोगकर मोक्ष की प्राप्ति होती है। जीवन में आए कष्टों के निवारण के लिए इस दिन पीपल के पत्ते पर अंगूठा चूसते हुए बालकृष्ण की पूजा करनी चाहिए।
व्रत का महत्व
एकादशी तिथि के महत्व को बताते हुए भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है-मैं वृक्षों में पीपल एवं तिथियों में एकादशी हूँ। एकादशी की महिमा के विषय में शास्त्र कहते हैं कि विवेक के समान कोई बंधु नहीं और एकादशी के समान कोई व्रत नहीं। पदम् पुराण के अनुसार परमेश्वर श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को एकादशी तिथि का महत्त्व समझाते हुए कहा है कि बड़े-बड़े यज्ञों से भी मुझे उतनी प्रसन्नता नहीं मिलती जितनी एकादशी व्रत के अनुष्ठान से मिलती है। शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को करने से अग्निष्टोम यज्ञ का फल मिलता है एवं भगवान विष्णु अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। संतान प्राप्ति की कामना के लिए इस व्रत को अमोघ माना गया है। इस व्रत को करने वाले भक्तों को न केवल स्वस्थ तथा दीर्घायु संतान प्राप्त होती है बल्कि उनके सभी प्रकार के कष्ट भी दूर हो जाते हैं।
चढ़ाएं तुलसी और बेलपत्र
पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तुलसी की माला अर्पित करें। इसके साथ ही भोलेनाथ को 108 बेलपत्र की माला चढ़ाएं। माना जाता है कि ऐसा करने से नौकरी-बिजनेस में अपार सफलता के साथ सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी।