गुप्त नवरात्रि में करें ब्रrाचर्य का पालन और रखे इन कामों से दूरी
Astrology Articles I Posted on 23-01-2023 ,07:50:21 I by:
बीते दिन 22 जनवरी रविवार से माघ माह के नवरात्र शुरू हो चुके हैं। 30 जनवरी सोमवार को इनका अन्तिम दिन होगा। इन नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहा जाता है। गुप्त नवरात्रि वर्ष में देवी के दस महाविद्याओं के स्वरूपों की साधना की जाती है। हिन्दी पंचांग में एक साल में चार बार नवरात्रि आते है। पहली चैत्र मास में, दूसरी आषाढ़, तीसरी आश्विन में और चौथी माघ मास में। माघ और आषाढ़ माह की नवरात्रि गुप्त मानी जाती है। चैत्र और आश्विन मास की नवरात्रि को प्रकट माना जाता है। विशेष कामनाओं की सिद्धि के लिए इस नवरात्रि को बहुत अहम माना जाता है। गुप्त नवरात्रि में अघोर तांत्रिक महाविद्याओं को सिद्ध करने की उपासना करते हैं।
इस बार तिथियों की घट-बढ़ नहीं रहेगी। जिससे नवरात्र पूरे नौ दिनों के ही रहेंगे। इसे अखंड नवरात्रि भी कहते हैं। पंडितों का मत है कि ये शुभ संयोग है, जो मंगलकारी रहेगा। इन योगों में की गई पूजा, दान-पुण्य और खरीद-फरोख्त विशेष फलदायी व समृद्धिकारक रहेगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार गुप्त नवरात्रि में देवी मां के दस महाविद्याओं के स्वरूपों के लिए गुप्त साधनाएं की जाती हैं। इन महाविद्याओं में मां काली, तारा देवी, षोडषी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, और कमला देवी शामिल हैं।
तंत्र साधनाओं के लिए इस नवरात्रि का खास महत्व होता है। गुप्त नवरात्रि में गुप्त विद्याओं की सिद्धि के लिए साधना की जाती है। इसे गुप्त तरीके से किए जाने की वजह से ही इसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं। इन नवरात्रों में कई ऐसे कार्य हैं जिनको करने की मनाही होती है। धर्माचार्यों और ज्योतिषियों का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति तो इन गुप्त नपरात्र में व्रत रखता है, वह इन कामों को करता है तो उसे व्रत का फल नहीं मिलता है, अपितु यह उसके लिए हानिकारक होते हैं।
आज हम अपने पाठकों को उन कार्यों की जानकारी देने जा रहे हैं, जिन्हें इन गुप्त नवरात्र में करने की मनाही होती है। एक नजर...
1. गुप्त नवरात्रि के दौरान बाल नहीं कटवाने चाहिए। इसके साथ ही इन दिनों नाखून भी नहीं काटने चाहिए।
2. गुप्त नवरात्रि के दौरान बच्चों का मुंडन संस्कार भी वर्जित माना जाता है।
3. इन नौ दिनों तक मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
4. भोजन में लहसुन और प्याज का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए।
5. गुप्त नवरात्रि में किसी भी दिन देर तक नहीं सोना चाहिए, विशेष रूप से उन लोगों को जिन्होंने नौ दिनों का व्रत रखा हो।
6. गुप्त नवरात्रि में पति-पत्नी को ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना चाहिए। पति-पत्नी को एक ही बिस्तर नहीं सोना चाहिए। इसके साथ ही उन्हें फर्श पर चटाई बिछा कर सोना चाहिए।
7. चमड़े की हर उस वस्तु से दूर रहना चाहिए जो व्यक्ति के घर में काम आती है। साथ ही चमड़े से बने जूते-चप्पलों के स्थान पर रबड़ व कपड़े के जूते-चप्पल पहनने चाहिए।
8. गुप्त नवरात्रि में बैंगनी, नीले या गहरे रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए।
गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि
प्रात:काल नित्य कर्मों से निवृत होने के बाद देवी माँ की पूजा शुरू करने से पहले किसी चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर माँ दुर्गा की मूर्ति स्थापित करें। उसके पश्चात् माँ दुर्गा की मूर्ति पर लाल रंग का वस्त्र या लाल रंग की चुनरी ओढ़ाएँ। कलश की स्थापना करें। रोज इस कलश को धोकर इसे स्वच्छ पानी से भरें और देवी की मूर्ति पर जल का छिडक़ाव करें। पूरे नौ दिनों तक देवी माँ की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। नवरात्र व्रत का समापन कुछ लोग अष्टमी, कुछ लोग नवमीं को करते हैं। इन दोनों दिनों में देवी माँ की पूजा अर्चना करने के बाद नौ या ग्यारह कन्याओं के साथ एक बटुक का पूजन करें। इन्हें माँ देवी को चढ़ाए जाने वाले प्रसाद का वितरण करें। कन्याओं और बटुक को प्रसाद सामग्री खिलाने से पहले उनके पैर को स्वच्छ पानी से धोएँ, फिर उनके माथे पर तिलक लगाएं और कलाई पर रोली-मोली बांधें। प्रसाद में खटाई का इस्तेमाल न करें। प्रसाद खिलाने के बाद उन्हें अपनी श्रद्धानुसार दक्षिणा देकर और उनके पैर छूकर विदा करें।
गुप्त नवरात्रि के आखिरी दिन देवी दुर्गा की पूजा के बाद मां दुर्गा की आरती पढ़ें और अंत में कलश का विसर्जन करें।