शनि भय से मुक्ति हेतु पांच सूत्र उपाय
Astrology Articles I Posted on 09-12-2018 ,14:56:05 I by: vijay
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार शनिदेव को ग्रहों में न्यायाधीश का पद
प्राप्त है। मनुष्य के अच्छे-बुरे कर्मो का फल शनिदेव ही उसे देते हैं। जिस
व्यक्ति पर शनिदेव की टे़डी नजर प़ड जाए, वह थो़डे ही समय में राजा से
रंक बन जाता है और जिस पर शनिदेव प्रसन्न हो जाएं वह मालामाल हो जाता है।
संसार में जातक जब-जब लोभ, हवस, गुस्सा, मोह से प्रभावित होकर अपना संतुलन
बिग़ाड लेता है। जानते हुए भी अपने चारों ओर अन्याय, अत्याचार, दुराचार,
अनाचार, पापाचार, व्यभिचार को सहारा देता है और अंधेरे में लुक छिपकर बिना
किसी को बताए बुरे कर्म करता है। वह सोचता है कि मैं जो कुछ कृत्य कर रहा
हुं उसे अब कौन देख रहा है। फलस्वरूप कुकर्मो को धडल्ले से कर परम
प्रसन्न होता है। वह अहंकार में अपने को सब कुछ समझ बैठता है यानी साक्षात
भगवान को भी वह नकारता है और स्वयं को ईश्वर समझता है।
अत: ऎसे जातक को अपनी मर्यादा समझने हेतू, उसे जागृत करने के लिए,
आत्मपरीक्षण तथा आत्मचिंतन हेतू शनिदेव उसे दंड देते हैं। साढसती लगती है,
ऎसे कार्यकाल में शनिदेव न्यायमूर्ती बनकर उसे सजा देकर सचेत करते हैं।
स्मरण रखें शनि कि सूक्ष्म दिव्य दृष्टी है, दूसरा वह कर्म का फलदाता है,
तीसरा जिसने जो कर्म किया है, उसका यथावत भुगतान कराते हैं। कर्मो का
भुगतान ही शनिदेव सुख-दु:ख रूप में निरंतर प्रदान करते हैं।
प्रस्तुत इन पांच सूत्रों को जीवन में अपनाने से शनि का भय कभी नहीं सताता
- जीवन के हर्षित पल में भी शनिदेव कि प्रशंसा करो।
- आपत काल में भी शनिदेव का दर्शन करो।
- मुश्किल पी़डादायक समय में भी शनिदेव कि पूजा करो।
- दुखद समय में भी शनिदेव पर विश्वास करो।
- जीवन के हर पल में शनिदेव के प्रति कृतज्ञता प्रकट करो।
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