जानिये क्यों नहीं किया जाता राहु काल में कोई भी शुभ कार्य
Astrology Articles I Posted on 26-11-2022 ,10:46:07 I by:
ज्योतिष शास्त्र में योग, मुहूर्त और ग्रह नक्षत्रों के अतिरिक्त कई कालों अर्थात् समय का भी जिक्र किया गया है। इन्हीं कालों में एक काल है राहु काल, जिसे सबसे क्रूर माना गया है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार इस काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इस काल में किए गए कार्यों में सफलता प्राप्त नहीं होती है। आज हम अपने पाठकों को राहु काल के बारे में बताने जा रहे हैं कि राहु काल क्या है और क्यों इसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार राहु ग्रह को क्रूर ग्रह माना गया है। जिस व्यक्ति की कुंडली में राहु दोष पाया जाता है वह व्यक्ति मानसिक तनाव से घिरा रहता है, साथ ही उसे आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र में राहु ग्रह शांति के कई उपाय भी बताए गए हैं। कहा जाता है कि इन उपायों को करने से जातक को राहु दोष से मुक्ति मिलती है। इसके चलते हो रही परेशानियाँ से निजात मिलती है। माँ दुर्गा और भैरव देव की पूजा अर्चना करने से राहु ग्रह की शांति होती है। इसके साथ इस काल से मुक्ति पाने के लिए दान भी किया जाना बताया गया है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रोजाना आने वाला वह समय, जो ज्योतिष के अनुसार अशुभ होता है और उस पर राहु ग्रह का साया होता है, उस समय को राहु काल कहा जाता है। राहु काल को राहु कालम नाम से भी जाना जाता है। प्रत्येक दिन में सूर्योदय से सूर्यास्त तक का 8वाँ भाग अर्थात् डेढ घंटा ऐसा होता है जो राहुकाल कहलाता है। इस समय में कोई भी शुभ काम करना वर्जित है। ऐसा कहा जाता है कि राहु काल में शुरू किया गया कार्य पूर्ण नहीं होता है। इसी के चलते लोगों द्वारा किए जाने वाले नए कार्य या विवाह-सगाई, गृह प्रवेश, व्यवसाय आदि के लिए मुहूर्त निकालते समय इस समय को टाला जाता है। इसलिए कोई भी शुभ या नया कार्य करने के लिए राहु काल को देखा जाता है। दिन में किस समय राहु काल है या किस समय नहीं है। इसकी गणना पंचांग और ज्योतिष के अनुसार की जाती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु काल के दौरान मुख्यत रूप से निम्नांकित कामों को नहीं करना चाहिए—
1. कोई भी नया कार्य शुरू न करें।
2. गृह प्रवेश न करें।
3. कोई भी नई वस्तु न खरीदें।
4. व्यावसायिक प्रतिष्ठान, दुकान आदि का उद्घाटन न करें।
5. किसी भी प्रकार की सम्पत्ति का क्रय नहीं करें।
6. किसी भी प्रकार के वाहन—दोपहिया, चौपहिया, तिपहिया को न खरीदें।
7. किसी प्रकार का कोई नया व्यापार न शुरू करें।