तुला राशि पर है केतु का प्रभाव, परेशानियों से मुक्ति के लिए करें यह उपाय
Astrology Articles I Posted on 10-12-2022 ,10:09:31 I by:
ज्योतिष शास्त्र में केतु को अश्विनी, मघा और मूल नक्षत्र का स्वामी माना गया है। इनकी गणना अशुभ ग्रहों में होती है। केतु स्वरभानु राक्षस का धड़ है। दिशाओं में इनका प्रभाव वायण्य कोण माना जाता है। कुंडली में राहु-केतु के होने से काल सर्प दोष का निर्माण होता है, जो बेहद अशुभ प्रभाव डालता है।
ज्योतिष में राक्षस ग्रह माने जाने वाले केतु इस वर्ष होलिका दहन के दिन राशि बदलकर तुला राशि में विराजमान हुए हैं। केतु का राशि परिवर्तन हर 18 महीने के बाद होता है और ज्योतिष में इसे बड़ी घटना के तौर पर देखा जाता है। केतु के राशि परिवर्तन से देश-दुनिया में बड़े उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं। ज्योतिष गणना के मुताबिक, केतु 12 अप्रैल 2022 को तुला राशि में प्रवेश कर चुके हैं। ज्योतिष में केतु को पापी ग्रह कहा जाता है। राशि परिवर्तन के बाद अब केतु 30 अक्टूबर 2023 तक तुला राशि में ही विराजमान रहेंगे और इसके बाद तुला राशि से निकलकर वे कन्या राशि में विराजमान होंगे। केतु के तुला राशि में होने के कारण 30 अक्टूबर 2023 तक तुला राशि वालों को केतु के अशुभ प्रभाव से कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। केतु के प्रभाव की वजह से मौजूदा समय में तुला राशि वालों को अब पहले से अधिक मुश्किलें हो सकती हैं। केतु के प्रभाव से मानसिक स्थिति प्रभावित होती है। जिसके कारण तुला राशि वालों को इस समय अकेलेपन का अहसास परेशान करेगा। तुला राशि के लोग खुद को काफी खोया-खोया महसूस करेंगे। कार्यस्थल पर कार्य का दबाव हो सकता है। केतु की अशुभता को दूर करने के लिए तुला राशि वालों को ज्योतिष शास्त्र में बताए गए कुछ उपाय करने चाहिए, जिससे उनकी अशुभता दूर हो सके। आइए डालते हैं एक नजर उन उपायों पर—
शनिवार को करें व्रत
केतु के राशि परिवर्तन से यदि आपके जीवन पर कोई अशुभ प्रभाव पड़ रहा है या उसकी सम्भावना है तो इसके लिए आपको हर शनिवार व्रत रखना चाहिए। यह व्रत कम से कम लगातार 18 शनिवार तक करने चाहिए। इसके साथ ही हर सोमवार को शिवलिंग पर कुशा के माध्यम से जल अर्पित करें।
इस मंत्र का करें जाप
ऊँ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम: मंत्र का जाप करें। इस मंत्र की 5,11 या 18 माला करें। इस मंत्र जाप के साथ ही केतु का वैदिक मंत्र :ऊँ केतुं कृण्वन्नकेतवे पेशो मर्या अपेशसे। सुमुषद्भिरजायथा:।। का नियमित रूप से जाप करना चाहिए।
पीपल के नीचे घी का दीपक जलाएँ
माता दुर्गा की पूजा करें और दुर्गासप्तशती या दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करें। कालिया नाग पर नाचते हुए भगवान कृष्ण की तस्वीर को सामने रखकर उनकी पूजा करें। नियमित रूप से शनिवार के दिन पीपल के नीचे घी का दीपक जलाएं। ऐसा करने से ग्रह शांति भी होती है।
काली गाय को खिलाएँ हरा चारा
केतु को कुंडली में शुभ बनाने के लिए काले रंग की गाय का दान करना भी अच्छा माना जाता है। अगर आप ऐसा करने में असमर्थ हैं तो काले रंग की गाय की सेवा जरूर करें और उसे हरा चारा डालें।
इनके अतिरिक्त कुछ और उपाय भी हैं जो आप आसानी से कर सकते हैं—
1. आपकी कुंडली पर केतु का राशि परिवर्तन अशुभ प्रभाव न डाले, इसके लिए कंबल, छाता, लोहा, उड़द, गरम कपड़ों का दान करना चाहिए। केतु के अशुभ प्रभाव से बचे रहने के लिए शनिवार को गरीब बेसहारा लोगों की हरसंभव मदद करनी चाहिए और उन्हें भोजन, वस्त्र और कुछ धन का दान देना चाहिए।
2. केतु के अशुभ प्रभाव से दूर रहने के लिए आप चाहें तो घर में काला कुत्ता भी पाल सकते हैं।
3. केतु के दोष निवारण के लिए आप लहसुनिया रत्न भी पहन सकते हैं।