चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से , मंदिरों में सुबह 6 बजकर 23 मिनट से 7 बजकर 32 तक घट स्थापना
Astrology Articles I Posted on 20-03-2023 ,07:43:28 I by:
हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। वैसे तो साल में चार नवरात्रि तिथियाँ होती हैं, लेकिन इनमें से चैत्र और शारदीय नवरात्रि को प्रमुख माना जाता है। चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है। इस साल इस बार चैत्र नवरात्रि बुधवार 22 मार्च 2023 से प्रारंभ हो रहे हैं, जिसका समापन 30 मार्च होगा। इन 9 दिनों में मां के 9 स्वरूपों यानी कि शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, मां कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन कलश की स्थापना की जाती है। इसके बाद 9 दिनों तक उस कलश का पूजन किया जाता है।
नवरात्रि 2023 की अष्टमी और नवमी को छोटी कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप मानते हुए कन्या भोज कराया जाता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। इस बार चैत्र नवरात्रि पर कई तरह के शुभ योग बन रहे हैं, जो भक्तों के लिए शुभ फलदायी रहने वाले हैं।
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
कलश स्थापना: प्रतिपदा 22 मार्च
शुभ मुहूर्त: सुबह 6 बजकर 23 मिनट से 7 बजकर 32 तक
शुभ मुहूर्त की अवधि: 1 घंटा 9 मिनट
इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत शुभ संयोग में हो रही है। ग्रहों का ये विशेष योग 19 मार्च से बनेगा। इस दिन 5 ग्रह एक साथ मीन राशि में संयोग बनाकर गोचर कर रहे होंगे। चैत्र नवरात्रि के दिन कई शुभ योग भी रहेंगे जैसे, गजकेसरी योग, बुधादित्य योग, हंस योग, शश योग, धर्मात्मा और राज लक्षण योग इस दिन रहेंगे। ऐसे शुभ संयोगों के कारण चैत्र नवरात्रि भक्तों के लिए विशेष फलदायी रहने वाली है।
नवरात्रि के प्रारंभ के समय में उत्तर भाद्रपद नक्षत्र रहेगा। शास्त्रों में इस नक्षत्र को ज्ञान खुशी और सौभाग्य का सूचक माना गया है। ये नक्षत्र सूर्योदय से लेकर दोपहर 3.32 तक रहने वाला है। इस नक्षत्र के स्वामी शनि और राशि स्वामी गुरु हैं। इस नक्षत्र के प्रभाव से सभी राशियों को शुभ फल मिलेंगे।
कलश की स्थापना कैसे करें
कलश स्थापना के लिए सबसे पहले सुबह उठकर स्नान आदि करके साफ कपड़े पहनें। मंदिर की साफ-सफाई कर सफेद या लाल कपड़ा बिछाएं। इस कपड़े पर थोड़े चावल रखें। एक मिट्टी के पात्र में जौ बो दें। इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। कलश पर स्वास्तिक बनाकर इसपर कलावा बांधें।
कलश में साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालकर अशोक के पत्ते रखें। एक नारियल लें और उस पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांधें। इस नारियल को कलश के ऊपर पर रखते हुए देवी दुर्गा का आवाहन करें। इसके बाद दीप आदि जलाकर कलश की पूजा करें। नवरात्रि में देवी की पूजा के लिए सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का कलश स्थापित किया जाता है।
चैत्र नवरात्रि पूजन सामग्री
मां दुर्गा की फोटो, सिंदूर, केसर, कपूर, धूप,वस्त्र, दर्पण, कंघी, चूड़ी, सुगंधित तेल, चौकी, चौकी के लिए लाल कपड़ा, पानी वाला जटायुक्त नारियल, दुर्गासप्तशती किताब, बंदनवार आम के पत्तों का, फुल, दूर्वा, मेंहदी, बिंदी, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ, पटरा, आसन, पांच मेवा, घी, लोबान,गुग्गुल, लौंग, कमल गट्टा,सुपारी, कपूर।
हवन कुंड, चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र, कमलगट्टा, दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य, शहद, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, लाल रंग की गोटेदार चुनरीलाल रेशमी चूडिय़ाँ, सिंदूर, आम के पत्ते, लाल वस्त्र, लंबी बत्ती के लिए रुई या बत्ती, धूप, अगरबत्ती, माचिस, कलश, साफ चावल, कुमकुम,मौली, श्रृंगार का सामान, दीपक,हवन के लिए आम की लकड़ी, जौ, घी या तेल ,फूल, फूलों का हार, पान, सुपारी, लाल झंडा, लौंग, इलायची, बताशे या मिसरी, असली कपूर, उपले, फल व मिठाई, दुर्गा चालीसा व आरती की किताब, कलावा, मेवे आदि।
चैत्र नवरात्रि 2023 की प्रमुख तिथियाँ
प्रथम मां शैलपुत्री पूजा - नवरात्रि दिवस 22 मार्च 2023 दिन बुधवार
द्वितीय मां ब्रह्मचारिणी पूजा - नवरात्रि दिवस 23 मार्च 2023 दिन गुरुवार
तृतीय मां चंद्रघंटा पूजा - नवरात्रि दिवस 24 मार्च 2023 दिन शुक्रवार
चतुर्थ मां कुष्मांडा पूजा - नवरात्रि दिवस 25 मार्च 2023 दिन शनिवार
पंचमं स्कंदमाता पूजा - नवरात्रि दिवस 26 मार्च 2023 दिन रविवार
षष्ठं मां कात्यायनी पूजा - नवरात्रि दिवस 27 मार्च 2023 दिन सोमवार
सप्तम मां कालरात्रि पूजा - नवरात्रि दिवस 28 मार्च 2023 दिन मंगलवार
अष्टम मां महागौरी पूजा - नवरात्रि दिवस 29 मार्च 2023 दिन बुधवार
नवम मां सिद्धिदात्री पूजा - नवरात्रि दिवस 30 मार्च 2023 दिन गुरुवार