घर में सुख शांति पाने और किसी अनहोनी को रोकने के लिए करें ये व्रत

अहोई का अपभ्रंश अनहोनी कहा गया है। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष को अहोई अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत से संतान की आयु लंबी होती है और उन्हें किसी अनहोनी का सामना नहीं करना पड़ता है। 22 अक्‍टूबर, शनिवार को यह व्रत मनाया जाएगा।

अहोई अष्टमी की कथा के अनुसार एक साहूकार की बहुएं दीपावली में घर की मरम्मत के लिए वन में मिट्टी लाने जाती है। मिट्टी काटते समय छोटी बहू के हाथों अनजाने में कांटे वाले पशु साही के बच्चे की मृत्यु हो जाती है। नाराज साही श्राप देती है, जिससे छोटी बहू के सभी बच्चे मर जाते हैं। बच्चों को फिर से जीवित करने के लिए साहूकार की बहू साही और भगवती की पूजा करती है। इससे छोटी बहू की मृत संतान फिर से जीवित हो जाती है। पुत्रवती माताएं साहूकार की छोटी बहू के समान अपने पुत्र की लंबी आयु और अनहोनी से रक्षा के लिए यह व्रत रखती हैं और साही माता एवं भगवती से प्रार्थना करती हैं कि उनके पुत्र दीर्घायु हों।
क्‍या करें इस दिन अहोई
अष्टमी व्रत के दिन प्रात: उठकर स्नान करें और पूजा पाठ करके अपनी संतान की दीर्घायु एवं सुखमय जीवन के लिए कामना करते हुए, मैं अहोई माता का व्रत कर रही हूं, ऐसा संकल्प करें।
अहोई माता मेरी संतान को दीर्घायु, स्वस्थ एवं सुखी रखे। माता पार्वती की पूजा करें।
अहोई माता की पूजा के लिए गेरू से दीवार पर अहोई माता का चित्र बनाएँ और साथ ही सेह और उसके सात पुत्रों का चित्र बनाएँ।
संध्या काल में इन चित्रों की पूजा करें।
अहोई पूजा में एक अन्य विधान यह भी है कि चांदी की अहोई बनाई जाती है जिसे सेह या स्याहु कहते हैं। इस सेह की पूजा रोली, अक्षत, दूध व भात से की जाती है। पूजा चाहे आप जिस विधि से करें लेकिन दोनों में ही पूजा के लिए एक कलश में जल भर कर रख लें।
पूजा के बाद अहोई माता की कथा सुने और सुनाएं।
पूजा के पश्चात सासू-मां के पैर छूएं और उनका आर्शीवाद प्राप्त करें।
तारों की पूजा करें और जल चढ़ायें।
इसके पश्चात व्रती अन्न जल ग्रहण करें।

Home I About Us I Contact I Privacy Policy I Terms & Condition I Disclaimer I Site Map
Copyright © 2024 I Khaskhabar.com Group, All Rights Reserved I Our Team