कल मनाई जाएगी कजरी/सातु़डी/ कजलिया तीज, जानिये शुभ मुहूर्त और महत्व
Astrology Articles I Posted on 01-09-2023 ,08:04:17 I by:
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज का व्रत रखा जाता है। यह तीज रक्षाबंधन के तीन दिन बाद मनाई जाती है यानी इस वर्ष यह 2 सितंबर 2023 को मनाई जाएगी। ये साल की सबसे बड़ी तीज में से एक है। दरअसल, ये व्रत मुख्य रूप से महिलाओं के लिए होता है। इस व्रत में भगवान शंकर और माता पार्वती की अराधना की जाती है। वैवाहिक महिलाएं इसमें अपने पति की लंबी आयु के लिए, संतान की खुशहाली और परिवार के सुख के लिए यह व्रत रखती हैं, ताकि उनके जीवन में सुख और समृद्धि हमेशा बनी रहे। इसे कजलिया तीज और सातुड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है।
इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए दिन भर निर्जला व्रत रखती हैं और करवाचौथ की तरह शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करती हैं। कजरी तीज में स्त्रियां शिव-शक्ति की पूजा कर नीमड़ी माता की आराधना करती हैं। उत्तर भारतीय राज्यों, विशेषकर मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, में महिलाएँ तीज उत्सव बहुत धूमधाम से मनाती हैं। इस दिन गायों की भी पूजा की जाती है। कजरी तीज पर घर में झूले डाले जाते हैं और औरतें एक साथ मिलकर नाचती-गाती हैं। इस दिन कजरी गीत गाए जाते हैं। यूपी और बिहार में ढोलक बजाकर कजरी तीज के गीत गाए जाते हैं।
कजरी तीज शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 01 सितंबर 2023 को रात 11 बजकर 50 मिनट पर हो रही है। अगले दिन 02 सितंबर 2023 को रात 08 बजकर 49 मिनट पर यह तिथि समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार इस साल कजरी तीज 2 सितंबर 2023 को मनाई जाएगी।
कजरी तीज 2023 तिथि
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि आरंभ
01 सितंबर 2023 को रात 11 बजकर 50 मिनट पर शुरू
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि समाप्त
02 सितंबर 2023 को रात 08 बजकर 49 मिनट पर
तिथि- उदया तिथि के अनुसार कजरी तीज 2 सितंबर 2023 को होगी।
कजरी तीज 2023 पूजा मुहूर्त
सुबह के समय पूजा का शुभ मुहूर्त-
2 सितंबर को सुबह 7 बजकर 57 मिनट से सुबह 9 बजकर 31 मिनट तक
रात के समय पूजा का शुभ मुहूर्त
9 बजकर 45 मिनट से रात को 11 बजकर 12 मिनट तक
कजरी तीज की पूजा विधि
कजरी तीज के दिन सुहागन महिलाओं को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। इस दिन निर्जल व्रत करना चाहिए, लेकिन अगर कोई महिला गर्भवती हैं तो वह फलाहार कर सकती हैं। कजरी तीज के दिन नीमाड़ी माता की पूजा करनी चाहिए। फिर नीमाड़ी माता को जल, रोली और अक्षत यानी चावल चढ़ाने चाहिए। उसके बाद नीमाड़ी माता को मेंहदी और रोली लगाएं। माता को काजल और वस्त्र अर्पित करें और फल-फूल चढ़ाएं, सारा श्रृ्गांर का सामान चढ़ाएं। उसके बाद माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा भी करनी चाहिए। पूजा के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें। इसके बाद घर में मौजूद सभी बड़ी महिलाओं के पैर छूकर आशीर्वाद लें। रात में चांद निकलने से पहले पूरा श्रृंगार कर लें। इसके बाद हाथ में गेहूं के दाने लेकर चंद्रमा को अर्घ्य दें और भोग चढ़ाएं। फिर उसी स्थान पर घूमकर चार बार परिक्रमा करें। इसके बाद आप अपना व्रत खोल सकते हैं।
कजरी तीज का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार यह व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने रखा था। उन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए इस व्रत को रखा था। इस व्रत को करने से परिवार में प्रेम और सुख-समृद्धि आती है। साथ ही कुंवारी लड़कियों को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। इस दिन माता पार्वती की पूजा अर्चना करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन में शांति बनी रहती है और क्लेश दूर होता है। साथ ही संतान के जीवन में खुशहाली और उन्नति बनी रहती है। कजरी तीज के दिन कई जगहों पर नीम के पेड़ की पूजा करने का भी विधान है। इस दिन महिलाएं खीर, बादाम का हलवा, गुजिया, घेवर और काजू कतली आदि बनाती है। इसके साथ ही सत्तू बनाने की भी परंपरा है। इन सभी चीजों का भोग माता पार्वती और शिव जी को लगाया जाता है और बाद में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।