जाने-अनजाने पापों के प्रायश्चित का अवसर... कामदा एकादशी

कामदा एकादशी - मंगलवार, 8 अप्रैल 2025 पारण का समय - 06:17 से 08:48, 9 अप्रैल 2025 पारण के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - 22:55 एकादशी तिथि प्रारम्भ - 7 अप्रैल 2025 को 20:00 बजे एकादशी तिथि समाप्त - 8 अप्रैल 2025 को 21:12 बजे नववर्ष की पहली चैत्र शुक्लपक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहते है. कामदा एकादशी का व्रत-पूजा करने से सभी प्रकार के ज्ञात/अज्ञात पापों से मुक्ति मिल जाती है. जो व्यक्ति कन्या भ्रूण हत्या में जाने-अनजाने भागीदार रहे हों, उन्हें भविष्य में ऐसा अपराध नहीं करने के संकल्प के साथ प्रायश्चित पूजा करनी चाहिए. जो श्रद्धालु एकादशी व्रत रखते हैं, उन्हें दशमी को एक बार भोजन करना चाहिए! धर्मग्रंथों में... जीवन में सुख के लिए एकादशी व्रत-पूजा को उत्तम मार्ग बताया है. जो श्रद्धालु यह व्रत रखना चाहते हैं, उन्हें दशमी को एक बार भोजन करना चाहिए. एकादशी के दिन पवित्र स्नानादि के पश्चात गंगा जल, तुलसी दल, तिल, फूल, पंचामृत आदि से भगवान नारायण की पूजा करनी चाहिए. इस व्रत में व्रत रखने वाले श्रद्धालु को यथासंभव बिना जल के रहना चाहिए. अगर व्रती श्रद्धालु चाहें तो संध्याकाल में दीपदान के पश्चात फलाहार ग्रहण कर सकते हैं. क्योंकि सुख के लिए यह व्रत है इसलिए यथासंभव पति-पत्नी, दोनों को व्रत रखना चाहिए. एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना जरूरी माना जाता है! पारण, व्रत को पूरा करने को कहा जाता है। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण करते हैं. एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना जरूरी माना जाता है। एकादशी व्रत का पारण हरिवासर की अवधि में भी नहीं होता है. हरिवासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई समयावधि होती है. व्रत पूर्ण हो जाने के बाद पहले भोजन के लिए सबसे सही समय सवेरे होता है. मध्याह्नकाल में पारण से बचें लेकिन सवेरे किसी कारण से पारण नहीं हो पाए तो मध्याह्न के बाद पारण करना चाहिए. कभी-कभी एकादशी व्रत दो दिनों के लिए लगातार हो जाता है तब स्थानीय मान्यताओं के अनुसार पहली या दूजी एकादशी करनी चाहिए. श्रीविष्णुभक्त ऐसे अवसर पर दोनों एकादशी करते हैं. संन्यास और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रीनारायणभक्तों को दूजी एकादशी का व्रत करना चाहिए. यथासंभव व्रत नियमों का पालन करना चाहिए तथा किसी भी प्रकार की उलझन होने पर स्थानीय धर्मगुरु के निर्देशानुसार निर्णय करना चाहिए. जानबूझ कर नियमों के उल्लंघन से ही व्रतभंग होता है इसलिए अनजाने में हुई गलती के लिए मन में आशंकाएं नहीं पालें और व्रत के अंत में पारण के समय जाने-अनजाने हुई गलतियों के लिए अपनी भाषा और भाव में श्रीविष्णुदेव से क्षमा प्रार्थना कर भोजन ग्रहण करें! -प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी, बॉलीवुड एस्ट्रो एडवाइजर

Home I About Us I Contact I Privacy Policy I Terms & Condition I Disclaimer I Site Map
Copyright © 2025 I Khaskhabar.com Group, All Rights Reserved I Our Team