Astrology Course | |||||||||||||||||||||||||
ज्योतिष जैसे कठिन विषय को गुरूकुल से बाहर अथवा किसी अन्य संप्रेषण तकनीक के सिखाने में कठिनाई होती है। प्राचीन संस्कृत गं्रथों का हिन्दी और अंग्रेजी में आज अनुवाद करके आधुनिक तकनीक और संचार के माध्यमों से, कक्षा से दूर रहकर भी इस शिक्षा को दिया जाना संभव हो पाया है। |
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Details of the modules | |||||||||||||||||||||||||
प्रथम मॉडयूल : ज्योतिष परिचय। : ज्योतिष में प्रयुक्त होने वाली खगोलीय परिभाषाएं, ग्रह, नक्षत्र, जन्मपत्रिका और राशियाँ तथा ग्रह राशियों और नक्षत्रों का परस्पर संबंध। Show Details | Hide Details |
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द्वितीय मॉडयूल :ज्योतिष ज्ञान इस मॉडयूल का मुख्य उद्देश्य ग्रह के नैसर्गिक और अर्जित कारकत्व और प्रत्येक लग्न के लिए शुभ और अशुभ ग्रह का ज्ञान देना है। मुख्य रूप से वर्ग कुण्डलियों तथा दशा के माध्यम से व्यक्ति के जीवन की प्रत्येक घटना का विश्लेषण करना है। Show Details | Hide Details |
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तृतीय मॉडयूल : खगोल और पंचांग इस मॉडयूल का मुख्य उद्देश्य खगोल के उन सिद्धान्तों का ज्ञान कराना है जो कि ज्योतिष के परिपेक्ष्य में प्रयोग होते हैं। इसमें समय, सायन, निरयन, पात बिन्दु, ग्रहण आदि के विषय का ज्ञान देना है। इसके अतिरिक्त तिथि, नक्षत्र, योग करण और वार आदि की मुहूर्त में उपयोगिता का ज्ञान देना है तथा ग्रहों के गोचर के आधार पर दैनिक, साप्ताहिक और मासिक भविष्यफल का ज्ञान कराना है। Show Details | Hide Details |
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चतुर्थ मॉडयूल :फलित ज्योतिष यह मॉडयूल ज्योतिष के फलित सूत्रों को सिखाने की आधारशिला है तथा वैदिक और पाश्चात्य ज्योतिष में अंतर को भी स्पष्ट करती है। Show Details | Hide Details |
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पंचम मॉडयूल :फलित ज्योतिष - ढढ् इस मॉडयूल का उद्देश्य मुख्य रूप से ग्रहों की स्थिति, उनकी युति, दृष्टि तथा परिवर्तन आदि के आधार पर फलकथन करना है। जन्मपत्रिका के बारह भावों, उसमें उपस्थित योगों, दशाएं तथा गोचरीय प्रभाव वर्ष परिस्थितियों का आंकलन कर उचित उपाय ही बताना है। Show Details | Hide Details |
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