एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना जरूरी माना जाता है

* विजया एकादशी - 24 फरवरी 2025
* पारण का समय - 06:57 से 09:17 (25 फरवरी 2025)
* पारण के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - 12:47
* एकादशी तिथि प्रारम्भ - 23 फरवरी 2025  को 13:55 बजे
* एकादशी तिथि समाप्त - 24 फरवरी 2025  को 13:44 बजे
श्रीविष्णु के विविध स्वरूपों की नामावली का प्रतिदिन प्रात: स्मरण करने से कामयाबी के रास्ते खुल जाते हैं...
अच्युतं, केशवं, राम, नारायणं, कृष्ण, दामोदरं, वासुदेवं हरे,
श्रीधरं, माधवं, गोपिका वल्लभं, जानकी नायकं श्री रामचन्द्रं भजे.
पारण, व्रत को पूरा करने को कहा जाता है। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण करते हैं।
एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना जरूरी माना जाता है। एकादशी व्रत का पारण हरिवासर की अवधि में भी नहीं होता है।
हरिवासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई समयावधि होती है।
व्रत पूर्ण हो जाने के बाद पहले भोजन के लिए सबसे सही समय सवेरे होता है।
मध्याह्नकाल में पारण से बचें लेकिन सवेरे किसी कारण से पारण नहीं हो पाए तो मध्याह्न के बाद पारण करना चाहिए।
कभी-कभी एकादशी व्रत दो दिनों के लिए लगातार हो जाता है तब स्थानीय मान्यताओं के अनुसार पहली या दूजी एकादशी करनी चाहिए।
श्रीविष्णुभक्त ऐसे अवसर पर दोनों एकादशी करते हैं।
संन्यास और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रीनारायणभक्तों को दूजी एकादशी का व्रत करना चाहिए।
यथासंभव व्रत नियमों का पालन करना चाहिए तथा किसी भी प्रकार की उलझन होने पर स्थानीय धर्मगुरु के निर्देशानुसार निर्णय करना चाहिए।
जानबूझ कर नियमों के उल्लंघन से ही व्रतभंग होता है इसलिए अनजाने में हुई गलती के लिए मन में आशंकाएं नहीं पालें और व्रत के अंत में पारण के समय जाने-अनजाने हुई गलतियों के लिए अपनी भाषा और भाव में श्रीविष्णुदेव से क्षमा प्रार्थना कर भोजन ग्रहण करें!
-प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी, बॉलीवुड एस्ट्रो एडवाइजर

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