लगातार 3रे साल ईद और अक्षय तृतीया एक साथ

आज ईद और अक्षय तृतीया, दोनों त्योहार साथ मनेंगे। लगातार तीसरे साल ऐसा हो रहा है। हिजरी कैलेंडर के शव्वाल महीने का आखिरी रोजा शुक्रवार को हुआ। शाम को चांद नजर आया। आज ईद उल फितर मनेगा।

पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने कहा है कि उत्सव मनाने के लिए अल्लाह ने कुरान में पहले से ही 2 सबसे पवित्र दिन बताए हैं। जिन्हें ईद-उल-फितर और ईद-उल-जुहा कहा गया है। इस तरह ईद मनाने की परंपरा शुरू हुई। माना जाता है कि पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बद्र की लड़ाई में जीत हासिल की थी। इस खुशी में सबका मुंह मीठा करवाया गया, इसलिए इसी दिन को मीठी ईद के तौर पर मनाते हैं। कहा जाता है कि पहली बार ईद-उल-फितर 624 ईस्वी में मना था।

हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया पर दान देने का विशेष महत्व है। इस दिन किया गया दान अक्षय पुण्य देने वाला होता है। वहीं, इस्लाम में भी मीठी ईद के मौके पर दान यानी जकात देने का रिवाज है। कुरान में जक़ात अल-फि़त्र को जरूरी बताया गया है। इसे हर मुसलमान का फर्ज कहा गया है। जो कि जरूरतमंद लोगों के लिए निकाला जाता है।

मुस्लिम अपनी संपत्ति को पाक रखने के लिए सालाना बचत का एक हिस्सा जकात के तौर पर जरूरतमंद लोगों को देते हैं। कुछ मुस्लिम देशों में जकात इच्छा से दिया जाता है, वहीं कुछ जगहों पर इसे जरूरी माना है। परंपरागत रूप से इसे रमजान के आखिरी में और लोगों को ईद की नमाज पर जाने से पहले देते हैं।

ईद-उल-फितर के दिन नमाज पढक़र खुदा का शुक्रिया अदा किया जाता है कि उन्हें रमजान में रोजे रखने की ताकत मिली। साथ ही जीवन में सादगी, इंसानियत, दूसरों की मदद करने और ईमान पर चलने के जज्बे के साथ जिंदगी जीने की ताकत मिले। सभी की सलामती और अमन के लिए इस मौके पर मस्जिदों में दुआ होती है।

Home I About Us I Contact I Privacy Policy I Terms & Condition I Disclaimer I Site Map
Copyright © 2024 I Khaskhabar.com Group, All Rights Reserved I Our Team