इन राशि वालों से दोस्ती करोगे, तो रहोगे हमेशा मालामाल
Astrology Articles I Posted on 04-12-2018 ,15:02:29 I by: vijay
दोस्ती यूं तो दिल से की जाती है लेकिन ज्योतिष के अनुसार देखा जाए तो
कुछ खास ग्रहों के स्वामियों के साथ दोस्ती या मैत्री रखी जाए तो आप
मालामाल रह सकते हैं।
नवग्रहों में सूर्य-सिंह राशि,
चंद्रमा-कर्क राशि, मंगल-मेष व वृश्चिक, बुध-मिथुन व कन्या, गुरु-धनु व
मीन राशि, शुक्र-वृष व तुला तथा शनि-मकर व कुंभ राशि के स्वामी होते हैं।
शास्त्रों में इनमें नैसर्गिक मैत्री संबंध बताए गए हैं। इसके अलावा ग्रहों
में तात्कालिक मैत्री भी होती है, जो इनकी कुंडली में स्थिति के अनुसार
होती है जैसे मंगल व शनि कुंडली में एक साथ बैठे हों तो इनमें तात्कालिक
मैत्री संबंध होते हैं। मोटे तौर पर हम ग्रहों की तीन प्रकार-मित्रता,
शत्रुता व साम्यता के बारे में जानकारी लेते हैं। आइए देखें ग्रहों के
नैसर्गिक मैत्री संबंध क्या हैं :
सूर्य : सूर्य के चंद्रमा, मंगल व गुरु मित्र होते हैं।
शनि-शुक्र शत्रु व बुध से साम्यता के संबंध हैं। इस प्रकार सिंह राशि वाले
की मित्रता मेष, कर्क, वृश्चिक, धनु व मीन राशि वालों से व मकर, कुंभ, वृष व
तुला वाले लोगों से शत्रुता होती है। सूर्य तेज व अधिकारिता के स्वामी हैं
अत: इनकी चाहत रखने वाले से मैत्री संबंध व शनि व शुक्र क्रमश: सेवा व
आराम पसंद होते हैं इसलिए इनसे शत्रुता होती है।
चंद्र : चंद्र
ग्रह के अधिकांश ग्रह मित्र होते हैं परंतु बुध, शुक्र, शनि, राहु, केतू
इन्हें पसंद नहीं करते। बुध, शुक्र, गुरु, शनि मित्र व सिर्फ मंगल से
शत्रुता होती है। चंद्रमा जल प्रधान व मंगल अग्नि तत्व प्रधान होते हैं।
जाहिर है कि आग और पानी में मित्रता नहीं हो सकती।
मंगल : मंगल के मित्र शनि व सूर्य होते हैं। चंद्र व गुरु से साम्यता व
शुक्र व बुध से शत्रुता के संबंध होते हैं। इस प्रकार मेष व वृश्चिक राशि
वाले लोगों की मित्रता कर्क, धनु व मीन से तथा वृष, तुला, मिथुन व कन्या
राशि से शत्रुता होती है।
बुध : इस ग्रह के सूर्य, गुरु व चंद्र मित्र होते हैं। शनि से
इनकी शत्रुता होती है। इस प्रकार मिथुन व कन्या राशि वाले लोगों की मित्रता
सिंह, कर्क, धनु व मीन राशि के लोगों से होती है। मकर व कुंभ राशि से
असामान्य संबंध होते हैं।
गुरु : गुरु के मंगल, चंद्र, शनि मित्र व शुक्र तथा बुध से शत्रुता
होती है। इस प्रकार धनु व मीन राशि के लोगों की मेष, वृश्चिक, कर्क, मकर व
कुंभ से मित्रता तथा वृष, तुला व मिथुन, कन्या से शत्रुतापूर्ण संबंध होते
हैं। गुरु स्वयं मर्यादा में रहना सिखाते हैं जबकि बुध व शुक्र दोनों ही
आदतन इससे दूर रहने वाले होते हैं।
शुक्र : इसके गुरु, सूर्य मित्र व मंगल शत्रु होते हैं। इस
प्रकार शुक्र की राशि वृष व तुला वाले लोगों की मित्रता, सिंह, धनु व मीन
राशि वालों से तथा मेष व वृश्चिक राशि के लोगों से शत्रुतापूर्ण संबंध होते
हैं। चंद्रमा, बुध व शनि के साथ इनके समानता के संबंध होते हैं।
शनि : इस ग्रह की गुरु, चंद्र, मंगल से मित्रता व शनि सूर्य से
शत्रुता रखते हैं। अत: मकर व कुंभ राशि वाले लोगों की मित्रता मेष,
वृश्चिक, कर्क, धनु व मीन राशि के लोगों से होती है। सिंह राशि के लोगों से
मित्रता नहीं होती है।
दोस्तीे के एकादश भाव को बनाएं मजबूत
ज्योतिष के अनुसार मित्रता का प्रमुख भाव एकादश भाव है जो आय भाव
भी है जिसके जितने अच्छे मित्र होंगे, आय भाव उतना ही मजबूत होगा। अन्यथा
कमजोर होगा। इस भाव में यदि सूर्य हो तो ऐसे जातक की उच्च पदासीन, सत्तासीन
व राजनीतिक लोगों से मित्रता होगी। चंद्रमा इस भाव में होने पर मित्र
कलाकार, वायुयान चालक, जहाज के कैप्टन, नाविक आदि मित्र होंगे। यदि एकादश
भाव में मंगल है तो मित्र खिलाड़ी, पहलवान, कुक आदि प्रकृति के लोग होंगे व
बुध इस भाव में होने पर व्यावसायिक वृत्ति के लोग, गुरु इस भाव में होने
पर बैंकिंग, वित्त धार्मिक आस्था, दार्शनिक आदि मित्र होंगे। शुक्र इस भाव
में होने पर अभिनय क्षेत्र, स्त्री जातक, कलाकार आदि मित्रों की संख्या
अधिक होगी। शनि एकादश भाव में होने पर नौकरी पेशा, सेवावृत्ति, अपनी आयु से
अधिक उम्र वाले लोगों से मैत्री संबंध होते हैं। यदि इस भाव में राहु या
केतू हो तो ऐसे व्यक्ति के छद्म मित्रों व अपनी जाति से इतर लोगों से
मित्रों की संख्या अधिक होती है। वह अपने लोगों से दूर-दूर रहता है।
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