यहां हैं गणेशजी का कटा हुआ मस्तक!
Astrology Articles I Posted on 03-09-2016 ,09:45:58 I by:
हिन्दू संस्कृति और पूजा में भगवान श्रीगणेश जी को सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया
गया है। प्रत्येक शुभ कार्य में सबसे पहले गणेशजी की ही पूजा की जाती
अनिवार्य बताई गयी है। गणेश गजमुख, गजानन के नाम से जाने जाते हैं, क्योंकि
उनका मुख गज यानी हाथी का है। भगवान गणेश का यह स्वरूप विलक्षण और बड़ा ही
मंगलकारी है।
आपने भी श्रीगणेश के गजानन बनने से जुड़े पौराणिक प्रसंग
सुने-पढ़े होंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं या सोचा कि गणेश का मस्तक कटने
के बाद उसके स्थान पर गजमुख तो लगा, लेकिन उनका असली मस्तक कहां गया।
जानिए, जानते है इसे जुडी रोचक कहानी-
गणेश के जन्म के सम्बन्ध में
दो पौराणिक मान्यता है। प्रथम मान्यता के अनुसार जब माता पार्वती ने
श्रीगणेश को जन्म दिया, तब इन्द्र, चन्द्र सहित सारे देवी-देवता उनके दर्शन
की इच्छा से उपस्थित हुए। इसी दौरान शनिदेव भी वहां आए, जो श्रापित थे कि
उनकी कू्रर दृष्टि जहां भी पड़ेगी, वहां हानि होगी। इसलिए जैसे ही शनि देव
की दृष्टि गणेश पर पड़ी और दृष्टिपात होते ही श्रीगणेश का मस्तक अलग होकर
चन्द्रमण्डल में चला गया।
इसी तरह दूसरे प्रसंग के मुताबिक माता
पार्वती ने अपने तन के मैल से श्रीगणेश का स्वरूप तैयार किया और स्नान होने
तक गणेश को द्वार पर पहरा देकर किसी को भी अंदर प्रवेश से रोकने का आदेश
दिया। इसी दौरान वहां आए भगवान शंकर को जब श्रीगणेश ने अंदर जाने से रोका,
तो क्रोधित होकर भगवान शंकर ने श्रीगणेश का मस्तक काट दिया, जो चन्द्र लोक
में चला गया। बाद में भगवान शंकर ने रुष्ट पार्वती को मनाने के लिए कटे
मस्तक के स्थान पर गजमुख या हाथी का मस्तक जोड़ा।
ऐसी मान्यता है कि
श्रीगणेश का असल मस्तक चन्द्रमण्डल में है, इसी आस्था से भी धर्म परंपराओं
में संकट चतुर्थी तिथि पर चन्द्रदर्शन व अर्घ्य देकर श्रीगणेश की उपासना व
भक्ति द्वारा संकटनाश व मंगल कामना की जाती है।