इस गांव में हनुमानजी की पूजा करना पाप है
Astrology Articles I Posted on 22-10-2017 ,11:55:24 I by: vijay
देवों के देव हनुमानजी को देश में सबसे ज्या दा पूजा जाता है लेकिन आपको
जानकर हैरत होगी कि देश में ही एक ऐसी जगह भी है जहां हनुमानजी की पूजा
वर्जित है। वहां के बाशिंदे बाकायदा आज भी हनुमानजी नाराज हैं।
यह बात बिल्कुल सही है। उत्तराखंड के द्रोणगिरि गांव के
लोग हनुमानजी को ना पूजते हैं और ना ही मानते हैं। उनने अनुसार हनुमानजी उस
पर्वत को वहां से उठाकर ले गए जिसकी वे पूजा करते थे।
द्रोणागिरि गांव उत्तराखंड के सीमांत जनपद चमोली के जोशीमठ प्रखण्ड में
जोशीमठ नीति मार्ग पर है। यह गांव लगभग 14000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है।
यहां के लोगों का मानना है कि हनुमानजी जिस पर्वत को संजीवनी बूटी के लिए
उठाकर ले गए थे, वह यहीं स्थित था। चूंकि द्रोणागिरि के लोग उस पर्वत की
पूजा करते थे, इसलिए वे हनुमानजी द्वारा पर्वत उठा ले जाने से नाराज हो गए।
यही कारण है कि आज भी यहां हनुमानजी की पूजा नहीं होती। यहां तक कि इस
गांव में लाल रंग का झंडा लगाने पर पाबंदी है।
गांव के निवासियों के अनुसार जब हनुमान बूटी लेने के लिये
इस गांव में पहुंचे तो वे भ्रम में पड़ गए। उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था कि
किस पर्वत पर संजीवनी बूटी हो सकती है। तब गांव में उन्हें एक वृद्ध महिला
दिखाई दी। उन्होंने पूछा कि संजीवनी बूटी किस पर्वत पर होगी? वृद्धा ने
द्रोणागिरि पर्वत की तरफ इशारा किया। हनुमान उड़कर पर्वत पर गये पर बूटी
कहां होगी यह पता न कर सके। वे फिर गांव में उतरे और वृद्धा से बूटी वाली
जगह पूछने लगे। जब वृद्धा ने बूटीवाला पर्वत दिखाया तो हनुमान ने उस पर्वत
के काफी बड़े हिस्से को तोड़ा और पर्वत को लेकर उड़ते बने।
कहते
हैं कि जिस वृद्धा ने हनुमान की मदद की थी उसका सामाजिक बहिष्कार कर दिया
गया। आज भी इस गांव के आराध्य देव पर्वत की विशेष पूजा पर लोग महिलाओं के
हाथ का दिया नहीं खाते हैं और न ही महिलाएं इस पूजा में मुखर होकर भाग लेती
हैं।
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