करवा चौथ: आखिर चांद को छलनी से क्यों देखती है महिलाएं?
Astrology Articles I Posted on 09-10-2019 ,13:51:20 I by: vijay
हिन्दू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत सबसे महत्वपूर्व
व्रतों में से एक माना जाता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार करवा चौथ का व्रत हर साल
कार्तिक मास की चतुर्थी को आता है।
इस बार करवा चौथ का व्रत
(गुरुवार) यानी 17 अक्टूबर 2019 को है। करवा चौथ के अवसर पर सुहागिन
महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखेंगी और चांद का
दीदार करने के बाद ही अपना व्रत तोडेंगी।
इस दिन महिलाएं छलनी में
दीपक रखकर चांद की पूजा भी करती है। लेकिन क्या आप जानते है कि करवा चौथ के
दिन महिलाएं चंद्रमा की पूजा क्यों करती हैं। करवा चौथ के व्रत में चांद
की पूजा क्यों होती है, आइए जानते है।
करवा चौथ व्रत को लेकर धार्मिक आधार...धार्मिक आधार पर देखें तो
कहा जाता है कि चंद्रमा भगवान ब्रह्मा का रूप है। एक मान्यता यह भी है कि
चांद को दीर्घायु का वरदान प्राप्त है और चांद की पूजा करने से दीर्घायु
प्राप्त होती है। साथ ही चद्रंमा सुंदरता और प्रेम का प्रतीक भी होता है,
यही कारण है कि करवा चौथ के व्रत में महिलाएं छलनी से चांद को देखकर अपने
पति की लंबी उम्र की कामना करती है।
करवा चौथ व्रत को लेकर पौराणिक कथा...पौराणिक
कथाओं के अनुसार, एक साहूकार की बेटी ने अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा
चौथ का व्रत रखा था पर अत्यधिक भूख की वजह से उसकी हालत खराब होने लगी थी,
जिसे देखकर साहूकार के बेटों ने अपनी बहन से खाना खाने को कहा लेकिन
साहूकार की बेटी ने खाना खाने से मना कर दिया।
भाइयों से बहन की ऐसी हालत
देखी नहीं गई तो उन्होंने चांद के निकलने से पहले ही एक पेड़ पर चढ़कर छलनी
के पीछे एक जलता हुआ दीपक रखकर बहन से कहा कि चांद निकल आया है।
बहन ने
भाइयों की बात मान ली और दीपक को चांद समझकर अपना व्रत खोल लिया और व्रत
खोलने के बाद उनके पति की मुत्यु हो गई और ऐसा कहा जाने लगा कि असली चांद
को देखे बिना व्रत खोलने की वजह से ही उनके पति की मृत्यु हुई थी। तब से
अपने हाथ में छलनी लेकर बिना छल-कपट के चांद को देखने के बाद पति के दीदार
की परंपरा शुरू हुई।
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