जया एकादशी से मनुष्य की घातमृत्यु से सुरक्षा होती है, प्रेतयोनि से मुक्ति मिलती है!

किसी भी मानव की पूर्ण आयु पर मृत्यु होती है, लेकिन सभी के जीवनकाल में कई बार घात आती है, जिससे सुरक्षा नहीं मिले तो घातमृत्यु संभव है और घातमृत्यु से प्रेतयोनि की आशंका रहती है, ऐसे में जया एकादशी से जहां घातमृत्यु से सुरक्षा होती है, वहीं भूत, प्रेत, पिशाच आदि योनि से मुक्ति भी मिलती है.
धर्मग्रथों में एकादशी व्रत का विशेष महत्व दर्शाया गया है. एकादशी के प्रभाव से व्यक्ति अनेक ज्ञात/अज्ञात कष्टों से मुक्त हो जाता है.
घातमृत्यु से सुरक्षा एवं भूत, प्रेत, पिशाच आदि योनि से मुक्ति के लिए जया एकादशी करने के निर्देश दिए जाते हैं,
इस दिन भगवान श्रीविष्णु का पूजन, घातरक्षा और प्रेतयोनि से मुक्ति के अनुरोध के साथ करना चाहिए.
जया एकादशी का व्रत करने से धर्मज्ञान और यज्ञपुण्य मिलता है. इस व्रत के प्रभाव से श्रद्धालु के सभी पापों का नाश होता है.
यह व्रत श्रद्धालु को भोग और मोक्ष, दोनों प्रदान करता है, श्रद्धालु प्रेतयोनि से मुक्त हो जाता है!
॥ आरती- ॐ जय जगदीश हरे ॥
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वामी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
* प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी, बॉलीवुड एस्ट्रो एडवाइजर

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