माँ लक्ष्मी का दिन है शुक्रवार, श्रीयंत्र की स्थापना के साथ करें पूजा, नहीं रहेगी धन की कमी

शुक्रवार का दिन माँ लक्ष्मी को समर्पित किया गया है। धन की देवी लक्ष्मी की इस दिन विधिवत पूजा की जाती है। धर्मशास्त्रों के अनुसार शुक्रवार को माँ लक्ष्मी का पूजन करने से उनकी कृपा हमेशा बनी रहती है और जीवन में कभी धन की कमी नहीं आती है। कहा जाता है कि माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उनके श्रीयंत्र की विधि विधान से पूजा की जानी चाहिए। इस यंत्र की पूजा करने का विधान काफी प्राचीन है। लोग अपने घर में श्रीयंत्र की स्थापना करके पूजा और आराधना करते हैं। जिस घर में विधि-विधान के साथ श्रीयंत्र की पूजा की जाती है वहां सदैव सुख-संपत्ति, सौभाग्य और ऐश्वर्य बना रहता है। स्फटिक का श्री यंत्र सबसे उत्तम होता है। यदि आपने अपने घर में श्रीयंत्र की स्थापना की है या करने जा रहे हैं तो इससे संबंधित नियमों का पालन करना भी कुछ बेहद जरूरी है।
दुर्गा सप्तशती में कहा गया है आराधिता सैव नृणां भोगस्वर्गापवर्गदा अर्थात् आराधना किए जाने पर आदि शक्ति देवी मनुष्यों को सुख, भोग, स्वर्ग अपवर्ग देने वाली होती है। उपासना सिद्ध होने पर सभी प्रकार की श्री मतलब चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति हो सकती है। इसीलिए इस यंत्र को श्रीयंत्र कहा जाता है। इस यंत्र की अधिष्ठात्री देवी त्रिपुर सुंदरी हैं, इसे शास्त्रों में विद्या, महाविद्या, परम विद्या के नाम से भी जाना जाता है।

इन बातों का रखें ध्यान
सनातन धर्म में शुभ मुहूर्त का बहुत महत्व होता है। शुभ मुहूर्त में किए गए कार्य से शुभ फल की प्राप्ति होती है, इसलिए कोई भी कार्य करने से पहले मुहूर्त अवश्य देखा जाता है। यदि आप अपने घर में श्रीयंत्र स्थापित कर रहे हैं तो किसी योग्य ज्योतिषी से शुभ मुहुर्त की जानकारी अवश्य ले लें।
अगर घर में श्रीयंत्र रख रहे हैं तो उसे भी पूजा स्थान में रखें और देव समान ही नियमित रूप से पूजा करें। शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी के साथ श्रीयंत्र की पूजा अवश्य करें। इस बात का ध्यान रखें कि एक बार श्रीयंत्र को स्थापित कर दिया तो उसकी रोजाना पूजा करना बेहद जरूरी है। इसकी पूजा न करने से आपको कोई लाभ प्राप्त नहीं होता है इसके अलावा इसके विपरीत प्रभाव भी पड़ सकते हैं।
कोई भी यंत्र आकृतियों, चिन्हों और अंको को उकेरकर बनाया जाता है, किसी भी यंत्र का पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिए उसका सही तरह से बना हुआ होना आवश्यक है। यदि आप श्रीयंत्र को घर में स्थापित कर रहे हैं तो भलभांति जांच लें कि श्रीयंत्र सही बना हो, गलत श्रीयंत्र की पूजा करने से कोई लाभ प्राप्त नहीं होता है।

श्रीयंत्र स्थापित करने के फायदे और इसका महत्व
1. यदि आप भी अपने घर में श्रीयंत्र की स्थापना करना चाहते हैं तो किसी अच्छे ज्योतिष शास्त्री से इसको स्थापित करने का शुभ मुहूर्त जरूर जान लें। शुभ मुहूर्त में किए गए कार्य से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इसलिए कोई भी शुभ कार्य करने से पहले शुभ मुहूर्त अवश्य देखा जाता है।
2. श्रीयंत्र में साक्षात महालक्ष्मी का वास होता है। इसके अलावा श्रीयंत्र जिस जगह होता है वहाँ चारों तरफ का वातावरण शुद्ध और पवित्र हो जाता है। इससे माता लक्ष्मी के आगमन पर बाधाएँ नहीं आती हैं।
3. श्री यंत्र की स्थापना से अष्ट लक्ष्मी की प्राप्ति भी होती है। इससे कारोबार में सफलता, जीवन में सुख, आर्थिक मजबूती और पारिवारिक सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही जिन लोगों के व्यापार और नौकरी में लंबे समय से परेशानी आ रही है या फिर उनकी तरक्की नहीं हो रही उन्हें श्रीयंत्र की स्थापना करने से फायदा मिलता है।
4. शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए लाल रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए।
5. शुक्रवार के दिन माता महालक्ष्मी के मंदिर जाकर उन्हें लाल वस्त्र अर्पित करना शुभ माना जाता है। संभव हो तो माँ लक्ष्मी को लाल बिंदी, सिंदूर, लाल चुनरी और लाल चूडियाँ भी अर्पित करें। कहते हैं कि ऐसा करने से माँ लक्ष्मी अपनी कृपा भक्त पर बरसाती हैं।
6. शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए हाथ में 5 लाल रंग के फूल लेकर माता का ध्यान लगाना चाहिए। इसके बाद लक्ष्मीजी को प्रणाम करते हुए प्रार्थना करें कि वह आपके घर पर सदैव विराजमान रहें। इसके बाद इन फूलों को तिजोरी या अलमारी में रख दें।
7. शुक्रवार के दिन श्री लक्ष्मी नारायण पाठ करने से भी माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। कहते हैं कि पाठ करने के बाद श्री लक्ष्मी नारायण भगवान को खीर का भोग लगाना चाहिए।
8. शुक्रवार के दिन एक लाल रंग का कपड़ा लें और इस कपड़े में सवा किलो चावल रखें। ध्यान रहे कि चावल का एक भी दाना टूटा नहीं होना चाहिए। चावल की पोटली बनाकर हाथ में लेकर ओम श्रीं श्रीये नम: मंत्र की पांच माला का जाप करें फिर इस पोटली को तिजोरी में रख दें। कहते हैं कि ऐसा करने से धन प्राप्ति का योग बनता है।

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